सोनीपत, 8 अप्रैल।दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनातय ने कहा कि वैदिक काल में जल, अग्नि, वायु और वनस्पति के प्रति असीम श्रद्धा प्रकट करने पर बल दिया गया है। अगर हम वैदिक काल के ऋषियों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करें तो मानव के सामने पर्यावरण की समस्या उत्पन्न नहीं होगी। कुलपति प्रो.अनायत ऊर्जा एवं पर्यावरण विभाग के शार्ट टर्म कोर्स के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैदिक काल में हमारे पूर्वज प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्वक रहते थे। कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि वेदों में वृक्ष-पूजन का विज्ञान है। इसके विपरीत, आज पेड़-पौधों की निर्ममता-पूर्वक कटाई से वातावरण में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा में अतिशय वृद्धि हो रही है। इससे तापमान अनपेक्षित मात्रा में बढ़ता जा रहा है, जो पर्यावरण के लिए संकट का सूचक है। कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि महर्षि यास्क ने अग्नि को पृथ्वी-स्थानीय, वायु को अन्तरिक्ष स्थानीय एवं सूर्य को द्युस्थानीय देवता के रूप में महत्त्वपूर्ण मानकर सम्पूर्ण पर्यावरण को स्वच्छ, विस्तृत तथा सन्तुलित रखने का भाव व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद में समग्र पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश शुद्ध रहे, नदी, पर्वत, वन, उपवन सब स्वच्छ रहें, गाँव, नगर सबको विस्तृत और उत्तम परिसर प्राप्त हो, तभी जीवन का सम्यक् विकास हो सकेगा।कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि जल जीवन का प्रमुख तत्त्व है। ऋग्वेद में जल की विशेषता के बारे में बताया गया है कि जल में अमृत है, जल में औषधि-गुण विद्यमान रहते हैं। जल की शुद्धता-स्वच्छता को बनाए रखने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जल-सन्तुलन से ही भूमि में सरसता रहती है, पृथ्वी पर हरियाली छायी रहती है, एवं समस्त प्राणियों का जीवन सुखमय तथा आनन्दमय बना रहता है। कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि वायु में जीवनदायिनी शक्ति है। इसलिए, इसकी स्वच्छता पर्यावरण की अनुकूलता के लिए परम अपेक्षित है। वेदों में वायु की स्तुति की गई है, जिससे जीवों का निरन्तर सम्यक् विकास होता रहे।मुख्यवक्ता आईआईटी ,दिल्ली के पूर्व प्रो.एच.पी.गर्ग ने कहा कि पर्यावरण और ऊर्जा एक दूसरे के पूरक हैं। लेकिन ऊर्जा का उत्पादन बढाने पर पर्यावरण पर विपरीत असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अगर ऊर्जा का उत्पादन नहीं बढा तो हम आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं हो पाएगें। हमें ऊर्जा का उत्पादन इस प्रकार करना चाहिए ताकि हमारे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव न पड़े।विभागाध्यक्ष प्रो.अनिल बेरवाल ने कहा कि हमें सौर ऊर्जा के उत्पादन पर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि हम एक तरफ तो ऊर्जा का उत्पादन अधिक से अधिक कर सकें तथा अपने पर्यावरण को स्वचछ रख सकें। उन्होंने कहा कि हमें ऊर्जा के उत्पादन के दौरान पर्यावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस अवसर पर प्रो.सुखदीप सिंह, कार्यशाला की कंवीनर डा.सुदेश चौधरी, को कंवीनर डा.निशा दहिया, ओर्गेनाइजेशन सक्रेटरी डा.अनिता सिंह, डा.प्रदीप पंघाल, डा.रीति चौधरी, डा.अदिति आर्य, डा.सीमा चावला,डा.आशमी हुड्डा , डा.पूनम श्योराण, डा.विनोद, डा. रविंद्र , निर्मला, नेहा यादव, सौरभ जागलान व सचिन दास आदि उपस्थित थे।