चंडीगढ़ 4 नवंबर : पंजाब विश्वविद्यालय में स्टूडेंट कौंसिल द्वारा एक इतिहास लिखा गया, जहाँ एक और कुछ छात्र हॉस्टल के 24×7 खुले रहने का प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीँ विपुल आत्रेय के नेत्र्तव में कुछ विद्यार्थियों ने अनोखी और भव्य स्वदेशी दीपावली का आयोजन करावा डाला
इसकी खासियत यह रही कि इस में यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों द्वारा कुलपति की मौजूदगी में गांधी भवन के आगे चंडीगढ़ की कालोनी में बने कुम्हार के हाथों के बने तेल के दीए जलाकर , सभी देश वासियों को स्वदेशी वस्तुएं प्रयोग करने एवं शोर शराबे और प्रदूषण रहित दीपावली बनाने का संदेश दिया गया
इस मौके पर कुलपति द्वारा कुम्हार को सम्मानित किया गया , जिसके हाथों के बने दिए गांधी भवन के आगे सजाए गए थे इस मौके पर स्टूडेंट काउंसिल के सह सचिव विपुल अत्रे , जिनके द्वारा कार्यक्रम का नेतृत्व और आयोजन किया गया था, उन्होंने कहा कि मेरा कार्यक्रम के पीछे सबसे बड़ा उद्देश्य यह है कि मैं समाज को यह आवाहन कर सकूं कि यदि हम भारत में गरीबी और आर्थिक असमानता की समस्या का समाधान करना चाहते हैं तो इसका एक ही मार्ग है वह है गांव के आदिवासियों गरीबों कारीगर और मजदूरों द्वारा बना हुआ सब देशी माल खरीदना और चाइना का बना हुआ सस्ता माल और तमाम बड़ी कंपनियों का बना हुआ कमर्शियल माल को प्राथमिकता ना देना
विपुल ने कहा कि दीपावली जैसे तमाम त्यौहार हमें सदियों से आपसी भाईचारे की शिक्षा देते हैं और यह भी परंपरा रही है किंतु हारों के दिनों में हम लोग इन कारीगरों मजदूरों और गांव वासियों का हाथों का बना हुआ सामान जैसे दिए मूर्ति आदि खरीदते थे और को इससे काफी ज्यादा आजीविका कमाने में सहायता मिलती थी और उन्हें पूरा वर्ष इस अवसर का त्यौहार इंतजार रहता था इस मौके को मारने कहा कि पहले वह दीपावली के समय लगभग ₹200000 कमा लेता था परंतु आज के डेट में उसे 20 30 हजार से ज्यादा कमाई नहीं होती
इस मौके विद्यार्थी परिषद के महासचिव अमरिंदर सिंह ने कहा दीपावली और बाकी तमाम हमारे त्योहार सदियों से हमें सामाजिक एकता और प्रेम की शिक्षा देते रहे हैं परंतु आजकल यह त्यौहार दिखावे और शोर शराबे के कारण अपनी वो परंपरा को हो रहे हैं अमरिंदर ने कहा कि हमें यूनिवर्सिटी के विद्यार्थियों के द्वारा को जगा कर के पूरे समाज को जो जागृत करना चाहिए कि यह त्योहार हमारी परंपरा और सभ्यता का किस तरह इस आ रहे हैं