सोनीपत, 9 जनवरी। हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के चेयरमैन प्रो.बी.के.कुठियाला ने कहा की दीनबंधु छोटू राम व्यक्ति नहीं, बल्कि एक विचार थे। दीनबंधु छोटू राम के पदचिन्ह पर चलकर समरस समाज बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि छोटू राम ने शिक्षा के माध्यम से सामाजिक बदलाव की अलख जगाई थी। किसानों, मजदूरों के साथ साथ युवाओं के लिए भी छोटू राम आदर्श के रूप में याद किए जाते हैं।प्रो.कुठियाला दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में आयोजित छोटू राम की पुण्य तिथि पर आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व उन्होंने दीनबंधु छोटू राम की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित की। उनके साथ पुष्पाजंलि देने वालो में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत भी थे। इस दौरान प्रो.कुठियाला ने विश्वविद्यालय के कैलेंडर का अनावरण भी किया।प्रो.कुठियाला ने कहा कि दीनबंधु छोटू राम का मानना था कि देश में सामाजिक बदलाव व विकास शिक्षा के माध्यम से ही लाया जा सकता है। इसलिए उन्होंने स्वतंत्रता से पूर्व के पंजाब में शिक्षा की अलख जगाई थी, जिसके कारण किसानों ने अपने बच्चों को विद्यालयों में भेजना प्रारंभ कर दिया था। उन्होंने कहा कि छोटू राम ने अपना संपूर्ण जीवन मानव कल्याण के लिए लगा दिया वे किसानों व आम आदमी के लिए हमेशा चिंतित रहते थे।प्रो.कुठियाला ने अपनी मौत से एक दिन पूर्व भांखड़ा डैम के ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर किए। भाखड़ा डैम ने पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में कृषि के क्षेत्र के विकास में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा कि समरस समाज बनाने में दीनों का बन्धु हानेा आवश्यक है। छोटू राम दीनों के ही बन्धु थे। विश्वविद्यालय को निरंतर छोटू राम के ऊपर व उनके विचारों पर शोध करना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि दीनबंधु केवल किसानों व गरीबों के मसीहा ही नहीं थे, बल्कि व्यवस्था परिवर्तन में भी उनका विशेष योगदान रहा है। यही कारण है कि आज दीनबंधु छोटू राम के नाम पर अनेक शिक्षण संस्थान के अतिरिक्त दूसरे संस्थान भी संचालित हैं। उन्होंने कहा कि महापुरूषों में छोटू राम अग्रणी रहे हैं।तीरंगे की पृष्टभूमि पर बना है विश्वविद्यालय का कैलेंडरकुलपति प्रो.अनायत ने बताया कि विश्वविद्यालय का कैलेंडर भारतीय तीरंगे झण्डे की पष्ठभूमि पर बना है।इसके अतिरिक्त इसमें अशोक चक्कर पर भी फोकस किया गया है, जिसका अर्थ है कि हमें निरंतर कार्य करते रहना चाहिए। कैलेंडर की विशेषता यह है कि इसमें भारतीय पाचांग के अनुसार माह व त्यौहार भी हैं। विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास के लिए बौद्धिक,शारीरिक व सांस्कृतिक विकास का होना आवश्यक है। कैलेंडर में विद्यार्थियों की तीनों स्थितियों को दर्शाया गया है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो.अनिल खुराना,परीक्षा नियंत्रक डा.एम.एस.धनखड़, शैक्षिक अधिष्ठाता प्रो.राजकुमार सिंह, महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डा.अजय यादव, प्रो.के.डी.गुप्ता, प्रो.प्रतीभा चौधरी,प्रो.राजबीर सिंह,प्रो.विजय शर्मा प्रो.सतीश खासा, प्रो.मनोज दूहन,प्रो.अशोक कुमार,प्रो.डी. सिंहल, प्रो.अनिता सिंग्रोहा,डा.हेमेंद्र अग्रवाल,डा.सुखदीप सिंह, डा.सुमन सांगवान, डा.पवन दहिया व डा.दिनेश सिंह आदि उपस्थित थे