सोनीपत, 15 सितंबर। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्र कुमार अनायत ने कहा कि विद्यार्थी सवेरा में गरीब व आस पास की बस्ती के छोटे छोटे बच्चों को पढाकर निस्वार्थ भावना से कर्म कर रहे हैं। निस्वार्थ भावना से किया गया कर्म व दूसरों के कल्याण के लिए किया गया कार्य ही सर्वश्रेष्ठ है। उन्होंने कहा कि दूसरों के लिए जीवन व्यतीत करना ही वास्तव में मानव का धर्म है। अगर आप वास्तव में समाज में बदलाव लाना चाहते हैं तो आपको स्वयं बदलाव का भाग बनना चाहिए।
कुलपति प्रो. अनायत विश्वविद्यालय में सवेरा को लेकर आयोजित किए गए ओरियंटेशन प्रोग्राम में बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व सवेरा के बच्चों द्वारा अनेक प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी गई। स्किट के माध्यम से बताया गया कि वे सर्वे के माध्यम से आस पास के क्षेत्र में जाते हैं तो अभिभावकों को बच्चों को पढाने के लिए प्रेरित करते हैं।
कुलपति प्रो. अनायत ने अपने कहा कि कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि समाज सेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं है। बेहतर शिक्षा सभी के लिए जीवन में आगे बढऩे और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। यह आत्मविश्वास विकसित करती है और एक व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में मदद करती है। स्कूली शिक्षा सभी के जीवन में महान भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना किसी भी समाज व राष्ट्र का उत्थान संभव नहीं है।
कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि आपकी प्रतिस्पर्धा किसी अन्य के साथ न होकर स्वयं के साथ होनी चाहिए। विद्यार्थियों को चिंतन मनन करना चाहिए कि वे किस प्रकार स्वयं में परिवर्तन लाकर पहले से बेहतर बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि सवेरा में पढने वाले अब तक 29 विद्यार्थियों का चयन नवोदय स्कूल में हो चुका है। जबकि इस बार रेणु का एडमिशन बीएस.सी.मैथ व गुड्डू का सिविल इंजीनियरिंग में हुआ है। कभी सवेरा में स्वयं पढने वाला धर्मेंद्र अब स्वयं सेवरा में अध्ययन के लिए आने वाले दूसरे बच्चों को पढाता है। धर्मेंद्र द्वारा किए गए कठिन परिश्रम तथा सवेरा में विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा दिखाए गए पथ पल चलने के कारण ही धर्मेंद्र अब विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहा है।
कि ज्ञान हमेशा बांटने से बढता है। सवेरा में पढाने वाले विद्यार्थी स्वयं धर्म और कर्म की परिभाषा हैं। 8 वर्ष पूर्व निर्माणाधीन भवनों में कार्यरत गरीब मजदूर के बच्चों को देखकर, उस समय के छात्र वीरसेन की सोच ने वास्तव में एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि अगर अन्य शिक्षण संस्थान भी हमारे विश्वविद्यालय की तरह से कार्य करें, तो वास्तव में समाज में बदलाव लाया जा सकता है। सवेरा एक मुहिम है दूसरों के लिए जीवन व्यतीत करने की। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के परिश्रम के कारण ही आज सेवरा नई ऊचाइयों को छू रहा है। अगर प्रत्यके व्यक्ति जीवन में कम से कम एक बच्चे को शिक्षित करने का संकल्प ले तो निरक्षरता पर बहुत हद तक रोक लगाई जा सकती है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में कुलपति प्रो. अनायत ने सवेरा में अध्यापन करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला इंजीनियर रजनी अनायत, प्रो.मनोज दूहन,प्रो.एस.के.जरियाल, डा.अमिता मलिक,कार्यकारी अभियंता बलबीर सिंह श्योकंद, एसडीओ युद्धवीर दलाल आदि उपस्थित थे। सवेरा के संयोजक अमित कश्यप,सीमोनव सवेरा के स्वयं सेवक विद्यार्थी,प्रगति, शिखा,स्वर्ण, धीरज, विपिन, अमन लोढ, अभिषेक,हिमांशु, अमर व ने कहा कि उन्हें सवेरा में बच्चों को पढाकर खुशी मिलती है।