28 अप्रैल 2019 : गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि व्यक्ति स्वयं की चुनौतियों को समझकर ही राष्ट्र की चुनौतियों को समझ सकता है। राष्ट्रीय सेवा योजना विद्यार्थियों को स्वयं की चुनौतियों के साथ-साथ देश की चुनौतियों से भी अवगत करवाता है।
प्रो. टंकेश्वर कुमार विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा आयोजित वार्षिकोत्सव कार्यक्रम ‘प्रेरणा’ में स्वयंसेवकों को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई की समन्वयक प्रो. सुजाता सांघी ने की।
प्रो. कुमार ने कहा कि प्रत्येक विद्यार्थी को राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ जुड़ना चाहिए। राष्ट्रीय सेवा योजना का मतलब अपने अंदर अनुशासन पैदा करना व साकारात्मक सोच के साथ देश की सेवा करना है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी को प्रत्येक क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कार्य को पूर्ण करना चाहिए। शिक्षा के साथ-साथ राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ जुड़ना स्वयं के कौशल विकास को विकसित करना है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के स्वयंसेवकों ने देश विदेश में अपनी एक अलग पहचान बनाई है। स्वयंसेवकों ने गणतंत्र दिवस पर परेड के साथ-साथ अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक के कार्यक्रमों में भी सच्ची लग्न व मेहतन से अपनी जिम्मेदारी को निभाया है।
प्रो. सुजाता सांघी ने इकाई की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि एनएसएस द्वारा शिविरों के माध्यम सें डेकलामेशन कम्पीटिशन, फ्रस्ट-एड ट्रेनिंग, खेलकूद प्रतियोगिता, कवि गोष्ठी, क्विज, पोस्टर मेकिंग व रंगोली प्रतियोगिता, नशा मुक्ति रैली, नुक्कड सभा, क्लिनस् ड्राईव व रक्तदान शिविरों के साथ-साथ विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त हरियाणवी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी चलाया जा रहा है। इस दौरान एनएसएस कोर्स पूरा करने वाले सभी विश्वविद्यालय के स्वयंसेवकों व विश्वविद्यालय से सम्बंद्ध महाविद्यालयों के 748 स्वयंसेवकों को प्रमाण पत्र भेंट कर सम्मानित किया। स्वयंसेवकों ने भी अपने अनुभवों को सांझा किया।
कार्यक्रम अधिकारी डा. अनिल भानखड़ ने स्वागत सम्बोधन प्रस्तुत किया। डा. सुनील वर्मा ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर प्रो. देवेन्द्र मोहन, डा. विकास वर्मा, कार्यक्रम अधिकारी डा. कश्मीरी लाल, डा. सुमन दहिया, डा. अंजु गुप्ता, डा. विजय पाल, डा. विक्रमजीत, डा. सीमा गुप्ता, डा. अशोक यादव, डा. श्यामलाल, डा. सरिता, डा. सुप्रिया, डा. सुखदेव व डा. कविता उपस्थित रहे।
‘तू ना आणा इस देश मेरी लाडो’ पर दी विशेष प्रस्तुति
कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा नाटक प्रस्तुत कर बेटी बचाओं का संदेश दिया गया। नाटक के माध्यम से बताया कि एक परिवार में तीन बार बेटा पैदा हुआ। बेटी की चाहत रखने वाली सास ने चौथी बार प्रसव पूर्व लिंग की जांच करवाई और डॉक्टर द्वारा बेटी होने की पुष्टि की गई। सास बहुत खुश होती है और बेटी होने का इंतजार करती है। तभी गर्भवती महिता को सपना आता है कि उसे बेटी पैदा होती है और उसका नाम रिया रखा जाता है। रिया जब 8 साल की होती है तो वह स्कूल में जाने लग जाती है। एक दिन रिया की मां अपने घर के कार्य से फ्री होकर समाचार देखती है कि कुछ व्यक्तियों द्वारा एक मासूम लड़की के साथ दुष्कर्म करके उसकी हत्या कर दी। वह लड़की रिया के स्कूल की ही होती थी। रिया की मां जब स्कूल में फोन लगाती है तभी कुछ व्यक्ति रिया के शव को घर लेकर आते हैं। रिया के शव को देखकर मां चिलाती है और उसकी आंखें खुल जाती है। गर्भवती महिला यह सब अपनी सास को बताती है और बेटी पैदा ना करने के लिए दबाव बनाती है। ‘तू ना आणा इस देश मेरी लाडो’ गीत के माध्यम से गंदी मानसिकता वाले लोगों द्वारा किए जा रहे कारनमों पर प्रकाश डाला गया। तभी गर्भ से आवाज आती है कि मां मुझे पैदा होने दो। हम सबको मिलकर समाज को बदलना है। ‘घूट-घूट कर कब तक जिऊगी सखी, अब ना गुमशुम रहुगी सखी’ गीत नेसबकी आंखें नम कर दी।