सोनीपत, 27 जुन। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। बायोमेडिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में किया गया शोध कार्य मानव के लिए कल्याणकारी सिद्ध हो सकता है। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में मेडिकल व इंजीनियरिंग का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
कुलपति प्रो. अनायत बायोमेडिक इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में लोगों की बढती स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता के चलते बायोमैडिकल इंजीनियरिंग में भी रोजगार की संभावनाए दिन प्रतिदिन वृद्धि होती जा रही हैं। दिन प्रतिदिन हमारी स्वास्थ्य संबंधी तकनीक में सुधार होता जा रहा है, जिसके चलते बायोमैडिकल इंजीनियरों की आवश्यक्ता बढती जा रही है। उन्होंने कहा कि बायोमेडिकल इंजीनियरों के लिए आर एंड डी के क्षेत्र में काम करने के व्यापक अवसर हैं। इसके अलावा प्रयोगशालाओं में पर्यवेक्षण करने व मशीनों के व्यवस्थापन में बीएमई काम आते हैं।
कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में मेडिसिन की कंपोजिशन का इंजीनियरिंग के साथ तालमेल कर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को सुलझाने में प्रयोग किया जाता है। बायोमेडिकल एक तरह से मेडिकन व इंजीनियरिंग की जुगलबंदी है। उन्होंने कहा कि हेल्थकेयर व मेडिसिन के साथ ही इंजीनियरिंग का ज्ञान रखने वालों के लिए बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग उचित कॅरियर विकल्प बन सकता है। यह बायोलॉजी व इंजीनियरिंग के सिद्धांतों को एक साथ उपयोग में लाने की विधा है।
विभागाध्यक्ष प्रो. अमित गर्ग ने कहा कि बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में शोध की अपार संभावनांए हैं। बायोमेडिकल इंजीनियरों के लिए सार्वजनिक और कॉर्पोरेट क्षेत्रों में मेडिकल उपकरण विनिर्माण, ऑर्थोपेडिक और रिहेबिलिटेशन इंजीनियरिंग, आणविक, सेलुलर और टिशू इंजीनियरिंग जैसे विभिन्न क्षेत्रों में भारी काम के अवसर उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों की स्थिति पर मूल्यवान सलाह देने के लिए बायोमेडिकल इंजीनियरों को अस्पतालों में भी शामिल किया जा सकता है।