शिमला । भारतीय शिक्षण मण्डल के शैक्षिक प्रकोष्ठ का दो दिवसीय अभ्यास वर्ग आज से शिमला के विकास नगर स्थित सरस्वती विद्या मन्दिर में शुरू हुआ। जिसमें भारतीय शिक्षण संस्थान के राष्ट्रीय संगठन मंत्री मुकुल कानिटकर का विशेष रूप से मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो . एस.पी.बंसल , कुलपति , इंदिरा गांधी विश्ववि़द्यालय रेवाड़ी ने की जबकि श्री बनवारी लाल नाटिया एवं श्री गोविन्द हड़प विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। श्री मुकुल कानिटकर जी ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में पाठयक्रम , पाठ्यचर्चा एवं पाठ्यवस्तु तीनों में रस नहीं है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा जीवन उपयोगी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इन तीनों में विविधता , सृजनशीलता एवं व्यावहारिकता का समावेश होना आवश्यक है। विद्या वही है जो बंधन से मुक्ति प्रदान करे और कर्म वह है जो बंधन में न बांधे। उन्होंने कहा कि अभ्यास व वैराग्य से कर्म सिद्धि प्राप्त करने पर जोर रहना चाहिए। प्रो . एस.पी.बंसल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि किसी राष्ट्र का आर्थिक , सामाजिक एवं सांस्कृतिक विकास शिक्षा पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि भारतवर्ष को नई शिक्षा नीति की आवश्यकता है। हम शिक्षक तो हैं लेकिन गुरू नहीं बन पा रहे हैं। गुरू विद्यार्थी को तेजस्वी बनाता है।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डा . बनवारी नाटिया ने कहा कि हमें शिक्षा प्रणाली में भारतीयता लाने के लिए कुछ और प्रयास करने होंगे जिसका प्रयास भा . शि . म . लगातार कर रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा स्वायत होनी चाहिए। शिक्षा सरकार का विषय नहीं है। शिक्षा विद्वानों के हाथों में ही रहनी चाहिए। हमारे शोध कार्यों में गुणवता नहीं रही है। हमारे शोध समाज के लिए कितने उपयोगी हैं इसका अवलोकन होना चाहिए।
इस अवसर पर प्रो वीर सिंह रांगड़ा , प्रो . नागेश ठाकुर , प्रो . सिकन्दर कुमार , प्रो . एन.के.शारदा , प्रो . पी.के.वैद्य , प्रो . विश्वेश्वरम जी , डॉ. उमाशंकर पचैरी , डॉ. अमित दशोरा , श्रीमति अरूंधति कावडकर एवं नीता बाजपेई विशेष रूप से उपस्थित रहे।