सोनीपत, 24 जुलाई ; दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि नई शिक्षा नीति वैदिक काल की भारतीय शिक्षा पर केंद्रित है। वैदिक काल की शिक्षा पद्धति ज्ञान केंद्रित थी। जिसमें हम निरंतर अनन्ता की तरफ कार्य करते थे। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नई दिशा देने का कार्य करेगी।
कुलपति प्रो.अनायत डीसीआरयूएसटी में नई शिक्षा नीति 2019 पर आयोजित एक द्विसीय वर्कशॉप को बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। वर्कशॉप में विशेषज्ञ के तौर पर जीजेयू, हिसार के कुलसचित प्रो.अनिल कुमार पुंडीर व मदवि के कुलसचिव प्रो.गुलशन तनेजा थे। वर्कशॉप में विभिन्न संकायों के अधिष्ठाता,विभागाध्यक्ष व प्रोफेसरों ने भाग लिया।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि नई शिक्षा नीति प्राचीन भारतीय वैदिक शिक्षा नीति पर केंद्रित है। वैदिक काल में हमारी शिक्षा नीति परीक्षा केंद्रित न होकर ज्ञान केंद्रित थी। शिक्षा ग्रहण करना विद्यार्थी की योग्यता पर निर्भर करता था। उस समय शिक्षा के लिए समय की कोई सीमा नहीं थी। उन्होंने कहा कि वैदिक काल की शिक्षा को हम एक तरह से प्रोजैक्ट आधारित शिक्षा कह सकते हैं। उस समय की शिक्षा में प्रायोगिकता का ज्यादा महत्व था।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि नई शिक्षा नीति डा.के.कस्तुरीरंजन की कमेटी ने तैयार की है। सभी शिक्षण संस्थानों को प्रतिक्रिया के लिए भेजी गई है। इस पद्धति में एक्सेस इक्वीटि,अफोर्डेबिल्टी,क्वालिटी व अकाऊंटेबिल्टी पांच बिन्दुओं पर आधारित है। नई शिक्षा नीति से समग्र शिक्षा व्यवस्था में आमूलचूल परिर्वतन होगा। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के तहत 2035 के तक ग्रॉस एंरोलमेंट रेशो को 50 प्रतिशित तक करने का प्रावधान है। राष्ट्रीय शिक्षा आयोग का संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था पर नियंत्रण करेगा। एनएचईआरए संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था की रेगुलेटरी बॉडी होगी। 2020 के बाद उच्च शिक्षण संस्थान स्वायत्त होगें। शिक्षण संस्थानों को पांच वर्ष के लिए अक्रेडेशन लेना होगा।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि 2030 के बाद कोई भी कॉलेज संबद्ध नहीं रहेगा। नई शिक्षा नीति के तहत 20 विद्यार्थियों को शिक्षा निशुल्क मिलेगी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति समग्र रूप से पर्यावरण हितैषी व समाज को ज्ञानवान बनाने के लिए है। कंप्यूटर, लैपटाप व अन्य उपकरण का सुदपयोग करके शिक्षण को रोचक बनाना है। तकनीक को शिक्षकों के विकल्प के रूप में देखने की अपेक्षा साहयक शिक्षण सामग्री बनाना चाहिए। कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि नई शिक्षा नीति सभी को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करके हमारे राष्ट्र को विकसित व जीवंत समाज बनाने में योगदान देगी। इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो.अनिल खुराना, परीक्षा नियंत्रक डा.एम.एस.धनखड़,प्रो.राजकुमार,प्रो.रमेश गर्ग,प्रो.डी.के.जैन, प्रो.मनोज दूहन, प्रो.अशोक शर्मा, प्रो.सतीश खासा, प्रो.सुजाता राणा, प्रो.अनिल बेरवाल,प्रो.सुखदीप सिंह, प्रो.अमिता मलिक,डा.पवन दहिया, डा.दिनेश सिंह व डा.सत्यपाल नेहरा आदि उपस्थित थे।