सोनीपत, 20 जनवरी : दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि जब मानव संसार से मिले हुए वस्तु, योग्यता, सामर्थ्य को मानव कल्याण की सेवा में लगा दे तथा बदले में कुछ इच्छा न करें, तभी मानव कर्म बंधन से मुक्त हो सकता है। इसलिए मनुष्य को हमेशा आसक्ति रहित होकर कर्म करना चाहिए।
कुलपति प्रो. अनायत ग्लोबल हायर एजूकेशन कॉन्क्लेव पर डीसीआरयूएसटी, मुरथल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हरि का आना अर्थात् हरियाणा। देश में एक मात्र हरियाणा प्रदेश का नाम भगवान के नाम पर है। भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद् भगवद् गीता का ज्ञान हरियाणा में ही दिया था। उन्होंने कहा कि – निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्।। अर्थात् निमित्तमात्र बनने का यह अर्थ नहीं है कि नाम मात्र के लिए कर्म करें। इसका अर्थ कार्य करने में अपनी पूरी शक्ति लगाओं, पर स्वयं को कारण मत मानों अर्थात् अपने उद्योग में कमी भी मत रखों और अपने में अभिमान भी मत रखो। भगवान ने जो कुछ, बल, विद्या व योग्यता आदि दी है, वह सब लगाने के लिए दी है, पंरतु हम अपना संपूर्ण बल लगाकर उसे प्राप्त नहीं कर सकते। प्राप्ति तो ईश्वर की कृपा से ही होगी। हमें निमित्तमात्र बनना है। अगर हम निमित्त मात्र बनकर कार्य करेंगे तो हमारे अंदर कामचोरी का भाव नहीं आएगा,हम अपने कार्य में विजयी हो जाएगें।
कुलपति प्रो. अनायत कहा कि अर्जुन जब युद्ध के लिए तैयार नहीं था, तो भगवान ने उसे अपना विराट रूप दिखाया। तब जाकर अर्जन युद्ध के लिए तैयार हुआ। अर्जुन देखा की सब भगवान से ही उत्पन्न हुए और अंत में उसी में जा रहे हैं। तब जाकर अर्जुन निमित्त भाव से युद्ध के लिए तैयार हुआ। उन्होंने कहा कि कण कण में और प्रत्येक जीव में ईश्वर विद्यमान है। इस बात को साक्षी मानते हुए हमें हर कार्य इस भावना से करना चाहिए कि हर व्यक्ति में एक ही परमात्मा का वास है। अत: सबके अंदर भगवान का अंश है। भले ही हमें शरीर अलग अलग मिले हो। इस भावना के साथ किया गया कोई भी कार्य गलत नहीं होगा। जिससे मानव कल्याण का रास्ता सुगम होगा।
वाईएमसीए साइंस एवं टेक्नालॉजी यूनिवर्सिटी फरीदाबाद के कुलपति प्रो.दिनेश अग्रवाल ने कहा कि टेक्सटाइल व प्रिंटिंग में क्रांतिकारी बदलाव आने वाला है। टेक्सटाइल व प्रिंटिंग भविष्य में तकनीक को बदलने वाले हैं। उन्होंने कहा कि पहले हमें कपड़े पहनने के बाद साफ करने की आवश्यक्ता पड़ती थी, लेकिन अब ऐसी तकनीक आ गई है कि कपड़े को पहनने के बाद साफ करने की आवश्यक्ता नहीं है। एक समय था जब हमारे देश से कपास का निर्यात होकर इंग्लैंड जाता था तथा वहां से कपड़े का आयात होता था। अब हम अपने देश में निर्मित कपड़ा पहनते हैं तथा देश की उन्नत टेक्सटाइल तकनीक के कारण अब हम कपड़े का निर्यात भी कर सकते हैं।
कुलपति प्रो.अग्रवाल ने कहा कि विद्यार्थियों को इस प्रकार अध्ययन करना चाहिए कि वे रोजगार लेने वाले न बनकर देने वाले बनें। हमारे देश के युवा में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, अपितु प्रतिभा को सकारात्मक दिशा देने की आवश्यक्ता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि गोहाना के एक युवा ने करीब 15 वर्ष पूर्व दस हजार रूपए से उद्योग प्रारंभ किया था। लेकिन अब वह लगभग 600 करोड़ रूपए की कंपनी का मालिक है।
इस अवसर पर आई.सी.टी.मुंबई के प्रो.एम.डी.तेली ने कहा कि विश्व में हमारे देश में सबसे ज्यादा युवा पी.एचडी कर रहे हैं। हमारे देश में उद्योग व शिक्षण संस्थान मिलकर कार्य करते हैं। भारतीय संस्कृति में संपूर्ण पृथ्वी को एक परिवार माना गया है। उन्होंने कहा कि मेरे ज्ञान पर केवल आई.सी.टी.मुंबई के विद्यार्थियों और शोधार्थियों का ही अधिकार नहीं है, अपितु डीसीआरयूएसटी के विद्यार्थियों का भी अधिकार है। हमारे व्याख्यान से आईआईटी में केवल कुछ ही विद्यार्थियों को लाभ होता है। अब समय आ गय है कि ऐसी तकनीक विकसित हो कि हमारे ज्ञान का लाभ पूरे देश के विद्यार्थियों को मिले।
दी टेक्सटाइल एसोसिएशन (इंडिया) के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार सिंहा का कहना है कि टेक्सटाइल के उद्योगों में इंजींनियरिंग के विभिन्न प्रकार की विद्याओं को रोजगार मिलता है। टेक्सटाइल का देश के विकास में अहम योगदान है। ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ मास्टर प्रिंटिंग एसोसिएशन के इंटरनेशनल रिलेशन केअध्यक्ष प्रो.कमल चोपड़ा ने कहा कि अनुसंधान के क्षेत्र में चीन हमारे से आगे है। हमें अनुसंधान पर ध्यान देना होगा ताकि हम अपने देश को नवीनतम तकनीक दे सके। वर्तमान समय में वहीं देश आगे हैं जिसके पास नवीनतम तकनीक है। इस दौरान विश्वविद्यालय के कैलेंडर का अनावरण भी किया गया। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो. अनायत को दी टेक्सटाइल एसोसिएशन (इंडिया) के अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार सिंहा ने स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। मंच संचालन डा.अमिता मलिक ने किया। इस अवसर पर टेक्सटाइल एसोसिएशन दिल्ली के अध्यक्ष श्री डी.के.सिंह, आईआईटी, दिल्ली के प्रो. डी.के.बेहरा ने भी संबोधित किया।