मुरथल ; दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में भौतिकी विभाग की शोधार्थी लक्षिता फोर ने तापमान को चुंबकीय तरल पदार्थ (मैग्नीज जिंक फैराइट फैरो फ्लूड) के माध्यम से कम करने का सफल परीक्षण किया है। उन्होंने अपने शोध में प्रायोगिक सत्यापन किया है कि चुंबकीय तरल पदार्थ के माध्यम से तापमान में 20 डीग्री सेल्सियस कम किया जा सकता है और इसे बडे स्तर पर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
डीसीआरयूएसटी, मुरथल की भौतिकी विभाग की शोधार्थी लक्षिता फोर ने तरल चुंबकीय पदार्थ के माध्यम से बिना किसी बाहरी ऊर्जा के गर्म पदार्थ के तापमान को 20 डीग्री सेल्सियस कम करने में सफलता प्राप्त की है। इस यंत्र को तरल चुंबकीय पदार्थ ( मैग्नीज जिंक फैराइट फैरो फ्लूड)की चुंबकीय क्षमता के सिद्धांत का उपयोग करते हुए बनाया है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें तरल चुंबकीय पदार्थ स्वयं ही तापमान व चुंबकीय क्षेत्र के प्रभाव से यंत्र के अंदर घुमता रहेगा, जो अपने साथ गर्म पदार्थ के तापमान को बाहरी वातावरण में स्थानान्तरित करेगा। इससे गर्म पदार्थ का तापमान स्वयं ही कम हो जाएगा।
लक्षिता ने अपने शोध में पाया कि यंत्र का उपयोग करते हुए बिना किसी ऊर्जा का प्रयोग किए बिना हम तापमान को हम 20 डीग्री सेल्सियस से भी ज्यादा कम किया जा सकता है। इसका प्रयोग हम उद्योगों में कर सकेगें। उदाहरण के तौर पर इलैक्ट्रोनिक्स उपकरणों व अन्य मशीनों के तापमान को कम करना। इसके माध्यम से इलैक्ट्रोनिक्स उपकरणों में निकलने वाली हीट को कम कर उपकरण की कार्यक्षमता को कम होने से रोका जा सकेगा
लक्षिता ने चुंबकीय तरल पदार्थ विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में मार्केट की अपेक्षा बहुत कम लागत में स्वयं तैयार किया है। लक्षिता का कहना है कि अधिकतर उपकरणों में तापमान को नियंत्रण में करने के लिए कूलेंट के साथ पंप लगा होता है, जो की उपकरण में ऊर्जा की खपत को बढाता है। लेकिन चुंबकीय तरल पदार्थ में किसी प्रकार की ऊर्जा की आवश्यक्ता नहीं होती है। शोध की विशेषता यह है कि यह पर्यावरण के अनुकूल है तथा इलैक्ट्रोनिक्स उपकरणों में ऊर्जा की खपत को कम करेगा। लक्षिता का शोध पत्र जर्नल आफ मैटीरियल साइंस : मैटीरियल्स इन इलैक्ट्रोनिक्स के शोध पत्र में भी प्रकाशित हो चुका है।
क्या कहना है लक्षिता के पीएचडी निदेशक डा. विनोद कुमार का
लक्षिता फोर के पीएचडी के निदेशक डा.विनोद कुमार ने कहा कि चुंबकीय तरल पदार्थ प्राकृतिक रूप से नहीं मिलता है, बल्कि इसे प्रयोगशाला में तैयार किया जाता है। इसे तैयार करने के लिए चुंबकीय अति सूक्ष्म कणों को तरल में मिलाया जाता है। चुंबकीय तरल पदार्थ को एक यंत्र में भरा जाता है। जिससे यह चुंबकीय स्वत: ही चुंबकीय क्षेत्र व तापमान के प्रभाव में घुमने लगता है। इस प्रकार यह एक गर्म पदार्थ के तापमान को बाहरी वातावरण में स्थानान्तरित कर देता है। यंत्र की विशेषता यह है कि इसमें बाहरी ऊर्जा का प्रयोग नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि अभी इस यंत्र का प्रायोगिक रूप में सफल अध्ययन किया जा चुका है और इसे जल्द ही औद्योगिक रूप दिया जाएगा। इसकी सहायता से इलैक्ट्रोनिक्स उपकरणों की अवाछिंत गर्मी कम की जा सकेगी।
क्या कहना है कुलपति प्रो.अनायत का
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि वर्तमान समय में ऊर्जा देश के विकास में अहम रोल अदा करेगी। लेकिन इसके लिए हमें ऊर्जा संरक्षण पर जोर देना होगा। ऊर्जा के उत्पदान के समय हमें पर्यावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि वह पर्यावरण व मानवता के अनुकूल हो। लक्षिता के शोध से प्रेरणा लेकर विद्यार्थियों को शोध के क्षेत्र में आगे बढना चाहिए। प्रो.अनायत ने लक्षिता की उपलब्धि पर शुभकामनाएं दी तथा उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
क्या कहना है विभागाध्यक्ष प्रो.खासा का
भौतिकी विभागाध्यक्ष प्रो.सतीश खासा ने कहा कि देश के विकास में भौतिकी का अहम रोल रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन व विभाग द्वारा शोधार्थियों को बेहतर संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहें, ताकि शोधार्थी अपने शोध की गुणवत्ता को बनाए रख सकें। उन्होंने कहा कि लक्षिता फोर द्वारा किया गये शोध को बड़े स्तर पर आगे बढाए जाने की आवश्यक्ता है ताकि हम ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा का संरक्षण कर देश के विकास में योगदान दे सकें।