सोनीपत, 6 फरवरी। अमेरिका के विद्यार्थी भारतीय संस्कार और शिक्षा पद्धति सीखने के लिए भारत आएंगे। अमेरिका जेम्स मेडीसन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का मानना है कि सीखने के लिए भारत देश सर्वोत्तम है। उन्होंने भारत की वैदिक शिक्षा पद्धति की प्रशंसा की। डीसीआरयूएसटी के साथ जेम्स मेडीसन विश्वविद्यालय जल्द एमओयू करेगा । अमेरिका के हैरिसनबर्ग में स्थित जेम्स मेडीसन विश्वविद्यालय के सहायक शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो.स्टीव परसेल, सहायक प्रोफेसर स्मिता माथुर व क्रिस्टोफर वाइली की टीम ने दीनबंधू छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल का दौरा किया। उन्होंने विश्वविद्यालय की शिक्षा पद्धति के बारे में गहन जानकारी प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से भी बातचीत की। सहायक प्रोफेसर माथुर ने कहा कि भारत में विद्यार्थी शिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कार सीखते हैं। इसके साथ साथ मेडिटेशन करते हैं, जिससे शांति मिलती है। शांति शिक्षा के लिए आवश्यक है। उन्होंने कहा कि भारत की वैदिक शिक्षा पद्धति बेहतरीन शिक्षा पद्धति थी। गुरूकुल परंपरा में गुरू निर्देश देता था और विद्यार्थी अभ्यास करते थे। विश्वविद्यालय में स्थित सेवरा में विद्यार्थियों द्वारा गरीब बच्चों को दी जा रही शिक्षा की भी जेम्स मेडिसन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ने तारीफ की। कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि जेम्स मेडीसन विश्वविद्यालय की तरफ से डीसीआरयूएसटी के साथ एमओयू की इच्छा प्रकट की गई है। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर होने से दोनों देश के विद्यार्थियों को एक दूसरे की संस्कृति को जानने का अवसर मिलेगा। शिक्षा पद्धति में एक दूसरे के अनुभव से दोनों देशों को लाभ मिलेगा। अमेरिका के विद्यार्थियों को भी भारत की शिक्षा पद्धति से और भारतीय विद्यार्थियों को अमेरिका की शिक्षा पद्धति से काफी कुछ सीखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि केवल ज्ञान ही बांटने से बढता है।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार प्रो.अनिल खुराना, प्रो.जे.एस.सैनी, प्रो.आर.सी. नोटियाल, प्रो.सुजाता राणा, प्रो.राजबीर सिंह, प्रो.चित्ररेखा काबरे, प्रो.ज्योति शर्मा पाण्डेय,प्रो.किरण नेहरा, प्रो.अजय मोंगा व डा.सीमा चावला उपस्थित थे।