सोनीपत, 1 जून। हरियाणा की उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.बी.के.कुठियाला ने कहा कि पाठ्यक्रम में राष्ट्रीयता की भावना का समावेश होना चाहिए। पाठ्यक्रम की संरचना इस प्रकार करनी चाहिए, जिसमें विद्यार्थियों की आकांक्षाओं, अपेक्षा व महत्वकांक्षाओं का समावेश हो। उन्होंने कहा कि मूल्य आधारित शिक्षा दी जानी चाहिए।
प्रो.कुठियाला दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल में वर्कशॉप ऑन सिलेबस रिविजन बेस्ड ऑन अर्निंग फॉर लाइवलीहूड पर संबोधित करते हुए कहा कि यह वर्कशॉप आयोजित करने का मूल उद्देश्य सभी विश्वविद्यालय के अधिष्ठाताओं से मिलकर पाठ्यक्रम की पुन:संरचना के आधारभूत बिंदू व तौर तरीके निर्धारित करना है। नया पाठ्यक्रम ऐसा हो जो कि मूल्यों पर आधारित, रोजगारपरक व समयकालीन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारी शिक्षा व शिक्षक दोनों ही रोल मॉडल होने चाहिए, जिससे विद्यार्थी प्रेरणा लेकर अच्छे नागरिक बनें,देश व प्रदेश के समग्र विकास में योगदान दें पाएं।
प्रो.कुठियाला ने कहा कि इन बातों के समावेश से पाठयक्रम की पुन:संरचना इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने विस्तृत में वर्कशॉप में पूरे दिन की कार्यक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि वर्कशॉप से हम कुछ निष्कर्षों पर पहुंचेंगे, जो कि पाठ्यक्रम की संरचना के लिए आधारभूत बिंदू होंगे।
नार्थकैप विश्वविद्यालय के प्रो-चांसलर प्रो.प्रेम वर्त ने मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि अगर विद्यार्थी में मूल्य नहीं हैं अथवा उसका दृष्टीकोण खराब है तो विद्यार्थी द्वारा प्राप्त की गई उच्चकोटि की शिक्षा भी व्यर्थ है। उन्होंने विस्तार से बताया कि किस तरह मूल्यों का नए पाठ्यक्रम में समावेश किया जाए, जिससे की विद्यार्थी आने वाले समय में अच्छे नागरिक बन सकें व एक सफल जीवन व्यतीत कर सकें।
प्रो.प्रेम वर्त ने कहा कि मूल्यों के बिना शिक्षा अधूरी है। उन्होंने वर्कशॉप में आए विभिन्न अधिष्ठाताओं कहा कि मूल्य अधारित शिक्षा के अंश पाठ्यक्रम में अपने तरीके से शामिल करें, ताकि पाठ्यक्रम एक अच्छी शिक्षा दे सके। इस प्रकार के पाठ्यक्रम से विद्यार्थी के अंदर निस्वार्थ व परोपकार जैसी भावनाएं पैदा होंगी और वे एक आदर्श जीवन व्यतीत कर पाएंगें। एक शिक्षित व्यक्ति के साथ अच्छा नागरिक भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोजगार के लिए ज्ञान, कौशल व दृष्टिकोण का मिश्रण होता है। हमारा ज्यादा ध्यान ज्ञान पर केंद्रित होता है। ज्ञान का हमें सुदपयोग समाज की समस्याओं के निराकरण के लिए करना चाहिए। जिस भावना से हम कार्य करते हैं, वह हमारे दृष्टिकोण को प्रस्तुत करता है।
एनसीइआरटी के पूर्व अध्यक्ष प्रो.जे.एस.राजपूत ने कहा कि हमारी शिक्षा प्रणाली में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यक्ता है। हमें फिर से निर्धारित करने की आवश्यक्ता है कि विद्यालयों , महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में क्या पढाया जाए। उन्होंने जापान का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हर बच्चें को एक बार हिरोशिमा व नागाशाकी के म्यूजियम में ले जाकर यह बताया जाता है कि हमारी किस तरह से दुर्दशा हुई थी व किस तरीके से हमारा पुर्नउत्थान हुआ है। यह जापान के विद्यार्थियों में राष्ट्रभावना व कर्मठता की भावना भरने के लिए किया जाता है। जिससे ओत प्रोत होकर विद्यार्थी एक अच्छे नागरिक बनते हैं व जापान की उन्नति में भागीदार बनते हैं।
प्रो.राजपुत ने विभागाध्यक्षों को कहा कि जो भी पाठ्यक्रम बनाएं, उसमें पॉवर ऑफ आइडिया व पॉवर ऑफ इमेजिनेशन का स्थान जरूर छोड़ें, ताकि विद्यार्थियों की रूचि तथा रचनात्मकता बनी रहे। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दी जाए, जो न केवल ज्ञान दे,अपितु विवेक भी दे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने अपने संबोधन में कहा कि मानव को निष्काम भाव से कर्मयोगी की तरह कार्य करना चाहिए। जो कार्य निमिमात्र बनकर परोपकार की भावना से किया जाए, वह कार्य निश्चित तौर पर सफल होता है।
कुलपति ने उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो.बी.पी.कुठियाला व सभी वक्ताओं का स्वागत किया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों का भी स्वागत करते हुए आशा व्यक्त कि प्रतिभागियों का उत्साह देखते हुए ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्यशाला अपने उद्देश्य में पूर्णतय सफल होगी, जिसका लाभ विद्यार्थियों को भी निश्चित तौर पर मिलेगा। कुलसचिव प्रो.सुधीर गर्ग ने सभी वर्कशॉप में भाग लेने के लिए धन्यवाद किया। इस अवसर पर जीजेयू,हिसार के कुलपति प्रो.टंकेश्वर कुमार, सीआरएसयू, जींद के कुलपति प्रो.आर.बी.सोलंकी,मदवि रोहतक के कुलपति प्रो.बी.के.पूनिया, वाईएमसीए के कुलपति प्रो. दिनेश अग्रवाल,सुपवा, रोहतक के कुलपति प्रो.राजबीर सिंह,आईजीबीयू के कुलपति प्रो.बंसल,बीपीएस, खानपुर की रजिस्ट्रार प्रो.रितु बजाज आदि मुख्य रूप से मौजदू थे।