सोनीपत, 22 सितंबर। अगर आप बेसमेंट या भवन के किसी भी अंदरूनी हिस्से में मोबाइल सिग्रल न मिलने की समस्या से परेशान हैं तो अब जल्द ही इससे आपको छूटकारा मिलेगा। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल की असिस्टेंट प्रोफेसर डा.सुमन देसवाल द्वारा सैल्यूलर कम्यूनिकेशन की सर्विस को बेहतर बनाने के लिए अल्गोरिदम डेवलैप किया है, जिसके कारण यह संभव हो पाया है।
आम तौर पर घर या कार्यालय में कई स्थान ऐसे होते हैं, जहां पर मोबाइल के सिग्नल या तो कम रहते हैं या बिल्कुल भी नहीं । ऐसे आमतौर पर मोबाइल उपभोक्ता को परेशानी का सामना करना पड़ता है। न तो कई बार महत्वपूर्ण मोबाइल कॉल सुन सकते हैं तथा डाटा न होने के कारण महत्वपूर्ण मेल का कार्यालय से जवाब भेजने में पेरशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा एक स्थान से दूसरे स्थान पर लगातार मूवमेंट करने की वजह से लोगों को आवाज का ब्रेक होना, साफ सुनाई न देना आदि समेत कई समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है।
इन समस्यओं के निवारण के लिए डॉ. देसवाल ने ट्राई (टेलीकॉम रेगुलेटरी फैम्टोसेल संगठित सेल्युलर नैटवक्र्स के ऑथोरिटी ऑफ इण्डिया) द्वारा निधार्रित आठ सर्विस के पैरामीटर जैसे की वॉयस क्वालिटी,पैकेट लॉस रेशो, पैकेट डिले, कम्युटेशनल कामपलैक्सिटीव सिग्नल ओवर हैड आदि को लेकर कई वर्ष पूर्व शोध कार्य प्रारंभ किया। उन्होंने यात्रा करते समय मोबाइल का इस्तेमाल तथा बेस्मेंट व भवन के किसी के अंदरूनी हिस्से में काम करने के दौरान मोबाइल सिग्नल की आने वाली समस्या पर फोकस रखा और उन्होंने पाया कि इस समस्या के समाधान के लिए टॉवर लगाना महंगा विकल्प है। इसके लिए उन्होंने फैम्टोसेल यंत्र की उपयोगिता को बढाने के लिए अल्गोरिदम बनाया है। इसके विकसित होने से उपरोक्त समस्याओं का समाधान हो पाया।
फैम्टोसेल में डॉ. देसवाल द्वारा प्रस्तावित विधि को इस्तेमाल कर सिग्नल व डाटा की समस्या का निराकरण हो सकता है। फैम्टोसेल मॉडम के माध्यम से मोबाईल फोन को सैल्यूलर नेटवर्क से जोड़ता है,जिससे डाटा व वॉयस की क्वालिटी अच्छी आएगी। कॉल ड्राप की समस्या कम हो जाएगी। थ्री जी के मोबाइल को यह ऑफ लोड करेगा तथा इंटरनेट के माध्यम से कॉल होगी। मोबाईल की बैटरी लम्बे समय तक चलती है।
क्या कहना है शोध के बारे में प्रो. सिंगरोहा
प्रों. अनिता सिंगरोहा ने कहा कि यह शोध आने वाले समय में कम्युनिकेशन की दुनिया में मील का पत्थर साबित होगा। मोबाईल उपभोक्ताओं की वॉयस क्वालिटी की जरूरतों को पूरा करेगा।
शोध होता है विश्वविद्यालय की रीड की हड्डी : कुलपति प्रो. अनायत
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि विश्वविद्यालय का का कार्य ज्ञान पैदा करने के साथ साथ समाज के जीवन को बेहतर बनाना भी होता है। उन्होंने कहा कि शोध विश्वविद्यालय के लिए रीड की हड्डी के समान होता है। शोधार्थी को शोध करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसका शोध कार्य मानव के जीवन को बेहतर बनाने के साथ साथ पर्यावरण के अनुकून होना चाहिए। प्रो. अनायत ने कहा कि डा.देसवाल द्वारा किया गया शोध मोबाइल फोन में सिग्नल की समस्या को कम करने के लिए कारगर साबित होगा। आह्वान किया की शोधाथाीर्