सोनीपत, 25 अप्रैल : दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो. राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी, नैनोटेक्नोलॉजी , पर्यावरण एवं ऊर्जा के क्षेत्र में हो रहे शोध कार्यों का उपयोग मानव कल्याण के लिए बहुत लाभदायक है। इन सभी क्षेत्रों में शोध की अपार संभावनाएं हैं।
कुलपति प्रो. अनायत जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित दो द्विसीय कांफ्रेंस के उद्घाटन के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दो दशक पूर्व विदेश में दी गई कन्वर्जन थ्योरी का इस तरह के शोधों का एक जगह सदुपयोग में अहम योगदान है। विज्ञान का विभिन्न विषयों के साथ गहरा संबंध है। इन विषयों के शोधों के परिणाम को एकत्रित करके मानव कल्याण के लिए उपयोग में लाने पर जोर दिया।
कुलपति प्रो. अनायत ने विज्ञान को ग्रामीण क्षेत्र एवं गरीबों के विकास के लिए उपयोग करने की ओर आए हुए प्रतिभागियों का ध्यान आकर्षित करते हुए याद दिलाया कि जब तक ये परिणाम ग्रामीण क्षेत्रों एवं गरीबों तक पहुंचने में वैज्ञानिकों का अहम योगदान है। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विषय को भविष्य के विज्ञान का विषय बताया और कहा कि इस क्षेत्र में हो रहे प्रयोगो और शोधों की उपयोगिता मानव के कल्याण के लिए होनी चाहिए।
कांफ्रेंस के संयोजक एवं ऊर्जा एवं पर्यावरण अधिष्ठाता प्रो.जे.एस.राणा ने कहा कि जैव प्रौद्योगिकी पर होने वाली कांफ्रेंस के दूरगामी परिणाम होंगे। जैव प्रौद्योगिकी विषय का कृषि, औषधी, सुक्ष्मविज्ञान एवं एन्जाइम जैसे क्षेत्रों में होने वाले शोधों की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के प्रयोगों को नैनो टैक्नोलॉजी, पर्यावरण एवं ऊर्जा आदि के क्षेत्रों को साथ लेकर अच्छी तकनीक के आविष्कार किए जा सकते हैं।
प्रो.राणा ने कहा कि जल्दी जल्दी हो रहे दवाइयों के प्रतिरोधक जीवाणुओं के लिए नई तकनीकों का आविष्कार भी जैव प्रौद्योगिकी में संभव है। इस संकाय का कंप्यूटर जैसे विषयों के साथ मिलकर बायोइंफोरमैटिक्स जैसे संकाय प्रारंभ किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस विषय पर शोध प्रस्तुत करने वाले सभी वैज्ञानिकों के शोधपत्रों की उपयोगी बातों की एक बुकलैट भी जारी की जाएगी।
कुलसचिव प्रो.एस.के.गर्ग ने इस अवसर पर इस तरह के आयोजनों को लेकर प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि ऊर्जा के प्राकृतिक स्रोत पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाते। जबकि दूसरे ऊर्जा के स्रोत पर्यावरण को हानि पहुंचाते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि कांफ्रेंस का प्रतिभागियों को निश्चित तौर पर लाभ होगा। इस अवसर पर महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा.अजय सिंह यादव, सीडीएलयू, सिरसा के प्रो.सुरेश गहलावत,प्रो.अशोक शर्मा, प्रो.सुजाता राणा, डा.दिनेश कुमार, प्रो.किरन नेहरा, प्रो.अनिल सिंधु,डा.सुखदीप सांगवान, डा.पामेला, डा.रीति चौधरी, डा.अदिति आर्य,डा.सुदेश चौधरी, डा.निशा दहिया, डा.धमेंद्र , डा.कृष्ण कुमार, मेहर सिंह, कमल ढिल्लो आदि उपस्थित थे।