सोनीपत, 12 सितंबर। संस्कृति व संस्कार, मस्ती के साथ हरियाणवी हंसगुल्ले तथा मानवीय मूल्यों पर जोर देने के साथ सामाजिक बुराइयों पर तीखे प्रहार। मस्ती की ऐसी पाठशाला का आयोजन दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल में लगाई गई। जिसने हरियाणा की गौरवशाली संस्कृति के अनूठे रंगों से विश्वविद्यालय परिसर को सराबोर कर दिया।
मेरा हरियाणा-मेरी संस्कृति-मेरा स्वाभिमान शीर्षक के अंतर्गत डीसीआरयूएसटी में आयोजित कार्यक्रम पूर्ण रूप से हरियाणा की कला व संस्कृति को समर्पित रहा, जिसका शुभारंभ कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने दीप प्रज्वलित करके किया। इस दौरान डीसीआरयूएसटी के छात्र-छात्राएं गगन हरियाणवी के गीतों पर जमकर थिरकरने पर मजबूर हो गए। वहीं प्रसिद्ध हरियाणवी हास्य कलाकर महेंद्र ऊर्फ झंडू ने हंसगुल्लों से दर्शकों को लोट-पोट कर दिया।
प्रदेश की कला व संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि प्राचीन समय भी हरियाणा का अस्तित्व रहा है। 993 से 1193 ई. तक हरियाणा का राजनैतिक व भौगोलिक अस्तित्व रहा है। उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता का ज्ञान अर्जुन को कुरूक्षेत्र की धरा पर ही दिया था। वेद की ऋचाएं सरस्वति नदी के किनारें पर गुंजी। देश का मात्र एक प्रदेश हरियाणा ही ऐसा है, जिसका नाम भगवान श्री कृष्ण के नाम पर है। हरियाणा का अर्थ हरि का आना। अत: हम कह सकते हैं कि प्रदेश का इतिहास प्राचीन समय में भी गौरवशाली रहा है।
गगन हरियाणवी के गीत – बरगर खान म्हैं मजा नहीं , जो बाजरा खान म्हैं है , मनै भाषा तै कई आवा सैं के माध्यम से प्रदेश के पौष्टिक खान-पान व प्रदेश के युवाओं की चहुंमुखी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। कुएं म्हैं लुगाइयां धोर, काम के फकीर का, हांडा सै भकाया मोडे ….चौकस किसे बीर के गीत पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी जमकर थिरके।
प्रसिद्ध हरियाणवीं हांस्य अभिनेता महेंद्र उर्फ झंडू की प्रस्तुति पर दर्शक हंस हंस कर लोट पोट हो गए। इसके बाद झंडू ने एक हरियाणवी गाने पर प्रस्तुति देकर दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया। कलाकार झंडू मुख्य आकर्षण का केंद्र बने रहे। गायक जे प्रीत ने -तेरे सपने के सिवा कोई ताणा बुनता ना,कई बार समझाया पर एक सुनता ना।। यो दिल ना काबू मंै मेरे यो तेरे प्यार मैं खोजया ….की मधुर प्रस्तुति से दर्शकों का मन मोह लिया।
इस मौके पर विश्वविद्यालय के विद्यार्थी भी पीछे नहीं रहे। छात्र संदीप सिंह ने – गंगा जी के प्यार में सरस्वती..रणभूमि में पीठ नहीं दिखाते गीत के माध्यम से प्रदेश की युद्धभूमि की गौरव गाथा प्रस्तुत करते हुए वीरों को नमन किया। संदीप सिंह व उसके साथियों ने -तेरे बोल रसिले व हट जा ताऊ पाछे ने , नाचण दे जी भरके हरियाणवी गानों पर शानदार प्रस्तुति दी, जिस पर दर्शकगण जमकर नाचते नजर आये। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र अभिमन्यू कुहाड़ ने युवाओं को प्रदेश के गौरवशाली इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि प्रदेश की भूमि ने लाखों शहीद पैदा किए हैं,जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ही दादा कुशाली सिंह दहिया पैदा हुए हैं,जिन्होंने गुरु तेग बहादुर सिंह जी के शीश की रक्षा के लिए अपना शीश कटा दिया था। कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो.अनायत ने हरियाणवी कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर स मानित किया। कार्यक्रम के कन्वीनर प्रो.सुरेंद्र सिंह दहिया, कोर्डीनेटर डा.सुमन सांगवान, डा.पवन दहिया व को -कोर्डीनेटर अमन अहलावत ने कुलपति प्रो. अनायत को स्मृति चिन्ह देकर स मानित किया।