सोनीपत, 14 सितंबर। प्रख्यात चिंतक एवं पत्रकार डा.वेदप्रकाश वैदिक ने कहा कि इंग्लिश की अपेक्षा हिंदी में कार्य करना आसान है। उन्होंने कहा कि हिंदी संस्कृत भाषा की बेटी है। संस्कृत भाषा की गम धातु से दो लाख शब्द बन सकते हैं। संस्कृत भाषा की वैज्ञानिकता का मुकाबला विश्व की कोई भी भाषा नहीं कर सकती।
डा.वैदिक हिंदी दिवस पर राष्ट्र भाषा प्रसार समिति के सौजन्य से दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इंग्लिश की अपेक्षा हिंदी भाषा में कार्य करने में समय और परिश्रम दोनों कम लगते हैं। अगर अंग्रेजी के साथ हिंदी को रखेगें तो अंग्रेजी महारानी रहेगी तथा हिंदी नौकारानी बनी रहेगी।
डा.वैदिक ने कहा कि वे किसी विदेशी भाषा के विरोधी नहीं है, बल्कि वे अंग्रेजी के वर्चस्व के विरोधी है। स्वयं का उदाहरण देते हुए डा. वैदिक ने कहा कि उन्होंने अब तक लगभग 90 देशों की यात्रा कर ली हैं लेकिन उनके हर स्थान पर हस्ताक्षर हिंदी में ही हैं। इतना ही नहीं बैंक में भी उनके स्व हस्ताक्षर हिंदी भाषा में ही हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में वहीं राष्ट्र विश्व की शक्तियां बने,जिनमें सब कार्य अपनी भाषा में किया। जब तक हम ज्ञान,विज्ञान और तकनीक को स्वभाषा में नहीं करेगें तब तक हम विश्व शक्ति नहीं बन सकते। डा.वैदिक ने कहा कि हिंदी भाषा के संस्कार अपने बच्चों को बचपन में ही डालिए,ताकि उनके अंदर भी राष्ट्र भाषा के प्रति प्रेम बना रहे।
कुलपति प्रो. अनायत ने कहा कि देश के चालीस प्रतिशत भाग में बोली जाने वाली हिंदी भाषा ही देश को एकता के सूत्र में बांधने की क्षमता रखती है। उन्होंने इस दौरान उपस्थित प्रबुद्ध व्यक्तियों को संकल्प करवाया कि वे अपने हस्ताक्षर स्वभाषा में ही करेगें। इसके साथ साथ वे नामपट्ट,निमंत्रणपत्र व अपना व्यसाय स्वभाषा में ही करेगें। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को बढावा देने के लिए डीसीआरयूएसटी जल्द ही विश्वविद्यालय की वैबसाइट हिंदी में लांच करेगा। ताकि अंग्रेजी का ज्ञान न रखने वाले लोगों को भी विश्वविद्यालय की संपूर्ण जानकारी हिंदी में मिल सकेगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष प्रो. विरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि वर्तमान समय के प्रदेश के शासक हिंदी के प्रति ज्यादा संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि जल्दी की ग्रंथ अकादमी तकनीकी शिक्षा परिषद के पाठ्यक्रम की पुस्तकों का कार्य हिंदी में करना प्रारंभ कर दिया। अगले तीन चार माह में कुछ पुस्तकों के प्रकाशन का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति के सदस्यकार्यक्रम के मुख्यातिथि डा.महेश गुप्ता ने कहा कि भारत संघ की राजभाषा है। उन्होंने कहा कि हिंदी को समझना और समझाना आसान है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डा.शिव कुमार खण्डेलवाल ने कहा कि हमारा देश जिस बात के लिए जाना जाता है , वह बात हिंदी भाषा में हैं। इस दौरान उपस्थित प्रबुद्ध व्यक्तियों ने हिंदी के बारे में अपने विचार भी प्रकट किए। कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन प्रो.अशोक बत्र ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला इंजीनियर रजनी अनायत, रजिस्ट्रार प्रो. अनिल खुराना, प्रो.सुधीर गर्ग,प्रो.प्रतिभा चौधरी, प्राचार्य प्रो.बी.के.गर्ग, प्रो.अशोक कुमार, प्रो.संतराम देशवाल, प्राचार्या डा.ज्योति जुनेजा, डा.गीताजंलि ग्रोवर, प्रो.हवा सिंह,एजीएम वाई.के.त्यागी व संजय सिंगला आदि उपस्थित थे।