सोनीपत, 18 दिसंबर। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष की शुक्ल एकादशी के दिन अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से भी जानी जाती है। उन्होंने कहा कि मोक्षदा एकादशी मोह का क्षय करने वाली है, इस कारण इसका नाम मोक्षदा एकादशी रखा गया है।
कुलपति प्रो.अनायत गीता जयंती के अवसर पर बतौर मुख्यवक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव चाहता है कि वह सदा सुखी रहे, सदा जीवित रहे और अज्ञानी न रहे। वास्तव में जो मनुष्य चाहता है वह इस संसार के पास है ही नहीं, बल्कि जो मनुष्य को चाहिए, वह उसके पास पहले से ही उपलब्ध है। कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि यह संसार पांच भौतिक तत्वों से मिलकर बना है। जो निरंतर अपना रूप बदलते रहते हैं। लेकिन मनुष्य परिवर्तनशील नाम, रूप आदि के साथ स्वयं को जोड़ लेता है,जिससे वह दु:खी होता है। जो बनता और परिवर्तनशील होता है, वह भौतिक कहलाता है। हमारे विचार और संसार भौतिक हैं।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि जो सदा रहता है, वह है आत्मा। जिसे अग्नी जला नहीं सकती, पानी गला नहीं सकता, हवा सुखा नहीं सकती। वहीं विचारों और संसार का आधार है। वह आत्मा आध्यात्म कहलाता है और संसार का चलाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई स्वयं को भौतिकता में संलग्न कर लेता है , वह अपनी आध्यात्मिक शक्ति को खो देता है। विचारों और भौतिकता को संयमित करने के लिए आत्मा या आध्यात्मिक ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए। इससे मनुष्य को स्वामित्व, ईशत्व व नियंत्रित्व प्राप्त होगा।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार प्रो.एस.के.गर्ग ने कहा कि गीता का ज्ञान सर्वव्यापक है। आत्मा की नित्यता बताते हुए श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि यह आत्मा अजर-अमर है । शरीर के नष्ट होने पर भी यह आत्मा मरती नहीं है । जिस प्रकार व्यक्ति पुराना वस्त्र उतार कर नया वस्त्र धारण कर लेता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है। प्रो.गर्ग ने कहा कि आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न अग्नि जला सकती है, न वायु सुखा सकती है और न जल ही गीला कर सकता है । उन्होंने जीवन में गीता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। इससे पूर्व पारंपरिक ढंग से श्रीमद्भगवद गीता का पूजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला इंजीनियर श्रीमती रजनी अनायत, कुलसचिव प्रो.अनिल खुराना, परीक्षा नियंत्रक डा.एम.एस.धनखड़,प्रो.जे.एस.राणा,प्रो.प्रतिभा चौधरी, प्रो.अशोक शर्मा, प्रो.विजय शर्मा,प्रो.आर.के.सोनी, प्रो.जे.सी.बत्रा, डा.हेमेंद्र अग्रवाल,कार्यकारी अभियंता बलबीर सिंह श्योकंद, एसडीओ राकेश डागर, विवेकानंद केंद्र से भूपेंद्र सिंह, कमलदीप, भूपेंद्र आदि उपस्थित थे।
सोनीपत, 18 दिसंबर। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्रकुमार अनायत ने कहा कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने मार्गशीर्ष की शुक्ल एकादशी के दिन अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था। इसलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से भी जानी जाती है। उन्होंने कहा कि मोक्षदा एकादशी मोह का क्षय करने वाली है, इस कारण इसका नाम मोक्षदा एकादशी रखा गया है।
कुलपति प्रो.अनायत गीता जयंती के अवसर पर बतौर मुख्यवक्ता के तौर पर संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि मानव चाहता है कि वह सदा सुखी रहे, सदा जीवित रहे और अज्ञानी न रहे। वास्तव में जो मनुष्य चाहता है वह इस संसार के पास है ही नहीं, बल्कि जो मनुष्य को चाहिए, वह उसके पास पहले से ही उपलब्ध है। कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि यह संसार पांच भौतिक तत्वों से मिलकर बना है। जो निरंतर अपना रूप बदलते रहते हैं। लेकिन मनुष्य परिवर्तनशील नाम, रूप आदि के साथ स्वयं को जोड़ लेता है,जिससे वह दु:खी होता है। जो बनता और परिवर्तनशील होता है, वह भौतिक कहलाता है। हमारे विचार और संसार भौतिक हैं।
कुलपति प्रो.अनायत ने कहा कि जो सदा रहता है, वह है आत्मा। जिसे अग्नी जला नहीं सकती, पानी गला नहीं सकता, हवा सुखा नहीं सकती। वहीं विचारों और संसार का आधार है। वह आत्मा आध्यात्म कहलाता है और संसार का चलाता है। उन्होंने कहा कि अगर कोई स्वयं को भौतिकता में संलग्न कर लेता है , वह अपनी आध्यात्मिक शक्ति को खो देता है। विचारों और भौतिकता को संयमित करने के लिए आत्मा या आध्यात्मिक ज्ञान पर ध्यान देना चाहिए। इससे मनुष्य को स्वामित्व, ईशत्व व नियंत्रित्व प्राप्त होगा।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार प्रो.एस.के.गर्ग ने कहा कि गीता का ज्ञान सर्वव्यापक है। आत्मा की नित्यता बताते हुए श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि यह आत्मा अजर-अमर है । शरीर के नष्ट होने पर भी यह आत्मा मरती नहीं है । जिस प्रकार व्यक्ति पुराना वस्त्र उतार कर नया वस्त्र धारण कर लेता है, उसी प्रकार आत्मा भी पुराना शरीर छोड़कर नया शरीर धारण कर लेती है। प्रो.गर्ग ने कहा कि आत्मा को न तो शस्त्र काट सकते हैं, न अग्नि जला सकती है, न वायु सुखा सकती है और न जल ही गीला कर सकता है । उन्होंने जीवन में गीता के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। इससे पूर्व पारंपरिक ढंग से श्रीमद्भगवद गीता का पूजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की प्रथम महिला इंजीनियर श्रीमती रजनी अनायत, कुलसचिव प्रो.अनिल खुराना, परीक्षा नियंत्रक डा.एम.एस.धनखड़,प्रो.जे.एस.राणा,प्रो.प्रतिभा चौधरी, प्रो.अशोक शर्मा, प्रो.विजय शर्मा,प्रो.आर.के.सोनी, प्रो.जे.सी.बत्रा, डा.हेमेंद्र अग्रवाल,कार्यकारी अभियंता बलबीर सिंह श्योकंद, एसडीओ राकेश डागर, विवेकानंद केंद्र से भूपेंद्र सिंह, कमलदीप, भूपेंद्र आदि उपस्थित थे।