अक्टूबर 22, 2018 : गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा है कि भगवान वाल्मीकी जी ने महाकाव्य रामायण और योगवशिष्ठ जैसे महान धार्मिक गं्रथों की रचना की है। भगवान वाल्मीकी जी संस्कृत के जन्मदाता हैं। हरियाणा सरकार कैथल जिले में भगवान वाल्मीकी संस्कृत विश्वविद्यालय का निर्माण करवा रही है जिसका निर्माण कार्य प्रगति पर है। प्रो. टंकश्वर कुमार सोमवार को भगवान वाल्मीकि जी के प्रगट दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। समारोह का आयोजन वाल्मीकिन समाज के कर्मचारियों के सौजन्य से विश्वविद्यालय के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के मुख्य हाल में हुआ। समारोह की अध्यक्षता गुजविप्रौवि गैरशिक्षक कर्मचारी कल्याण संघ के प्रधान चरणदास अठवाल ने की। इस अवसर पर आदि धर्म समाज भारत, हिसार के अमर सिंह दैत्य, यूनाईटेड इंश्योरेंस कम्पनी लिमिटेड के वरिष्ठ शाखा प्रबंधक सज्जन अठवाल व प्रमुख समाजसेवी विजय कागड़ा बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि भगवान वाल्मीकी जी की शिक्षाओं को हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने भगवान वाल्मीकी जी के बताए रास्ते पर चलने का आहवान किया। प्रधान चरणदास अठवाल ने कैथल में भगवान वाल्मीकी जी के नाम पर स्थापित किए जा रहे संस्कृत विश्वविद्यालय के लिए हरियाणा सरकार का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि जिस समाज के गुरू के हाथ में कलम है, परन्तु उन्हीं के अनुयायी शिक्षा से वंचित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा सफलता की प्रथम सीढ़ी है। इसलिए युवाओं को अधिक से अधिक शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए। इस अवसर पर कबीर शिक्षा समिति के प्रधान जोगीराम खुंडिया, गुजविप्रौवि जीवन के प्रधान राजबीर मलिक, यूसीआईसी हैड मुकेश अरोड़ा, ताराचंद बलियाली, मियां सिंह जी, प्रोक्टर प्रो. संदीप राणा, साइकोलोजी विभाग के अध्यक्ष प्रो. राकेश बहमनी, वीर जागृति मिशन की टीम, नगर निगम हिसार के प्रधान प्रवीन बोहत, सचिव राजेश, आदि धर्म समाज के मंगत कागड़ा, योगराज, सोनू, लंकेश, लखन भादड़, अक्षय, वाल्मीकी जागृति मिशन के संयोजक गुरूचरण अठवाल, जीत बोहत, अतिथिगण, विश्वविद्यालय के कर्मचारी व विद्यार्थी भारी संख्या में उपस्थित थे। मंच संचालन महेन्द्र शर्मा ने किया।
moral values n sanskrit can stop curruptin. Tertidm only
संस्कृत भाषा का आविर्भाव वेदों से हुआ है. अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न अग्नि, वायु आदित्य, अंगिरा, ब्रह्मा और हज़ारों मनुष्यों की भाषा संस्कृत थी मानव सृष्टि काल 1.96 अरब वर्षों में महर्षि बाल्मीकि मात्र 9 लाख के लगभग पुराने हैं. मनुष्य किसी भाषा को उत्पन्न नहीं करता अपितु प्रचलित भाषा में सुधार या विकार उत्पन्न करता है. किसी एक व्यक्ति को किसी भाषा का आविष्कारक कहना अनुचित है. ऋषि बाल्मीकि वैदिक ऋषि और राम भक्त होने के कारण अन्य ऋषियों की भांति हमारे पूज्य हैं