हिसार : गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा है कि शिक्षा का मुख्य उद्देश्य मानव को महान नागरिक बनाना है। जो व्यक्ति समाज व राष्ट्र के विकास में योगदान दे तथा नैतिक मूल्यों पर आधारित बेहतर समाज बनाने के लिए प्रयासरत रहे, वही व्यक्ति वास्तव में शिक्षित व्यक्ति कहलाता है। शिक्षक की जिम्मेदारी बनती है कि वो अपने विद्यार्थी को केवल किताबी ज्ञान न दे बल्कि उसे महान नागरिक बनाने के लिए भी प्रेरित करे। प्रो. टंकेश्वर कुमार विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केन्द्र में गुरूवार से शुरू हुए 24वें ओरिएंटेशन कोर्स के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। राज्य सूचना आयुक्त भूपेन्द्र धर्मानी बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित थे। कुलसचिव अनिल कुमार पुंडीर तथा विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. के.सी. अरोड़ा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अध्यक्षता मानव संसाधन विकास केन्द्र की निदेशिका प्रो. बंदना पाण्डेय ने की।
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि सूचना क्रांति के इस युग में विद्यार्थियों के पास सीखने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन अध्यापक का यह दायित्व बनता है कि वो विद्यार्थी को यह समझाए कि उसे क्या सीखना चाहिए और क्या नहीं सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में सुविधाएं बढ़ी हैं तो समस्याएं व चुनौतियां भी बढ़ी हैं। विद्यार्थियों को इन चुनौतियों के लिए तैयार करना भी शिक्षक का दायित्व है।
भूपेद्र धर्मानी ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देश आज भारतीय संस्कृति को अपनाने में लगे हैं जबकि भारतीय पश्चिमी संस्कृति को आदर्श मानने की भूल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय परम्पराएं बच्चों के सर्वांगीण विकास में अहम भूमिका अदा करती हैं। उन्होंने अध्यापक को विद्यार्थी का रोल मॉडल बताते हुए कहा कि अध्यापक को चाहिए कि वो ऐसा आचरण प्रस्तुत करे जिससे कि विद्यार्थी उसे अपनाकर जीवन में सफलताएं हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। भारतीय अपनी क्षमताओं के अनुरूप कार्य करें तो भारत को विश्वगुरू बनने से कोई नहीं रोक सकता।
डा. अनिल कुमार पुंडीर ने कहा कि हर क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्ति को किसी न किसी औपचारिक प्रशिक्षण के बाद काम पर लगाया जाता है। जबकि शिक्षण एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें शिक्षा ग्रहण करने के बाद शिक्षक को सीधे ही कार्य पर लगा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि शिक्षक के लिए जरूरी है कि वो अपडेट रहे तभी वो अपने विद्यार्थियों को अपडेट रख सकेगा। उन्होंने कहा कि हर विद्यार्थी के भीतर एक अध्यापक बैठा होता है। अध्यापक की जिम्मेदारी बनती है कि वो विद्यार्थी के लिए मार्गदशर्क शिक्षक, सहयोगी के साथ-साथ हर परिस्थिति में उसे रास्ता दिखाने वाला बने। शिक्षक को चाहिए कि वो विद्यार्थी को अच्छा नागरिक बनाने में योगदान दे ताकि वो विद्यार्थी समाज व राष्ट्र के लिए लाभदायक हो सके।
प्रो. के.सी. अरोड़ा ने अपने सम्बोधन में कहा कि शिक्षक को अध्यापक और आचार्य से उपर उठकर एक गुरू की भूमिका में आना होगा। अपने आचरण से विद्यार्थियों को शिक्षा देनी होगी तथा गुरू बनकर उनकी हर समस्या का समाधान करना होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षक की यह जिम्मेदारी बनती है कि शिक्षा का मूल उद्देश्य समाप्त न हो तथा उसका विद्यार्थी अपने मूल उद्देश्य ने न भटके।
प्रो. बंदना पाण्डेय ने स्वागत सम्बोधन किया तथा बताया कि यह कोर्स प्रतिभागियों के लिए अत्यंत लाभदायक होगा। कोर्स में देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए 37 शिक्षक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कोर्स कोर्डिनेटर डा. वंदना पूनिया हैं। मंच संचालन व धन्यवाद प्रस्ताव अनुराग सांगवान ने प्रस्तुत किया।