चंडीगढ़: चंडीगढ़ रूरल एजुकेशनवेलफेयरएसोसिएशनके प्रेजिडेंट अन्तरजोत सिंह ने चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि देश के अधिकतर राज्यों औरकेंद्र शासित प्रदेशों मेंशिक्षा का अधिकार लागू हो चुका है औरइस अधिकार के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों तथा देश के नगर निगम और पंचायतों में आने वालेस्कूलों कोमान्यता दी जाचुकी है। राइट टूएजुकेशन एक्ट के अन्तर्गत 60 विद्यार्थियों के लिए दो कमरों और एक हेड टीचर एवं स्टोर रूम की मूलभूतसुविधा उपलब्ध करवाने वाले शैक्षणिकसंस्थान कोमान्यता दी जासकती है। वहीं मानव संसाधन विकास मंत्रालय की रिपोर्ट के आधार पर यदि किसीस्कूल के पास खेल का मैदान नहीं है तो वह नजदीक के सरकारी पार्क या नगर निगम तथा अन्य मैदान का प्रयोग कर सकता है। यहाँ तक कि देश की राजधानी दिल्ली में मात्र 200 गज में चल रहे स्कूलों को मान्यता भीदी गई है।
अन्तरजोत नेबताया कि चंडीगढ़ प्रशाशनके शिक्षा विभाग ने मार्च 2016में फॉर्म संख्या -1 भरने का निर्देश दिया था। इस फॉर्म को चंडीगढ़ के कालोनियों और गावों में चल रहे स्कूलों ने निर्धारित तिथि से पूर्व जमा करवा दिया है।
महासचिव महिपाल शर्माने कहा कि ये स्कूलपिछले 15-30 वर्षों से चल रहेहैं और बहुत कमफीस लेकर बहेतर शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। इन स्कूलों के परिणाम भी शत प्रतिशत रहतें है। बच्चों के शारीरिक विकास के लिएखेल, स्काउटिंग गाइडिंग, भिन्न–भिन्न प्रतियोगिताएंतथा अन्यगतिविधियों की सहभागिता मेंभी बढ़ावा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इनस्कूलों से पढ़कर निकले विद्यार्थी देश के विकास में अपना सक्रिय योगदान दे रहें हैं।उन्होंने चंडीगढ़ प्रशाशनके शिक्षा विभाग से आग्रह किया कि शिक्षा का अधिकार को अमल में लाते हुएइन स्कूलों को मान्यता प्रदान की जाये।यदि किसी स्कूल में कोई खामी पाई जाती है तो उसे दिशा निर्देश जारी कर पूरा करने के लिए आरईटी के तहतसमय दिया जाये।