हिसार ,02 मार्च 2016 : गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा है कि मानव की तरह पशुओं को भी जीवन का अधिकार मिलना चाहिए। हर मनुष्य को शाकाहारी होना चाहिए ताकि अनेकों निर्दोष जानवरों की जानें बचाई जा सकें। भोजन में बहुत से जानवरों की जानें प्रतिदिन जाती हैं। प्रो. टंकेश्वर कुमार बुधवार को फार्मास्युटिकल साईंसिज विभाग के सौजन्य से चौधरी रणबीर सिंह सभागार के सेमीनार हाल-1 में ‘हेंडलिंग एंड ब्लड सेंपलिंग ऑफ स्माल लेबोरेटरी एनीमल्स’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्यातिथि सम्बोधित कर रहे थे। अध्यक्षता कार्यशाला के संयोजक एवं विभागाध्यक्ष प्रो. डी.सी. भट्ट ने की।
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि मानव जिन दवाओं का प्रयोग करता है उनका प्रयोग पहले पशुओं पर किया जाता है। इस दौरान राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों का प्रयोग करना चाहिए, जो इन मामलों में पशुओं के हितों के लिए स्थापित किए गए हैं। ऐसी तकनीक विकसित की जानी चाहिएं जिनसे पशुओं को कम से कम क्षति पहुंचे। उन्होंने ‘लैब ऑन चिप’ टैक्नॉलोजी को बढ़ावा देने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि पशुओं के हितों के मामले में दुनिया में दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं। एक तरफ तो पशु हिंसा व मानव अधिकारों के नाम पर अनेकों बार वस्तुओं व सेवाओं पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए जाते हैं, वहीं दूसरी तरफ भोजन के लिए पशुओं की हत्या के बारे में कोई दिशानिर्देश निर्धारित नहीं किए जाते।
डीन फैकल्टी ऑफ मेडिकल साईंसिज प्रो. मिलिन्द पारले ने अपने सम्बोधन में कहा कि आपके पास नए आइडियाज होने चाहिए तभी आप नए अविष्कार कर पाएंगे। जिसके पास अविष्कारक दिमाग है वो हर व्यक्ति वैज्ञानिक है। अपने आइडियाज को विकसित करने के लिए अपना 100 प्रतिशत लगा दें। सफलता जरूर मिलेगी।
कार्यशाला के मुख्य वक्ता लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के प्रो. पी.के. कपूर ने कहा कि प्रयोगशालाओं में रखे जाने वाले छोटे प्राणियों के प्रति हमें संवेदनशील होना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए कि वे अपना स्वस्थ दाव पर लगाकर हमें स्वस्थ रखते हैं तथा हमारा जीवन बचाने के लिए अपना जीवन भी दाव पर लगा देते हैं। पशु आधारित शोध के प्रति कुछ नैतिक दायित्व होते हैं, जिन्हें अपनाना जरूरी है। हमें कोशिश करनी चाहिए कि पशुओं को बेवजह पीड़ा न हो।
प्रो. डी.सी. भट्ट ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि भगवान के साथ-साथ खुद को भी जानने का दर्शन भारतीय दर्शन का मूल सिद्धांत रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका से बाहर अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन द्वारा प्रमाणित सबसे ज्यादा 584 उत्पादन इकाईयां भारत में ही हैं। जो भारत को एक बहुत बड़ा मैन्यूफैक्चिरिंग हब साबित करता है। विश्व में भारत जेनेरिक दवाओं का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक है जिसमें 60 प्रतिशत दवाईयां अमेरिका को निर्यात की जाती हैं।
कार्यशाला के संयोजक सचिव डा. दिनेश ढींगड़ा ने अपने धन्यवाद भाषण में कहा कि यह कार्यशाला प्रतिभागियों के लिए अत्यंत लाभदायक होगी। लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के प्रो. हरीश गुलाटी ने हेंडलिंग, सैक्सिंग एंड ब्लीडिंग ऑफ ऐनीमल्स विषय पर व्याख्यान दिया। लाला लाजपतराय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हिसार के बीर सिंह व दरिया सिंह ने अपने प्रायोगिक अनुभव से प्रतिभागियों को लाभान्वित किया। कार्यशाला में प्रो. डी.एन. मिश्रा, प्रो. एस.के. सिंह, प्रो. सुनील शर्मा, प्रो. नीरू वासुदेवा, प्रो. सुमित्रा सिंह, डा. मुनीष आहुजा, डा. अश्वनी कुमार, डा. संदीप जैन, डा. मीनाक्षी भाटिया, अर्चना कपूर, डा. रेखा राव, डा. विक्रमजीत सिंह, डा. मनोज मेडल, डा. दीपक जिंदल, तरूण, हिमांशी, रवि, डा. नरेश फंडन, दीपिका सैनी, सुमित धारीवाल, सुरभि रोहिला, मोनू, प्रीति, कैलाश, निधि, समृद्धि, मुकुल, राकेश सैनी, नेहा, शिवा, काजल सहित लगभग 150 प्रतिभागी उपस्थित थे।