भारतीय वैज्ञानिक अजय शर्मा सभी साइंसदानों से विनती करता हे कि वे विडीओ रेकोर्डेड़ –खुली डिस्कशन करें। यहा साफ प्रूफ हैं कि स्कूली बच्चों को दुनिया भर में कुछ जगह आधार भूत गलत साइन्स पढ़ायी जा रही है। साइंसदानों को अपनी कमजोरियाँ बच्चों पर नहीं डालनी चाहिये।
Part I
न्यूटन ने कभी ‘न्यूटन ने गति का दूसरा नियम , F=ma नहीं दिया था, इसे यूलर ने 1775 में , न्यूटन कि मोत के 48 साल बाद दिया था।
(i) Masterpiece प्रीसिपिया (1687) में पेज 19-20 पर न्यूटन ने गति का दूसरा नियम
फोर्स = गति मेँ बदलाव =dv
(ii) स्विटजरलैंड के लियोनहार्ड यूलर ने न्यूटन की मृत्यु की 48 वर्ष बाद 1775 मेँ फोर्स का नया समीकरण दिया थ.
फोर्स= मास x त्वरण or Force = mass x acceleration
(iii) प्रमाण : मैथमेटिकल असोशिएशन ऑफ अमेरीक1, वॉशिंग्टन , की वेबसाइट ( eulerarchive.maa.org ) के पेपर E479 पेज 223 में F=ma दिया हैं ,
(iv) इसे तरह वैज्ञानिको ने न्यूटन की मृत्यु के बाद यूलर का समीकरण (F=ma) न्यूटन के नाम कर दिया।
इस मेँ न्यूटन का कोई कसूर नहीं , यह दूसरे वैज्ञानिको की गलती है।
Part II
न्यूटन कि गति का तीसरा नियम, अधूरा है। रिएक्शन (प्रतिक्रिया) सभी हालातों मेँ एक्शन (क्रिया) के बराबर नहीं होती ।
न्यूटन का नियम वस्तु की प्रकृति और composition (कोंपोजिसन) की अनदेखी करता है
न्यूटन के अनुसार : गोल्ड, रबर और स्पोंज / की सब वस्तुओं की रिएक्शन (प्रतिक्रिया) बराबर होनी चाहिए।
रबर की गेंद रेबौण्ड ( टकरा कर वापिस आती ) करती हैं, रिएक्शन (प्रतिक्रिया) है.
स्पोंज / ऊन की गेंद रेबौण्ड ( टकरा कर वापिस नहीं आती ) करती हैं, रिएक्शन (प्रतिक्रिया) नहीं है.
रिएक्शन (प्रतिक्रिया) =0
इस तरह न्यूटन के तीसरे नियम में संशोधन होना चाहिए।
न्यूटन का तीसरा नियम संसोधित रूप में
‘क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है, पर यह ज़रूरी नहीं कि प्रतिक्रिया हमेशा क्रिया के बराबर हो। इस कि वजह यह है कि वस्तु कि प्रकृति और संरचना रिजल्ट्स बदल सकती हैं। ’
Part III
आर्कीमीडीज का सिन्धआंत वस्तु के आकार कि अनदेखी करता है, इसी लिये संशोधित किया है।
अगर हम 1 कि.ग्रा. सोने के गोले और 1 ग्राम पत्ती को पानी में फैंके तो 15 सैंकिंड में बराबर दूरी तय करेगी………. भविष्यवाणी
स्पष्ट विरोधाभास :: 10 कि.ग्रा. की वस्तु तेजी से नीचे गिरती है और 1 ग्राम की पत्ती (छतरीनुमा ) धीरे-धीरे। यह पूरी तरह गलत है।
Some of Einstein’s works give absolutely meaningless results.
E=mc2 की खामी
(साधारण भाषा में)
‘दिवाली पर मोमबती जलाओ, यह होली तक जलती जाएगी और इसका भार भी बढ़ता जाएगी।’
इस तरह ऊर्जा और भार अपने आप बढ़ते जाएगें ???
सभी तथ्यों को पुस्तकों, शोधपत्रों, कोंफेरेंसों मेँ सिद्ध किया है। इन्हे साधारण लेंखों और वीडीयो से दर्शाया गया है। I have presented my researches in USA (2006, 2014), England (2005,2007), Russia (2015) ,Germany(2002), Taiwan Ukraine etc.