20 जनवरी, 2016 : गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार में विश्वविद्यालय के गुरू जम्भेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन केन्द्र के सौजन्य से श्रीमद्भगवद् गीता व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता महामंडलेश्वर विश्वविख्यात गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज थे। मुख्य संसदीय सचिव डा. कमल गुप्ता व चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा के कुलपति डा. आर.एस. शर्मा व्याख्यान माला के दौरान उपस्थित रहे। कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने स्वागत किया तथा कुलसचिव प्रो. एम.एस. तुरान ने धन्यवाद किया।
स्वामी श्री ज्ञानानंद जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता एक सम्पूर्ण चित्रण, दर्शन व जीवन विज्ञान है। गीता क्या सही और क्या गलत है की पहचान कराती है। गीता का ज्ञान मानव में क्षमताओं का विकास करता है। उन्होंने कहा कि पाश्चात्य विचारधारा भौतिकवादी दृष्टिकोण को संचित करती है जिससे शारीरिक सुविधाएं तो बढ़ जाती हैं, लेकिन क्षमताएं कमजोर होती हैं। क्षमताएं कमजोर होना स्वस्थ समाज का लक्षण नहीं है। गीता जीवन को ऊर्जावान बनाने का संदेश देती है तथा मानसिक, बौद्धिक तथा कार्यक्षमताओं को बढ़ाती है। मनुष्य को सुविधाओं व अनुकूलताओं में जीवन जीने की आदत पड़ गई है।
गीता सिखाती है आदत पड़ गई है। मानव यह सोचता रहता है कि वह क्या पा सकता है, लेकिन गीता यह सोच पैदा करती है कि मानव क्या दे सकता है। देने की सोच से ही क्षमताओं का विकास होता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा पद्धति में धर्म को जोड़ा जाना जरूरी है। धर्म को अलग करके जीवन सम्भव नहीं है। धर्म संयम, सद्भावना, सहनशीलता, जागरूकता व विवेक पैदा करता है। धर्म गाड़ी के ब्रेक की तरह काम करता है। मनुष्य को सद्गुणों व दूर्गुणों में भेद सिखाता है। धर्म जीवन की सही दिशा है। उन्होंने कहा कि गीता भविष्य की चिंता की बजाए वर्तमान में जीना सिखाती है। मनुष्य में जितनी एकाग्रता होगी उसका आत्मविश्वास उतना ही बढ़ेगा। बटोरने से नहीं बांटने से विश्व में शांति सम्भव है। गीता के तीन योग कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग जीवन का आधार हैं।
कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि गीता में मानव की हर समस्या का समाधान है। गीता की हर युग में गहन प्रासांगिकता रही है, आज भी है और आगे भी रहेगी। उन्होंने कहा कि गीता को 5151 वर्ष हो गए हैं। उन्होंने कहा कि स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज के प्रयासों से गीता का संदेश विश्वभर में और अधिक मजबूती से फैला है। उन्होंने स्वामी ज्ञानानंद जी को गीता का सच्चा मनुष्य बताया तथा कहा कि गीता के दर्शन से विश्व में प्रगति व शांति सम्भव है। उन्होंने कहा कर्म का तात्कालिक फल ना देखकर उसका परिणाम देखना चाहिए। तभी हम सुख को पा सकेंगे।
कुलसचिव प्रो. एम.एस. तुरान ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि गीता का ज्ञान हर वर्ग के लिए अत्यन्त आवश्यक है। विशेषकर युवा गीता की शिक्षाओं को अपनाकर कर्म करने में अपना चित्त लगा दे तो उसकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। साथ ही वह सफलता की सीढ़ियों को भी पा लेगा।
गुरू जम्भेश्वर जी महाराज धार्मिक अध्ययन संस्थान के अध्यक्ष डा. किशनाराम ने अपने सम्बोधन में धार्मिक अध्ययन संस्थान तथा गुरू जम्भेश्वर जी महाराज के जीवन के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि धार्मिक अध्ययन संस्थान में धर्मों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इस अवसर पर कार्यक्रम के सहसंयोजक प्रो. विनोद कुमार बिश्नोई व डी.एन. बेनीवाल उपस्थित थे।
We are a citizen journalism news Web site based in INDIA,that aims to put a human face on the news by showcasing vivid, first-person stories from individuals involved in current events.
"We are driven by the belief that writing in the first person is more compelling than traditional journalism because it almost always requires the inclusion of personality. Third-person “he-said-she-said†reporting can mask the truth while making the reporter’s prejudice appear objective.
"We invite ordinary people to tell their stories and photographs for free, letting readers vote on their favorites. The highest-rated stories star on the web site main pages, netting citizen journalists names high ratings and exposure on web search engines.