वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे 2021 पर मैं अपको मानसिक रूप से स्वस्थ और सजग रहने की दुआ और सलाह देता हूं साथ के साथ एक आसान तरीका साझा करता हूं जिसके द्वारा आप आसानी से सिर्फ अपने ब्रैथिंग (सांसों) से खुद को मानसिक तौर पर ही नही समग्र रूप से स्वास्थ और मजबूत कर सकते हैं।
हाल ही में कोविड पैंडमिक की दूसरी लहर अपने देश पर सबसे अधिक जानलेवा साबित हुई है जिसने हमारी तीनों तरह की फिजिकल, मेंटल,और इकोनॉमी हैल्थ को चौपट किया है। अगर दुनिया के बड़े बड़े मनोचिकित्सकों की माने तो विश्व को सबसे बड़ा नुकसान मानसिक स्वास्थ्य को लेकर हुआ है। और सबसे ज्यादा मौतें भी कॉरोना महामारी के डर से हुई मानसिक कमजोरी के कारण हुई हैं।
कोविड 19 वायरस ने मानव में श्वसन तंत्र( रेस्पिरेटरी सिस्टम) को प्रभावित किया और फिर ऊपर से देश भर में ऑक्सीजन क्राइसिस व अव्यवस्थ स्वास्थ्य सुविधा की मार पड़ रही थी। तो
इस स्थिति में लोगों का डरना स्वाभाविक था।
अगर आप कॉविड पॉजिटिव होते हैं तो बेवजह पैनिक नहीं होना चाहिए , करोना को हराने के लिए पॉजिटिव एटिट्यूड व मानसिक शक्ति ज्यादा काम आती है।
*इसीलिए ब्रेथिंग एक्सरसाइज और चेस्ट फिजियोथेरेपी से करोना के खिलाप आपका सिर्फ श्वसन तंत्र ही नहीं बल्कि मानसिक तंत्र भी मजबूत होता है*।
आइए जानते हैं *कैसे हम अपनी सांसों के माध्यम कोविड व अन्य समस्या के खिलाफ फेफड़े और माइंड दोनो को एक साथ मजबूत कर सकते हैं*।
भारतीय प्राचीन वैदिक मत के अनुसार *मानव शरीर की रहस्यमयी और रोचक जानकारी* –
वेदानुसार
पवनो बध्यते येन मानस्तेनऐव बध्यते।
मानश्च बध्यते येन पवनस्तेन बध्यते।।
अर्थात जिसने प्राणवायु को जीता उसने मन को भी जीत लिया, जिसने मन को जीता उसने प्राणवायु को भी जीत लिया।
मेडिकल साइंस के अनुसार शरीर की कार्यात्मक रचना में हमारे शरीर में 2 तरह के फंक्शनल ऑर्गन सिस्टम होते हैं _पहले वो जो *ऑटोनोमिक नर्वस सिस्टम* के तहत सिर्फ स्वतः ही कार्य करते रहते हैं( involuntary functional organ), जैसे लीवर, हार्ट, किडनी ब्रेन आदि।_
दूसरे *सोमेटिक नर्वस सिस्टम* जिनके अंतर्गत हमारी इच्छा से कार्य करने वाले अंग (वॉलंटरी फंक्शनल ऑर्गन)जैसे हमारे हाथ , पैर , सिर और जिव्हा इत्यादि_ ।
सबसे रोचक और रहस्यमई बात ये है कि *हमारे शरीर में तीसरे प्रकार के भी दो ऐसे सिस्टम हैं जिनको मैं रहस्यमयी खजाने का दरवाजा कहता हूं जो ऑटोमैटिक कार्य करने के साथ साथ हमारी इच्छा से भी कार्य कर सकता है हम उसको अपने कंट्रोल में भी कर सकते हैं जैसे – रेस्पिरेटरी ब्रेथिंग सिस्टम और माइंड & थॉट सिस्टम।*
इस प्रकार हमारा मन और श्वासोँ का संबंध एक दूसरे के साथ है।
#इस बारे में कोई दो राय नहीं है कि हमारी सांसे हमारे मन को तथा हमारा मन हमारी सांसों को प्रभावित करता है।
*हमारा माइंड एक बल्ब की तरह है और सांसे इसका स्विच बटन है।*
आप तनाव या चिंता को कम करने के लिए या अपने फेफड़े की कार्यक्षमता में सुधार करने के लिए श्वास अभ्यास कर सकते हैं वो इस प्रकार हैं :
1. डीप ब्रेथिंग/ कॉन्शियस/फोकस ब्रेथिंग एक्सरसाइज _
जैसे ही हमको हमारी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने को बोला जाता है वैसे ही हमारी उथली सांस लंबी व गहरी हो जाती है। गहरी सांस की एयर वॉल्यूम कैपसिटी नोर्मल टाइडल वॉल्यूम( 500 ml)से लगभग डेढ़ गुना ज्यादा होता है।
सामान्य तौर पर हम उथली सांस लेते हैं जिसका कारण हमारा ध्यान निम्न अनाप सनाप विचारों में बिजी रहता है उथली सांस गहरी सांस के ऑक्सीजन वॉल्यूम का 1/10 ही होता है। जितनी सांसे उथली और संकुचित होती हैं उतना ही ज्यादा रेस्पिरेटरी रेट (नोर्मल 12-16 ब्रेथ/मिनट ) होता है और जितनी सांसे लंबी गहरी होती हैं उतना रेस्पिरेटरी रेट कम होता है।
जितने भी सांस और दिल के तथा एंजाइटी व डिप्रेशन के रोगी होते हैं उनके ब्रेथ/मिनट रेट ज्यादा होता है मतलब ऐसे लोग अपनी सांसे 1 मिनट में जल्दी जल्दी और ज्यादा संख्या में लेते हैं वहीं दूसरी तरफ जितने भी एथलीट ,स्प्रिचुअल योगी, स्पोर्ट्स पर्सन होते हैं उनका रेस्पिरेटरी रेट कम होता है। वो अपनी एक लंबी गहरी सांस को मिनिमम 5 से 10 सेकंड लेते हुए रोकते और छोड़ते हैं इस प्रकार उनका ब्रेथ आप/मिनट बीपीएम 6 से 12/मिनट होता है।
उनका गहरा लंबा सांस उनको धीर गंभीर, खुशदिल, जवान और मजबूत और सुंदर बनाता।
इसे करने के लिए:
स्टेप 1.आराम से बैठें या लेटें।
स्टेप 2. आप सांस कैसे ले रहे हैं, इसे बदलने की कोशिश किए बिना अपनी सांसों के प्रति अपनी जागरूकता लाएं।
स्टेप 3.सामान्य श्वास और गहरी श्वास के बीच किसी भी अंतर को नोटिस करें। ध्यान दें कि आपका पेट गहरी साँस के साथ कैसे फैलता है।
स्टेप 4.ध्यान दें कि गहरी साँस लेने की तुलना में उथली साँस लेना कैसा लगता है।
स्टेप 5. कुछ मिनटों के लिए अपनी गहरी सांस लेने का अभ्यास करें। और अनुभव करें की सांसे नाभी से खीच रहा हूं
स्टेप 6. अपने पेट के बटन के नीचे एक हाथ रखें, अपने पेट को आराम से रखें, और ध्यान दें कि यह प्रत्येक श्वास को अंदर लेने पेट कैसे उठता है और प्रत्येक साँस छोड़ते के साथ दबता है।
स्टेप 7. प्रत्येक साँस छोड़ते के साथ एक जोर से आहें भरें।
स्टेप 8. इस गहरी साँस को कल्पना और एक फोकस शब्द या पॉजिटिव एफिरमेटिव वाक्यांश के साथ जोड़कर सांस पर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास शुरू करें जो विश्राम का समर्थन करेगा। और आपके जीवन को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करेगा।
स्टेप 9. आप कल्पना कर सकते हैं कि आप जिस हवा में सांस लेते हैं वह आपके पूरे शरीर में शांति और शांति की लहरें लाती है। मानसिक रूप से कहते हैं, “शांति और शांति से साँस लेना।”
स्टेप 10. कल्पना कीजिए कि आप जिस हवा को बाहर निकालते हैं वह तनाव और चिंता को दूर करती है। आप खुद से कह सकते हैं, “तनाव और चिंता को छोड़ना।
2. एब्डोमेन ब्रीथिंग
डायाफ्रामिक श्वास को पेट की श्वास या पेट श्वास भी कहा जाता है जो पूर्ण ऑक्सीजन विनिमय को प्रोत्साहित करता है. इस प्रकार की श्वास हृदय की धड़कन को धीमा कर देती है और ब्लड प्रेशर को स्थिर भी कर सकती है. इसके अलावा, पेट की सांस लेने से तनाव में कमी, स्ट्रेचिंग में वृद्धि की दक्षता और बेहतर शरीर जागरूकता को बढ़ावा देने में मदद करता है.
इस तरीके से करें
स्टेप 1. अपने घुटनों और सिर के नीचे एक तकिया के साथ फर्श या बिस्तर पर पीठ के बल लेट जाएं.
स्टेप 2. एक हाथ पेट बटन के ऊपर और दूसरा हाथ हृदय पर रखें.
स्टेप 3. अपनी नाक के माध्यम से श्वास लें और ध्यान दें कि आपका पेट कैसे सांस लेता है.
स्टेप 4. अपने पेट की मांसपेशियों को उलझाते हुए धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, पेट से सारी हवा को बाहर निकालें.
3.उज्जायी प्राणायाम
गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े। इस आसन को करने से फेफड़े हेल्दी रखने के साथ शरीर में ऑक्सीजन लेवल ठीक रहता है। इसके साथ ही मन शांत रहता है, अस्थमा, टीबी, माइग्रेम, अनिद्रा आदि समस्याओं से लाभ मिलता है।
4. अल्टरनेटिव-नॉस्ट्रिल ब्रीदिंग (नाडी शुद्धि व अनुलोम विलोम )
स्टेप्स 1.अपनी आँखें बंद करें या धीरे से नीचे की ओर टकटकी लगाए
स्टेप्स 2.साँस लेना और साँस छोड़ना शुरू करने के लिए।
स्टेप्स 3. अपने अंगूठे से अपने दाहिने नथुने को बंद करें।
स्टेप्स 3. अपने बाएं नथुने के माध्यम से श्वास लें।
स्टेप्स 4. अपनी अनामिका से अपनी बाईं नासिका को बंद करें।
अपने दाहिने नथुने के माध्यम से खोलें और साँस छोड़ें।
स्टेप्स 4. अपने दाहिने नथुने के माध्यम से श्वास लें।
स्टेप्स 5.अपने अंगूठे से अपने दाहिने नथुने को बंद करें फिर पुनः बाएं नथुने से सांस ले।
डा. निमेष गुप्ता, फिजियोथैरेपिस्ट, हॉलिस्टिक हेल्थ & वेलनेस कोच