संजय द्विवेदी : जब से पूरी शिद्दत से काम करने वाली मोदी सरकार आर्इ है -देशी विदेशी तत्व तिलमिलाये हुए हैं। सरकार की आलोचना का दौर पहले दिन से प्रारम्भ हुआ था, जो निर्बाध चल रहा है। 2019 आते आते आक्रामक हो जायेगा। जो लोग अलग अलग खेमों में बंटे हुए है, वे मोदी को हटाने के लिए एक हो कर अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। इनके मोदी विरोध का कारण देश भक्ति या भारतीय जनता जनता की भलार्इ नहीं, वरन उनके अपने निजी स्वार्थ है।
चीन भारत में ऐसी सरकार नहीं चाहता, जो उसकी ताकत को ललकारे। विस्तारवादी नीति पर प्रश्न चिन्ह लगाये। पाकिस्तान की शह से कुछ अरबदेश भारत का इस्लामीकरण करना चाहते हैं, इसलिए उन्हें ऐसी सेकुलर सरकार चाहिये, जो उनकी हसरतों में व्यवधान नहीं डाले। पाकिस्तानी फौज भारत में ढिल मुल सरकार चाहती है, ताकि उसकी किसी भी हरकत पर आक्रामक हो कर पलटवार नहीं करें। पूरे देश में उसके स्लीपरसेल सक्रिय रहें। शहरों के भीड़ भरे बाज़ारों, रेलों और बसों में बम विस्फोट करते रहें। सेकुलर सरकार वोटों के लालच में आंख बंद किये बैठी रहे। आतंकियों को मारे नहीं। पकड़े नहीं। पूरे देश को खुला अभयारण्य मान कर उन्हें घूमने दें।
दस वर्ष तक अकर्मण्यता और भ्रष्ट आचरण में रिकार्ड बनाने वाली पार्टी मोदी को हटाने के लिए उसी दिन से तैयारी कर रही है, जिस दिन उन्हें ऐतिहासिक पराजय मिली थी। सोनिया-राहुल और उनके अनुयायी मोदी को इसलिए नहीं हटाना चाहते, क्योंकि वे सत्ता आने के बाद देश की जनता के लिए अच्छे काम करेंगे, वरन इसलिए हटाना चाहते हैं, ताकि उसके किये गये पाप उजागर नहीं हों और लूट का कारोबार फिर चालू हो सकें। अनुयायी चाहते हैं कि उनके पूराने दिन लौट आये, उनकी सम्पति सरकार के रेडार पर नहीं आये और वे सत्ता के नज़दीक रह कर मजे लूट सके।
प्रादेशिक क्षत्रपों के मन में अब भी भारत का प्रधानमंत्री बनने की इच्छाएं दबी हुर्इ है। इन इच्छाओं के पंख तभी लग सकते हैं, जब मोदी कमज़ोर हो और सोनियां ब्रिगेड़ के हाथ में सत्ता की चाबी आ जाय। सोनिया बिग्रेड़ या तो उन्हें प्रधानमंत्री बना देगी या अपनी सरकार बना कर उन्हें सरकार में शामिल कर लेगी और वे अल्पमत सरकार को बाहर से समर्थन देने के एवज में मोटी रकम वसूल लेंगे। अर्थात मोदी के हटते ही उनकी पांचों अंगुलियां घी में जाने वाली है। इन्हें मिल बैठ कर रेवडिया खाने का मजा तभी आयेगा जब केन्द्र में फिर अल्पमत सेकुलर सरकार बनेगी और साम्प्रदायिक शक्तियां सत्ता से बाहर हो जायेगी।
अभी अभी राजनीति में अवतरित हुए धूर्त पुरुष- अरविंद केजरीवाल, िवेदशी फंड़िग के सहारे मोदी को हटा कर प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रहे हैं। छोटी सी दिल्ली सम्भली नहीं, अब जनाब पूरा भारत सम्भालने की हसरते पाल रहे हैं। श्रीमान ने सोशल मीडिया में पेशेवर लोगों को लगा रखा है, जो मोदी को ले कर रोज कुछ न कुछ लिखते रहते हैं। दुष्प्रचार कर वे सोचते हैं कि उनकी ओछी और झूठी बातों को पूरा देश सच मान लेगा। भारत की जनता के पास एक महा फरेबी पाक एजेंट को प्रधानमंत्री के रुप स्वीकार करने के अलावा कोर्इ चारा ही नहीं रहेगा।
मोदी सरकार को वे लोग भी हटाना चाहते हैं जो रसोर्इ गैस का ब्लैक करते थे। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिड़ी को तिकड़म से हड़प्प लेते थे। काले धन से जमीनों के सौदे कर उन्हें बेचते थे। इनका काला धन खून के आंसू रुला रहा हैं। वे इस आशंका को ले कर भयभीत हैं कि कहीं काला धन की भी मोदी सरकार सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कर दें। यदि ऐसा हुआ तो न धन रहेगा और न ही इज्जत। ता उम्र जेलों में सड़ने की तकलीफ और झेलनी पड़ेगी। ये लोग भी ऐसी सरकार चाहते हैं, जो खूब भी मजे लूटे और उन्हें भी लूटने दें।
भारत की जमीन से वामपंथियों के पांव तो उखड़ रहे हैं, किन्तु जाते जाते भी भारत में मोदी सरकार के स्थान पर सेकुलर सरकार बनाना चाहते हैं, ताकि उनका अस्तित्व बचा रहें। जीवन भर संध को कोसने वाले वामपंथी किसी संघी को भारत की गद्दी पर बैठा देख अपना आपा खो चुके हैं। उनके साहित्यकार असहिष्णु हो गये हैं। मोदी को हटाने के लिए वामपंथी कुछ भी कर सकते हैं। कश्मीरी अलगाववादियों को गले लगा सकते हैं। पाक की जय जय कार कर सकते हैं। केजरीवाल को कंधे पर बिठा सकते हैं। राहुल जैसे नौसिखीये की भ्रष्ट सरकार को स्वीकार कर उसे भारत लूटने की अनुमति दे सकते हैं।