जब जब देश में देश और धर्म के गद्दारों का नाम आता है तो ‘जयचंद’ का नाम सबसे पहले आता है…!किसी भी धोखेबाज, देशद्रोही या गद्दार के लिए “जयचंद” का नाम तो मानो मुहावरे की तरह प्रयोग किया जाता है…!अपने यहाँ एक कहावत भी है कि….जयचंद तूने देश को बर्बाद कर दिया, गैरों को लाकर हिंद में आबाद कर दिया…!लेकिन, क्या आप जानते हैं कि जयचंद कौन था…..और उसने क्या किया था…जो आज सैकड़ों सालों के बाद भी उसके नाम के साथ “गद्दार” और “धोखेबाज” शब्द जुड़े हुए हैं और, हमेशा ही जुड़े रहेंगे…?जयचंद कोई “कटुआ” नहीं था बल्कि…..वो कन्नौज साम्राज्य के राजा था…!वो गहरवार राजवंश से थे……..जिसे अब राठौड़ राजवंश के नाम से जाना जाता है…!हालांकि, पृथ्वीराज और जयचंद की पुरानी दुश्मनी थी और दोनों के मध्य युद्ध भी हो चुके थे फिर भी पृथ्वीराज द्वारा संयोगिता से शादी के बाद वह जयचंद का दामाद बन चुका था…!पृथ्वीराज चौहान का राजकुमारी संयोगिता का हरण करके कन्नौज से ले जाना राजा जयचंद को कांटे की तरह चुभ रहा था और उसके दिल में अपमान के तीखे तीर से चुभ रहे थे…!वह किसी भी कीमत पर पृथ्वीराज का विनाश चाहता था……भले ही उसे कुछ भी करना पड़े….ठीक वैसे ही, जैसे कि आज SC/ST ACT राममंदिर विभिन्न कारणों से अपने ही हिन्दू भाई-बहन मोदी सरकार का विनाश चाहते है… चाहे, उन्हें कुछ भी करना पड़े…!खैर……अपने जासूसों से उसे पता चला कि मुहम्मद गौरी पृथ्वीराज से अपनी पराजय का बदला लेना चाहता है….बस फिर क्या था जयचंद को तो मानो अपने मन की मुराद मिल गयी और उसने गौरी की सहायता करके पृथ्वीराज को समाप्त करने का मन बना लिया……जैसे कि आज हमारे असंतुष्ट हिन्दू खान्ग्रेस से मिलकर मोदी को समाप्त करने का मन बना रहे हैं…!जयचंद अकेले पृथ्वीराज से युद्ध करने का साहस नहीं कर सकता था…..ठीक वैसे ही जैसे कि आज अकेली खान्ग्रेस , मोदी से मुकाबले का साहस नहीं कर पा रही है…!जयचंद ने सोचा कि इस तरह पृथ्वीराज भी समाप्त हो जायेगा और दिल्ली का राज्य उसको पुरस्कार स्वरूप दे दिया जायेगा…….जैसे आज के हिन्दू को लग रहा है कि अगर दिल्ली में उनके खान्ग्रेस की सरकार हो गई तो वो SC/ST Act हटा देगी और अयोध्या में राममंदिर भी बनवा देगी…!राजा जयचंद के देशद्रोह का परिणाम यह हुआ कि… जो मुहम्मद गौरी तराइन के प्रथम युद्ध में अपनी हार को भुला नहीं पाया था, वह फिर पृथ्वीराज का मुकाबला करने के षड़यंत्र रचने लगा…..इसे आप आज के अर्बन नक्सल और कैम्ब्रिज अटलांटिका का षड्यंत्र कह सकते हो…!राजा जयचंद ने दूत भेजकर गौरी को पृथ्वीराज के खिलाफ सैन्य सहायता देने का आश्वासन दिया…….जैसे कि अभी कुछ मठाधीशों को पैसे खिलाकर NOTA समर्थकों की संख्या बढ़ाई जा रही है ताकि BJP हार सके…!खैर…….देशद्रोही जयचंद की सहायता पाकर गौरी पृथ्वीराज से बदला लेने के लिए तैयार हो गया जब पृथ्वीराज को ये सूचना मिली की गौरी एक बार फिर युद्ध की तैयारियों में जुटा हुआ तो उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और मुहम्मद गौरी की सेना से मुकाबला करने के लिए पृथ्वीराज के मित्र और राज कवि चंदबरदाई ने अनेक राजपूत राजाओ से सैन्य सहायता का अनुरोध कियापरन्तु संयोगिता के हरण के कारण से राजपूत राजा पृथ्वीराज के विरोधी बन चुके थे वे कन्नौज राजा के संकेत पर गौरी के पक्ष में युद्ध करने के लिए तैयार हो गए……जैसे कि आज कुछ मठाधीशों के लेख एवं SC/ST ACT के कारण हिन्दू खान्ग्रेस के पक्ष में वोट देने को तैयार हो गए हैं…!1192 ई० में एक बार फिर पृथ्वीराज और गौरी की सेना तराइन के क्षेत्र में युद्ध के लिए आमने सामने डट गई और दोनों और से भीषण युद्ध शुरू हो गया……जैसे, अभी 2019 में चुनाव रूपी भीषण युद्ध होने वाला है…!इस युद्ध में पृथ्वीराज की ओर से 3 लाख सैनिकों ने भाग लिया था जबकि गौरी के पास एक लाख बीस हजार सैनिक थे…..जैसे हिन्दू 90 करोड़ है और मलेच्छ मात्र 20-25 करोड़…!लेकिन गौरी की सेना की विशेष बात ये थी कि उसके पास शक्तिशाली घुड़सवार दस्ता था…..जैसे आज भी जेहादी मानसिकता के लोग और नशरूद्दीन जैसे स्लीपर सेल हैं उनके पास…!पृथ्वीराज ने बड़ी ही आक्रामकता से गौरी की सेना पर आक्रमण किया क्योंकि, उस समय सेना में हाथी के द्वारा सैन्य प्रयोग किया जाता था लेकिन, गौरी के घुड़सवारो ने आगे बढकर राजपूत सेना के हाथियों को घेर लिया और उनपर तीर वर्षा शुरू कर दीजिससे घायल हाथी न तो आगे बढ़ पाए और न पीछे बल्कि, उन्होंने घबरा कर अपनी ही सेना को रोंदना शुर कर दिया.तराइन के द्वितीय युद्ध की सबसे बड़ी त्रासदी यह थी कि देशद्रोही जयचंद के संकेत पर राजपूत सैनिक अपने ही राजपूत भाइयो को मार रहे थे….जैसे कि आज मठाधीशों के बहकावे में आकर कुछ हिन्दू अपने ही हिन्दू भाइयों से गाली-गलौच करने पर उतारू हैं…!दूसरा, पृथ्वीराज की सेना रात के समय आक्रमण नहीं करती थी यही नियम महाभारत के युद्ध में भी था लेकिन तुर्क सैनिक रात को भी आकर्मण करके मारकाट मचा रहे थे…!परिणाम स्वरूप इस युद्ध में पृथ्वीराज की हार हुई और उसको तथा राज कवि चंदबरदाई को बंदी बना लिया गया, देश और धर्मद्रोही जयचंद का इससे भी बुरा हाल हुआ और उसको मार कर कन्नौज पर अधिकार कर लिया गया….ठीक उसी तरह जैसे कि अगर 2019 में खान्ग्रेस जीत जाती है तो, साम्प्रदायिक हिंसा बिल और भगवा आतंकवाद के दम पर हिंदुओं को कुचलने की तैयारी है…!खैर……पृथ्वीराज की हार से गौरी का दिल्ली, कन्नौज, अजमेर, पंजाब और सम्पूर्ण भारतवर्ष पर अधिकार हो गया……और, भारत मे अगले 600 सालों के लिए इस्लामी राज्य स्थापित हो गया…!और, बाद में उस मलेच्छ गोरी ने जयचंद को भी ये कहते हुए मार दिया कि……जो अपने देश और धर्म का नहीं हुआ… वो भला हमारा क्या होगा…..ठीक उसी तरह, जिस तरह आज मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हिंदुओं से भेदभाव शुरू हो चुका है…!इसीलिए….अब निर्णय आपको करना है कि आपको इस 2019 के तराइन की लड़ाई रूपी चुनावी युद्ध में आप मोदी रूपी पृथ्वीराज चौहान के साथ हैं….या फिर, NOTA रूपी हथियार का इस्तमाल कर “जयचंद” की भूमिका निभाते हुए गौरी का साथ देना चाहते हैं…!मैं तो हमेशा से पृथ्वीराज चौहान रूपी मोदी जी के साथ था…हूँ…और आजीवन ही रहूँगा…!