विशाल शुक्ला, मुंबई : सोशल मीडिया पे सक्रिय सवर्ण नोटाधारी कौन हैं? ओर कहाँ से है??उनकी नाराज़गी जायज है??कि नाजायज??क्या ये विशेषतः हिंदीभाषी सवर्ण बहुल क्षेत्र तक से ही आते है??और नोटाधारी का प्रभाव कहाँ कहाँ तक है??
सवर्ण बीजेपी समर्थक हिंदी भाषी बेल्ट से है? विहार,यूपी,मप्र,दिल्ली से ही ज्यादा है??बंगाल,उड़ीसा,पंजाब,कर्नाटक, आसाम जैसे कई अन्य राज्यो में नोटाधारी क्यो नही??क्योकि वहां सवर्ण बहुल हिन्दू नही है??सवर्ण बहुल क्षेत्र के हिन्दू ये सब मोदी को विकासवाद, ओर सनातन संस्कृति के संरक्षक के रूप मे ही पसन्द किये?? सवर्णो की 2014 पूर्व चुनाव मे अनकहीं उम्मीद की आस थी??कि शायद मोदी जी विकास पुरुष है??शायद वो योग्यता को महत्वपूर्ण स्थान देगे?? भूलचूक लेनिदेनी अनबन,समर्थन सत्ता और मतदाताओं के बीच होती ही रहती है??अब बीच मे अनायास आनपडे युद्धकाल जैसी स्थिति देश धर्म की इज्जत या सम्मान और आत्मगौरव और ऊंघते शेर जैसे हिंदू…?
नर्क के सबसे अंधेरे स्थान उन लोगों के लिए सुरक्षित किए जाएंगे जिन्होंने नैतिक संकट के समय तटस्थता बनाए रखी-:दांते
इस इटैलियन कवि की ये पंक्ति बहुत कुछ कहती है अब चुप बैठने से बड़ा कोई पाप नहीं होगा…!
हिंदू 1000वर्षों के अंधेरे को अपनी आत्मा में समाहित कर चुके हैं.??.डराए जाने पर कहते हैं….कोई बात नहीं…कोई मार नहीं रहा
पीटे जाने पर कहते हैं…कोई मार नहीं डाला
मार डाला जाए तो बचे हुए कहते हैं…अपने को तो कुछ नहीं कहा ना…बस…अपन चुपचाप बैठो
फिर सामुहिक नरसंहार होने पर कहते हैं…भगवान देख रहा है…अवतार लेगा और चुन चुन कर पापियों का नाश करेगा
कभी शिकायत करते हैं सब दुकानदार हैं कोई हिंदू का हित नहीं करेगा…सब चोर हैं
मगर एक बार भी नहीं कहेंगे… अपने धर्म…अपने राष्ट्र…अपने लोगों पर आघात करने वालों को आओ हम ही निपटा दें
ये तो गुंडागर्दी कहलाती है…!
विचारणीय है…यदि आत्मरक्षा गुंडागर्दी है तो क्या सवर्णो की आत्महत्या ही धर्म होगी?? क्या हम सवर्ण सामुहिक रूप से उसी ओर तो नही बढ़ रहे हैं??