जम्मू कश्मीर मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के उपाध्यक्ष और राज्य के डिप्टी ग्रांड मुफ्ती आजम नासीर-उल-इस्लाम ने मंगलवार को बेहद विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के मुसलमानों को एक अलग देश की मांग करनी चाहिए, क्योंकि वे दयनीय हालत में रहने को बाध्य हैं. उन्होंने कहा, भारत में मुसलमानों को लव जिहाद, गौरक्षा और अन्य चीजों के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है. भारत में मुस्लिमों की आबादी दुनिया में दूसरे नंबर पर है. पाकिस्तान सिर्फ 17 करोड़ लोगों को लेकर बना था. अगर भारत में मुसलमानों को परेशानी जारी रही तो हमें एक अलग देश बनाना होगा. मुस्लिम समुदाय को अलग देश की मांग करनी चाहिए.आरोप है कि मोदी राज में अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं हैं जबकि यह सरासर भ्रामक प्रचार है।
असल में यह समुदाय आजादी के बाद से ही अलग-थलग महसूस कर रहा है जिसकी वजह कांग्रेस सरकारों की नीतियां हैं। मुस्लिम अलग-थलग इसलिए भी हैं क्योंकि वे आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं।विश्व में जितने भी बड़े-बड़े मुस्लिम देश माने जाते हैं, मुस्लिमों को कहीं भी इतनी सुख-सुविधाएं या मजहबी स्वतंत्रता नहीं है जितनी कि भारत में। इसीलिए किसी ने सच ही कहा है कि ‘मुसलमानों के लिए भारत बहिश्त (स्वर्ग) है।’ परन्तु यह भी सत्य है कि विश्व के एकमात्र हिन्दू देश भारत में इतना भारत तथा हिन्दू विरोध कहीं भी नहीं है, जितना ‘इंडिया दैट इज भारत’ में है। इस विरोध में सर्वाधिक सहयोगी हैं-सेकुलर राजनीतिक स्वयंभू बुद्धिजीवी तथा कुछ चाटुकार नौकरशाह।
उनकी भावना के अनुरूप तो इस देश का सही नाम ‘इंडिया दैट इज मुस्लिम’ होना चाहिए .क्योंकि विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश है- जहाँ केवल जनसंख्या के आधार पर मुसलमानों की जायज -नाजायज मांगें पूरी कर दी जाती हैं,हिंदुस्तान में मुस्लिम सबसे सुरक्षित और खु़श है।कुछ ऐसी भी चीजें है जो मुसलमान केवल भारत में ही कर सकते है, बाकी किसी देश में नहीं।भारत में मुस्लिम लड़कियां जितनी सुरक्षित हैं बाकि कहीं और नही हैं। दुनियाभर में दूसरा कोई ऐसा मुल्क नहीं, कोई दूसरी ऐसी जगह नहीं, जहाँ मुस्लिम लड़कियां, भारत की मुस्लिम लड़कियों से अधिक खु़श और आज़ाद हो। भारत में मुस्लिम लड़कियों पर किसी तरह की रोक-टोक नहीं है उन्हें अपने जीने के तौर-तरीके चुनने की पूरी आजा़दी है।भारतीय मुसलमानों को पूरी आज़ादी दी गई है कि वो कहीं भी किसी भी देश में घूमने जा सकते हैं। भारतीय मुसलमान किसी भी देश की यात्रा करने के लिए स्वतंत्र हैं फिर वो चाहे शिक्षा के लिए हो या फिर रोजगार के लिए। जबकि कई देश मुसलमानों को जल्दी से वीजा नहीं देता हैं। पाकिस्तान के मुसलमानों की तुलना में भारत में रहने वाले मुसलमान अधिक संपन्न है, क्योंकि धर्म का भेदभाव किए बिना संविधान के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक के पास समान अधिकार हैं।
आज जो भारतीय देशद्रोही मुसलमान नेता पाकिस्तान को अपना आका मानते है और उसके इशारे पर देश को बाटने की बात करते है वो भूल जाते है उसी पाकिस्तान में मुसलमानो पर सबसे ज्यादा अत्याचार करने का रिकॉर्ड है .पाकिस्तान की माताएं अपने बच्चों से कहती हैं कि वे नमाज पढ़ने मस्जिदों में न जाएं यह इसलिए कि वहां की मस्जिदों में ही मुसलमान सुरक्षित नहीं है जबकि भारत में कहीं ऐसा नहीं है। यहां तो मस्जिदों में नमाज पढ़ने को ही प्राथमिकता दी जाती है। स्पष्ट है कि भारत का मुसलमान पाकिस्तान के मुसलमानों से कहीं अधिक सुरक्षित है। पाकिस्तान में जिस तरह की घटनाएं हो रही हैं वे सबके सामने हैं हीं। वहां आए दिन मस्जिदों में गोलियां चलती हैं। मस्जिद, जो खुदा की इबादतगाह है, उसके इमाम जब नमाज पढ़ाकर बाहर निकलते हैं तो उन्हें गोलियों से भून दिया जाता है।
पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मंच पर लगातार ये कहता है कि भारतीय फौज कश्मीर के लोगों पर जुल्म ढहा रही है। उन पर अत्याचार कर रही है। भारतीय फौज की शिकायत मानवाधिकार संगठनों से की जाती है। लेकिन, हर किसी को पता है कि कश्मीर में सेना कितना संयम से रहती है। भीड़ में शामिल आतंकी सुरक्षाबलों पर पथराव करते हैं। उन्हें जख्मी करते हैं। लेकिन, सुरक्षाबलों के जवान उनका मुकाबला आंसू गैस के गोलों से करते हैं। पैलेट गन से करते हैं। हाथ में हथियार होने के बाद भी उन पर गोलियां नहीं दागी जाती है। पत्थरबाज पकड़ में आते हैं तो उन्हें काउंसलिंग के लिए भेज दिया जाता है। लेकिन, पाक अधिकृत कश्मीर में पाकिस्तानी फौज क्या कर रही है जरा ये भी देख लीजिए।पाक आर्मी के अत्याचार की ये कोई नई कहानी नहीं है। पाक अधिकृत कश्मीर में ऐसा रोजाना होता है। यहां हर रोज कोई ना कोई परिवार पाक आर्मी का शिकार बनता है। युवकों को प्रताडि़त किया जाता है। जबकि यहां की खूबसूरत मां-बहनों को पाक आर्मी के जवान अपनी हवस का शिकार बना डालते हैं।
उनके जिस्म को ना जाने कितनी बार रौंदा जाता है।पाकिस्तान सरकार ने उर्दू अखबार डेली मुजादाला को बंद कर दिया गया। दरअसय से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) में डेली मुजादाला सबसे ज्यादा बिकने वाला अखबार है। इस अखबार ने पीओके में रहने वाले लोगों के बीच सर्वे कराया था जिसमें पूछा गया था कि उनका पाकिस्तान में रहने को लेकर क्या विचार है। करीब 73 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान में रहने के खिलाफ राय दी।क्या पाक अधिकृत कश्मीर के लोगों को आजादी मांगने का हक नहीं है। क्या उन लोगों को अपनी बात रखने का कोई अधिकार नहीं है। अगर पाक अधिकृत कश्मीर के लोग भारत में वापस आना चाहता हैं, हिंदुस्तान का हिस्सा बनना चाहते तो क्या उन्हें मौत के घाट उतार दिया जाएगा। उनकी बहू बेटियों की इज्जत को तार-तार कर दिया जाएगा।ये उसी पाकिस्तान का दोगला चेहरा है जो मानवाधिकारों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करता है।
भारत के बंटवारे के समय हिन्दुस्तान से पाकिस्तान गए मुसलमानों का दर्द कौन नहीं जानता। अपनी आंखों में नए मुल्क का ख्वाब लेकर गए इन मुसलमानों को आज भी मुहाजिर माना जाता है।आज के पाकिस्तान में हिन्दुस्तान से गए मुसलमान आबादी का करीब 50 फीसदी हिस्सा बेहद गरीबी और अशिक्षा में जीवन बिता रहा है,पाकिस्तान की सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग और इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के समर्थक भारत से गए मुसलमानों अर्थात मुहाजिरों (शरणार्थियों) को देशद्रोही मानते हैं।मुहाजिरों के साथ पाकिस्तान में अछूतों की तरह बर्ताव किया जाता है। भारत-पाक बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था. पूर्वी हिस्से (आज का बांग्लादेश) को पश्चिम में बैठी केंद्र सरकार अपने तरीके से चला रही थी. उन पर भाषाई और सांस्कृतिक पांबदियां थोप दी गई थीं.इसी के चलते पूर्वी पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन होने लगे थे. इन पर रोक लगाने के लिए सरकार ने फौज को इनका दमन करने के आदेश दिए. इस विद्रोह को कुचलने के लिए पाकिस्तानी फौज ने बांग्लाभाषी मुसलमानो पर कहर बरपाना शुरू कर दिया था,पाकिस्तानी सेना द्वारा लगभग दो लाखमुसलमान महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था. इस जंग में करीब 30 लाख मुसलमान मारे गए थे. वहीं तकरीबन 80 से एक करोड़ मुसलमान ने भागकर भारत में शरण ली थी.पाकिस्तान में गुस्साई भीड़ अक्सर अहमदी लोगों की मस्जिदों पर हमला कर देती है। मस्जिदों पर हमले वहां आम हैं। सिया-सुन्नी के झगड़े में कितने कत्लेआम होते हैं, कितनी मस्जिदों पर हमले होते हैं और इन हमलों में बहुतेरे निर्दोष लोग मारे जाते हैं।1948 में पाकिस्तान ने बलूचिस्तान पर जबरदस्ती कब्ज़ा किया. एक आज़ाद मुल्क को हथियारों के दम पर अपना गुलाम बना लिया.अंग्रेज़ों ने बलूचिस्तान को भारत और पाकिस्तान से भी पहले आज़ाद देश घोषित कर दिया था. 11 अगस्त 1947 बलूचिस्तान आज़ाद हो चुका था.बलूच ताकतवर ना हो जाएं इसलिए पाकिस्तानी सेना यहां अत्याचार करती है. सरकार की ओर से सेना को वहां जुल्म करने की छूट मिली हुई है. सेना जो चाहे वो करती है. बलूचों को जान से मारना और उनके घरों को जलाकर राख कर देना यहां आम बात है.पाकिस्तान के कब्ज़े से पहले बलूचिस्तान में बड़ी आबादी शिया मुसलमानों की थी. लेकिन पिछले दस सालों में पाकिस्तानी सेना करीब 20 हज़ार बलूचों को मार चुकी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 21 हज़ार बलूच युवक लापता हैं. पाकिस्तान जानबूझकर यहां पंजाब और दूसरे इलाकों से लाकर लोगों को बसा रहा है. नतीजा ये हुआ कि बलूचिस्तान में बलूच लोग ही अल्पसंख्यक हो गए हैं. बड़ी आबादी अब सुन्नी मुसलमानों की हो गयी है.
सामान्यत: यूरोप के सभी प्रमुख देशों-ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, आदि में मुसलमानों के अनेक सामाजिक रीति-रिवाजों पर प्रतिबंध है। प्राय: सभी यूरोपीय देशों में मुस्लिम महिलाओं के बुर्का पहनने तथा मीनारों के निर्माण तथा उस पर लाउडस्पीकर लगाने पर प्रतिबंध है।जर्मनी में भी बुर्के पर पाबन्दी है। जर्मनी के एक न्यायालय ने मुस्लिम बच्चों के खतना (सुन्नत) को ‘मजहबी अत्याचार’ कहकर प्रतिबंध लगा दिया है तथा जो डाक्टर उसमें सहायक होगा, उसे अपराधी माना जाएगा। चीन में हमेशा से उसका उत्तर-पश्चिमी भाग शिनचियांग-मुसलमानों की वधशाला बना रहा। इस वर्ष भी मुस्लिम अधिकारियों तथा विद्यार्थियों को रमजान के महीने में रोजे रखने तथा सामूहिक नमाज पढऩे पर प्रतिबन्ध लगाया गया।विश्व के बड़े मुस्लिम देशों में भी मुसलमानों के मजहबी तथा सामाजिक कृत्यों पर अनेक प्रकार के प्रतिबंध हैं। तुर्की में खिलाफत आन्दोलन के बाद से ही रूढि़वादी तथा अरबपरस्त मुल्ला- मौलवियों की दुर्गति होती रही है। तुर्की में कुरान को अरबी भाषा में पढऩे पर प्रतिबंध है। कुरान का सार्वजनिक वाचन तुर्की भाषा में होता है। शिक्षा में मुल्ला-मौलवियों का कोई दखल नहीं है। न्यायालयों में तुर्की शासन के नियम सर्वोपरि हैं। ईरान व इराक में शिया-सुन्नी के खूनी झगड़े-जग जाहिर हैं। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग ने भी यह स्वीकार किया है कि यहां मुसलमान भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां मुसलमान परस्पर एक-दूसरे से लड़ते रहते हैं। उदाहरण के लिए जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान ने अहमदिया सम्प्रदाय के हजारों लोगों को मार दिया।मंगोलिया में यह प्रश्न विवादास्पद बना रहा कि यदि अल्लाह सभी स्थानों पर है तो हज जाने की क्या आवश्यकता है? विश्व में मुस्लिम देशों में हज यात्रा के लिए कोई विशेष सुविधा नहीं है। बल्कि मुस्लिम विद्वानों ने हज यात्रा के लिए दूसरे से धन या सरकारी चंदा लेना गुनाह बतलाया है।सऊदी अरब में मुस्लिम महिलाओं के लिए कार चलाना अथवा बिना पुरुष साथी के बाहर निकलना मना है। कुर्द सुन्नी मुस्लिम जिसका इराक में सद्दाम हुसैन ने कत्लेआम कराया. टर्की में कुर्दों ने अलग देश की मांग की तो 40 हज़ार कुर्द मार दिए गए. सीरिया में ISIS ने इन पर क़हर ढहाया. कुर्द औरतों का रेप किया गया, उन्हें गुलाम बनाया गया. क़त्ल किया गया. अपनी जान बचाने के लिए साल 2014 में दो दिन में एक लाख 30 हज़ार कुर्द सीरिया से टर्की को पलायन कर गए.
वैश्विक आतंकवाद सूचकांक को देखें तो आतंकवाद का सबसे अधिक निशाना बने 10 शीर्ष देशों में से आठ मुस्लिम देश हैं। आतंकवाद के कारण सबसे अधिक हत्याएं इराक में हुई हैं, जहां 90 प्रतिशत मुस्लिम हैं। दूसरे नंबर पर अफगानिस्तान है जिसमें लगभग 99 प्रतिशत आबादी मुस्लिम है। तीसरे नंबर पर नाइजीरिया है जहां मुसलमानों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है। पाकिस्तान में 95 प्रतिशत से अधिक जनता मुस्लिम है। सीरिया में 80 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं। यमन और सोमालिया में भी 95 प्रतिशत से अधिक मुसलमान हैं। लीबिया में भी मुसलमानों की आबादी 95 प्रतिशत से अधिक है। इन आंकड़ों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले शीर्ष 10 देशों में से केवल भारत एक ऐसा देश है, जहां मुसलमानों की आबादी बहुमत में नहीं है, हालांकि वहां भी करोड़ों की संख्या में मुसलमान रहते हैं। आतंकवादी हमलों में मारे गए लोगों में से 82 से 97 प्रतिशत मुसलमान ही हैं। इस्लाम के नाम का उपयोग करने वाले आतंकवादियों के 98 प्रतिशत हमले अमेरिका और पश्चिमी यूरोप से बहुत दूर हुए हैं, और इन हमलों का सबसे बड़ा निशाना मुस्लिम देश रहे हैं।क्या भारत में भी वैसा ही कुछ होता है???
हकीकत यही है कि देश के अंदर भी जहॉ मुस्लिम जनसंख्या ज्यादा है, वहॉ हिन्दुओं का जीवन दूभर है। कश्मीर घाटी इसका बड़ा उदाहरण है, जहॉ मुस्लिम बहुलता के चलते हिन्दुओं को पलायन करना पड़ा। पर देश के किसी भी हिस्से में जहॉ हिन्दू अल्पमत में हैं, वहॉ सुरक्षित नही महसूस कर रहे हैं।भारत के मुसलमानों को पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देशों में बहुसंख्यक आबादी के सदस्यों द्वारा हिंदू समुदाय पर हिंसा की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। वैसे भी भारत में हिंदुओं की ओर से धर्मनिरपेक्षता दर्शाने में कभी कोई कमी नहीं रही है, लेकिन जब भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ हिंसा होती है तो हम (मुस्लिम) इन मुद्दों को क्यों नहीं उठाते हैं? इन सवालों का जवाब देश के अल्पसंख्यकों के पास नहीं है। एक भी मुस्लिम के साथ अन्याय होता है तो अधिकांश हिंदू इसके विरोध में सड़क पर उतर जाते हैं लेकिन जब किसी हिंदू पर मुसलमानों के स्तर पर ज्यादती होती है तो क्या एक भी मुसलमान इसके विरोध में आवाज उठाता है? एक ही तरह की घटनाओं में इस तरह का विरोधाभास आखिर क्यों?यह देश सबका है। सब मिल-जुलकर रहें। मिलकर इस देश को आगे बढ़ाएं। देश को तोड़ने में जुटे आतंकियों का खुलकर विरोध करें। इसी में देश का हित है। उन्हें लगे हाथ यह भी सुस्पष्ट करना चाहिए कि मुसलमान भारत में नहीं तो किस देश में इससे ज्यादा सुरक्षित हैं?यह असुरक्षा का बोध कहां से महसूस हुआ उन्हें? जिस देश में 5 लाख हिंदू अपने ही स्वतंत्र देश में शरणार्थी बना दिए गए हों, जहां वे लाखों हिन्दू अपने घर और गांव में 15 अगस्त न मना पा रहे हों, जहां कश्मीर से बंगाल और बंगाल से केरल तक हिन्दू विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों पर मरणांतक हमले किए जा रहे हों, जहां हिन्दुओं की जनसंख्या घटाव पर हो और मुस्लिमों की जनसंख्या बढ़ रही हो वहां असुरक्षा की भावना हिन्दुओं में होनी चाहिए या मुसलमानों में?
मुसलमानों को जरूरत है एक ऐसे नेतृत्व की जो उन्हें अब्दुल कलाम की राह पर ले चले न कि जिन्ना की राह पर। उन्हें अच्छी शिक्षा, स्वास्थ्य, आगे बढऩे के रास्ते और स्वाभिमानी भारतीयता का रास्ता चाहिए। गरीबी का कोई मजहब नहीं होता। बदहाली और अशिक्षा हिन्दू या मुसलमान नहीं होती। जब भूख लगती है तो उस भूख का नाम हिन्दू या मुसलमान नहीं होता। गंगा अपने किनारे पर रहने वालों से उनका मजहब पूछकर पानी नहीं देती। गंगा का पानी उतना ही हिन्दुओं को मिलता है जो गंगा को मां मानते हैं और उतना ही उन मुसलमानों को मिलता है जो गंगा के प्रति मां जैसी इज्जत का भाव रखते हैं। अगर ग्रांड मुफ्ती आजम नासीर-उल-इस्लाम को कुछ सीखना है तो वह प्रसिद्ध शायर मुनव्वर राणा साहब की इन पंक्तियों से सीखें:
तेरे आगे अपनी मां भी मौसी जैसी लगती है,
तेरी गोद में गंगा मैया अच्छा लगता है।
मुसलमानों को डराकर, हौव्वा दिखाकर भेड़ों की तरह हांकने वाले तथाकथित मुस्लिम नेताओं ने अपनी जिंदगी में ऐश की, तमाम शोहरतें और पदों के सम्मान बटोरे लेकिन क्या वे यह बता पाएंगे कि उन्होंने अपने मुस्लिम समुदाय के लिए क्या किया? क्या कोई ऐसे मुस्लिम नेता मिलेंगे जो सारे हिन्दुस्तान, सारे हिन्दुस्तानियों, हिन्दुस्तान के सारे जमातों और तमाम मजहबों को मानने वाले नागरिकों के सुख-दुख के बारे में एक हिन्दुस्तान की ऊंचाई से सोचते हों और जिन्हें अख़लाक़का दुख भी उतना ही सताता हो जितना चन्दन गुप्ता का ???
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