अन्नदाता की सुनी पुकार बार बार मोदी सरकार किसान कल्याण का बीज से बाजार तक का व्यापक माॅडल मोदी सरकार की विषिश्टता रहा है। कृशि के क्षेत्र में सरकार द्वारा उठाए गए हर कदम में किसानों के हित में किए गए सुधार दिखाई देते हैं। देष के अन्नदाताओं यानि किसानों का कल्याण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
बजट के प्रावधान से सरकार के इरादे स्पश्ट
बजट से ही सरकारों की मंषा का साफ पता चल जाता है। यूपीए सरकार ने पांच वर्शों में कृशि के लिए कुल 1.2 लाख करोड़ आवंटित किए थे। जबकि, मोदी सरकार ने कृशि के लिए बजट का आवंटन लगभग दोगुना यानि 2.1 लाख करोड़ कर दिया है।
वर्श 2018-19 के दौरान कृशि कर्ज देने का लक्ष्य ऐतिहासिक रूप से 11 लाख करोड़ निर्धारित किया गया था। किसान क्रेडिट कार्ड ने किसानों को बैंकों से पर्याप्त और समय पर मिलने वाली ऋण सहायता दिलाने में मदद की है।
रिकाॅर्ड उत्पादन और एमएसपी पर रिकाॅर्ड सरकारी खरीद
वर्श 2017-18 में रिकाॅर्ड 2,795 लाख टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ। यूपीए सरकार के 10 वर्शों के कार्यकाल में किसानों से एमएसपी पर लगभग 2.65 लाख टन दालों की खरीद हुई थी। वहीं, मोदी सरकार ने बीते चार वर्शों में ही यूपीए से करीब बीस गुना अधिक यानि 52.50 लाख टन की दालों की खरीद एमएसपी पर की है। 44,142 करोड़ मूल्य की दालों और तिलहन की सरकारी खरीद हुई, जिससे 54 लाख किसानों को लाभ मिला। जबकि, यूपीए के कार्यकाल के दौरान 3,117.38 करोड़ मूल्य की दालों और तिलहन की खरीद हुई थी।
मिट्टी की हुई परख खत्म यूरिया का संकट : किसानों को 16 करोड़ से अधिक साॅयल हेल्थ कार्ड दिए जा चुके हैं। इन साॅयल हेल्थ कार्ड की मदद से किसान मिट्टी और फसल की बेहतर देखभाल कर पा रहे हैं, जिससे उपज में भी बढ़ोतरी हो रही है। मोदी सरकार ने 100 फीसदी नीम कोटेड यूरिया की उपलब्धता सुनिष्चित की है, और इसी का परिणाम है कि अब किसानों को यूरिया के लिए लंबी-लंबी कतारों में नहीं लगना पड़ता है। गोरखपुर, सिंदरी, तालचेर, रामागुंडम और बरौनी में बंद पड़े खाद कारखानों को फिर से चालू करने के लिए ृ50,000 करोड़ खर्च किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, नामरूप में भी यूरिया का एक नया कारखाना लगाया जा रहा है।
हर खेत को मिल रहा पानी :जल प्रबंधन पर अभूतपूर्व तरीके से फोकस करते हुए मोदी सरकार ने 28.5 लाख हेक्टेयर भूमि की लघु-सिंचाई सुनिष्चित की है। वर्श 2013-14 में सिर्फ 4.32 लाख हेक्टेयर जमीन में ही लघु-सिंचाई की व्यवस्था थी। दूसरी ओर, वर्श 2018-19 की पहली छमाही में ही 5.25 लाख हेक्टेयर जमीन लघु-सिंचाई के दायरे में आ गई। हर खेत को पानी मिले, इसके लिए 50,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
फसलों का कर बीमा किया आसान : किसान का जीना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के माध्यम से करोड़ों किसानों को अब तक का सबसे बड़ा रिस्क कवर और सुरक्षा तंत्र उपलब्ध करवाया गया है। जब अन्नदाता हमें अन्न उपलब्ध कराने के लिए इतना खतरा उठाते हैं तो हमारा भी यह कर्तव्य है कि किसानों की आय पर कम से कम संकट आए, ऐसी व्यवस्था की जाए। अब किसानों को सभी खरीफ फसलों पर ज्यादा से ज्यादा सिर्फ 2 प्रतिषत का मामूली प्रीमियम देना होता है। इसी तरह से, रबी फसलों पर उन्हें सिर्फ 1.5 प्रतिषत प्रीमियम देना होता है।
पहले, किसानों को तभी राहत दी जाती थी, जब उनकी 50 प्रतिषत या उससे अधिक फसल बर्बाद हो जाती थी। लेकिन, अब इस तरह की राहत 33 प्रतिषत फसल के नुकसान पर ही दी जा रही है। इतना ही नहीं, अत्यधिक बारिष के कारण बर्बाद होने वाले अनाजों पर भी पूरा एमएसपी दिया जायेगा
एमएसपी में ऐतिहासिक बढ़ोतरी के जरिए यह सुनिष्चित किया गया है कि किसानों को फसल उत्पादन की लागत का कम से कम 150% मूल्य मिले। नए प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) के अंतर्गत किसानों को बढ़े हुए एमएसपी का लाभ देने के लिए मजबूत तंत्र विकसित किया गया है।
अब गन्ने से सिर्फ चीनी ही नहीं, ईंधन भी तैयार किया जा रहा है। वर्श 2013-14 में इथेनाॅल का उत्पादन सिर्फ 40 करोड़ लीटर था, जो वर्श 2017-18 में 140 करोड़ लीटर तक पहुंच गया।
आॅनलाइन मार्केट प्लेटफाॅर्म किसानों को बाजार तक पहुंचने में काफी सहायता मिली है। इससे 1.27 करोड़ किसानों और विक्रेताओं को लाभ मिला है। म.छ।ड पर 16 राज्यों के 585 बाजार किसानों के लिए हमेशा उपलब्ध (स्प्टम्) रहते हैं। किसानों की आय बढ़ाना, कृषि से जुड़ी गतिविधियों और सप्लाई चेन को बढ़ावा देना
नीली क्रांति
वर्ष 2009-14 के दौरान बजट में नीली क्रांति के लिए 1,772 करोड़ निर्धारित किए
गए थे। मत्स्यपालन के क्षेत्र में बदलाव को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2014-19 के दौरान
बजट को 64 प्रतिशत बढ़ाकर 2,913 करोड़ कर
श्वेत क्रांति
वर्ष 2013-14 में सालाना दूध उत्पादन 137.7 डज् था। जबकि, वर्ष 2017-18 में यह
176.34 डज् था। राष्ट्रीय गोकुल मिशन के अंतर्गत, देसी गायों की प्रजातियों के संरक्षण और
विकास पर ध्यान दिया जा रहा है।
परंपरागत कृषि विकास योजना
2 लाख हेक्टेयर भूमि के 10,000 समूहों में आॅर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए और पूर्वोत्तर राज्यों को आॅर्गेनिक खेती का केंद्र बनाने के लिए एक आॅर्गेनिक फार्मिंग वैल्यू चेन का निर्माण किया जा रहा
प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना
इस योजना के अंतर्गत एग्रो प्रोसेसिंग चेन को आधुनिक बनाया जा रहा है। मोदी सरकार फूड
प्रोसेसिंग सेक्टर में दूरगामी बदलाव के लिए 101 कोल्ड चेन प्रोजेक्ट पर काम कर रही है।
राष्ट्रीय बांस मिशन
मोदी सरकार ने बांस को ‘पेड़’ की श्रेणी से हटाकर ‘घास’ की श्रेणी में रखने की घोषणा की,
इससे बांस पर लागू होने वाले वन कानून से जुड़े प्रावधानों की जटिलताओं से किसानों को
मुक्ति मिल गई। राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत ृ1,290 करोड़ के निर्धारण से बैंबू सेक्टर में
लघु उद्योगों और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा मिलेगा।