आर विशाल शुक्ला : नाराजगी की हद है नोटा??अपने विरुद्ध होने वाले सभी षडयंत्रो की प्रतिकार हैं नोटा??अपने आस्तित्व की ललकार है नोटा??जुल्म और तुस्टीकरण का निषेध है,चुनाव में नोटा बटन
लाभ और हानि का लेखा जोखा जब सवर्ण समाज करने लगा तो बड़े बड़े दिगज्ज पार्टियों के महारथी राजनीतिक लोगो की चूले हिलनी लगी है।जनता नही दिग्भर्मित है??राजनीति की हवा निकाल दी है।। *कोंग्रेस बहुत खुश है कि सवर्ण समाज के लोग नाराज है नोटा दबा देगे तो उनसे उनका फायदा हो जायेगा??उसका भी सोचना सही है।क्योंकि मोदी जी आज जो है उसकी देन यही सवर्ण समाज ही है* मोदी के पूर्व में बहुमत से जितने के कारण भी वही सवर्ण थे।और आगे की कठिन प्रतिकूल परिस्थिति लाने के कारण भी वही रहेंगे।अब इस स्थिति को लाने में मोदी जी ने क्या और क्यों सोचा??ये तो वो और उनकी चांडाल चौकड़ी ही जाने या फिर इसके पीछे छुप कर कुछ बड़ा मुद्दे को हथियाने की आशा है?????
सन्देह का इशारा कहि ये तो नही की राम मंदिर के मुद्दे को सुलझा लिया गया हो??और एक कोर्ट का आवरण ओढ़कर अध्याधेस की तरह लागु करवा कर मंदिर आंदोलन के हाहाकार कार्यक्रम को बढ़ा दिया जाय??* सवर्णो के दो ही मुद्दे है?एक धार्मिक सम्मान,और दूसरा आरक्षण व्यवस्था से मुक्ति??दोनों ही जोरदार मुद्दे है।दोनों ही सम्भव नही है?? तो कोई *तीसरा बकरा जरूर बनेगा जिसके बलिदान से पार्टी मनायी जायेगी??तो वो कोर्ट और संविधान ही बकरा बनेगे?
राम मंदिर मुद्दे के आगे आरक्षण,जातिवाद,बेरोजगारी,नोटबन्दी,और सवर्णो का विरोध रुपी चिन्ह नोटा बटन सब की अहमियत ख़त्म हो जायेगी।। *को नृप होइ हमे का हानि।दासी छोड़ न होउबे रानी।अब यही समय आने वाला है और शिक्षित सभ्य समाज की परीक्षा होगी?वो किसके पक्ष में है??और किसके बिपक्ष में??हर हाल में नुकसान सवर्णो का ही होगा* अब हम नाराज है तो नोटा से भी मारेगे और सोटा से भी??भविष्य तो वैसे ही झंडू बाम बना है।जो होना है।सो हो।
(आर विशाल शुक्ला,संगठन मंत्री,महाराष्ट्र राज्य,अखण्ड राष्ट्रवादी पार्टी)