1000 वर्ष गुलामी में अपनी सँस्कृति व धर्म को भूल कर सनातन धर्मियो ने अनेको पाखण्ड अंधविश्वास कुरीतियो व विदेशियो की गन्दी आदतों (शराब, मांस व व्याभिचार)को जीवन मे धारण कर लिया था
अपने धर्म को इन सबसे मुक्त कराकर वास्तविक सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करने के लिए बना एक संघठन है आर्यसमाज।
जब इस देश के गुरुकुल नष्ट हो गए, शौर्य वीरता की शिक्षा समाप्त हो गयी , इस देश के दुष्ट बाबाओ , दासो ने युवाओं को काल्पनिक कथाओं व भाग्यवाद की झूठी शिक्षाओं से अकर्मण्य बना दिया , जब इस देश के युवाओं ने गुलामी को ही अपना भाग्य समझ लिया था ।
जब पाखंडी बाबाओ की झूठी शिक्षा ने युवाओं को भाग्यवादी बना दिया।
जब युवा गुलामी को भी भगवान की करनी समझ कर निठल्ले हो गए।
तब इस देश के युवाओं में कर्तव्य , क्रांति , *स्वराज्य की अग्नि पैदा करने वाले आंदोलन का नाम है आर्यसमाज*
बिस्मिल, आजाद, भगतसिंह, लाला लाजपत रॉय जैसे *क्रांतिकारियों की जननी है आर्यसमाज*
मूल्लो ने हिन्दुओ को जलील करने के लिए दो पुस्तके छापी रंगीला क्रष्ण ओर सीता का छिनाला, हिन्दू पण्डे आज तक प्रतिउत्तर नही दे पाए , तब रंगीला रसूल लिख कर मूल्लो की ऐसी तैसी करने वाला ज्वालामुखी है आर्यसमाज
आर्यसमाज वो संघठन है जिसने इन अंग्रेज़ो ओर मूल्लो को उन्ही के काल मे नंगा करके धुना है।
1875 में देश आधा अंग्रेज़ो का गुलाम था और आधा मूल्लो का तब सत्यार्थप्रकाश लिख कर संसार भर में औपचारिक रूप से इस्लाम व ईसायत का पहली बार खंडन करने वाला सनातनी आर्यो का धार्मिक संघठन है आर्यसमाज ।
अंग्रेज़ो ने सत्यार्थप्रकाश पर प्रतिबंध लगा दिया था तब महान क्रांतिकारी *वीर सावरकर* ने बहुत बड़ा आंदोलन करके इस प्रतिबंध को हटवाया था, वीर सावरकर सत्यार्थप्रकाश के सम्बन्ध में कहते है *हिन्दुओ के ठंडे रक्त में उष्णता का संचार करता है सत्यार्थप्रकाश*
कुछ दुष्ट आर्यसमाज को बदनाम करते है, विदेशी साजिश कहते है ।
सच तो यह है कि आर्यसमाज ने जिस प्रकार ईसाइयों व मूल्लो की दुकाने बन्द की है, उसी प्रकार पाखंडी बाबाओ , झूठे मठो, निक्कमे साधुओं की भी दुकान बंद की है। इश्लिये इनके चेलो को आर्यसमाज से बड़ी समस्या है।