गोवर्धन कथूरिआ : वीर सावरकर को कालेपानी की सजा देते समय ब्रिटिश सरकार ने उनकी पैतृक संपत्ति, जिसमें उनका घर भी शामिल था, उसे जब्त कर लिया। उन्हें काले पानी के कारावास में भेज दिया गया। पीछे से अंग्रेज सरकार ने उनके चिन्हों का नामोनिशान मिटाने के लिए एक कुटिल चाल चली। उनके पुश्तेनी घर को नीलम करने का ब्रिटिश सरकार ने ऐलान कर दिया। आर्यसमाजी नेता, आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के सदस्य एवं लाहौर से निकलने वाले प्रसिद्द अखबार प्रताप के मालिक महाशय कृष्ण ने वीर सावरकर जी के घर को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में मान देने का मन बनाया और अंग्रेजों की नाक के नीचे अपने अखबार में नीलामी में उस निवास को खरीदने के लिए चन्द एकत्र करना आरंभ कर दिया। ठीक नीलामी वाले दिन महाशय कृष्ण के पुत्र कुमार नरेंदर जी ने वीर सावरकर की राष्ट्रीय धरोहर को खरीद लिया और जब वीर सावरकर जी काले पानी की सजा से छुटकर वापिस नजरबंदी के लिए अपने घर लौटे तो उनके हाथों में उस घर की चाबी रखते हुए कुमार नरेंदर जी ने हिन्दू ह्रदय सम्राट एवं देश प्रेमी वीर सावरकर की खुल कर प्रशंसा की। वीर सावरकर जी के इस सम्मान से हर्षित होकर आँखों में आंसु निकल गये।
यह था राष्ट्रवादी संस्थाओं आर्यसमाज और जनसंघ का आत्मीय सबंध।