आज The India Post के माध्यम से इतिहास के पन्नों से कुछ कड़वे सच आप लोगों के सामने पेश कर रहा हूँ, जिसके साक्ष्य आपको you tube, google और कुछ अखबारों की प्रतियों में मिल जायेंगे।
1- भारत को आजाद 1947 से पेहले 1943 में बोसजी ने पोर्टब्लेयर में घोषित कर दिया था जिसका उल्लेख वहाँ बने स्मारक पर किया गया है।
2- भगत सिंघ जी को फाँसी गाँधी के कहने पर तीन दिन पेहले दी गयी।
3- भारत छोड़ो आंदोलन के असली जन्मदाता भगत सिंग थे, लेकिन लोगों को गाँधी जी याद है।
4- सुभाष चंद्र बोस का मारने का प्रयास किया गया लेकिन वो बच निकले लेकिन 73 साल की आजादी के बाद आज तक किसी सरकार ने उनके मरने और जिन्दा होने के बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीँ दिए।
5- मोदीजी भारत के एकमात्र ऐसे प्रधानमन्त्री हैं जो लोकप्रियता के मामले में हमारे सभी PM से आगे हैं पर कमाई के मामले में सबसे पिछे हैं।
6- भारत को आजादी देने की रणनीति 1945 में ब्रिटेन की विश्व भर में हो रही बर्बादी के साथ ही बन चुकी थी लेकिन इस बर्बादी को असली अमलीजामा पहनाने के लिए नेहरू को चुना गया। क्योंकि वो सबसे ज्यादा अय्याश और सत्ता के लालची थे।
7- भारत के इतिहास में कई ऐसे महान राजा हुए पर उनका इतिहास हमें नहीँ पढाया जाता पर मुस्लिम शासकों की महानता का पाठ जरूर पढाया जाता है जो हिन्दुओं के खिलाफ एक सोची समझी साजिश है।
8- ताजमहल एक हिन्दू मंदिर है या शाहजहाँ द्वारा बनाया गया मकबरा ये एक रहस्य ही बनकर रह गया। इसकी जाँच की कई बार कोशिश की गयी पर सरकारों द्वारा उस पर रोक लगा दी गयी।
9- हिंदुस्तान आजादी से 1977 तक केवल एक हिन्दू धार्मिक राष्ट्र था पर 1977के 44वें संशोधन द्वारा इसे धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित कर दिया गया।
10- सब बाबरी मस्जिद विध्वंश को जानते है पर ये नहीँ जानते कि जब 715 A.D. से पेहले भारत में मुस्लिम ही नहीँ था तो राममंदिर के साथ मस्जिद कैसे।
11- मक्का की पवित्र दरगाह में शिवलिंग है और वहाँ कुछ समय पेहले तक केवल हिंदु यानी काफिरो का आना बंद था पर अब सबके लिए बंद कर दिया गया।
12- हिंदुस्तान हिंदुओ का था इसलिए यहाँ सारे कानून हिन्दुओं के लिए लेकिन गैर हिंदु के लिए उनका धार्मिक कानून ही सही।
13- हिंदुस्तान का संविधान नेहरू और उनकी 15 सदस्यीय कमेटी ने पेहले ही बना लिया था लेकिन नाम अम्बेडकरजी का आया जोकि पूरी सोची समझी साजिश के तहत किया गया।
14- भारत का संविधान किसी भी आजाद राष्ट्र से नहीँ मेल खाता इसका गठन एक सोची समझी धारणा के आधार पर उन्हीं राष्ट्रों के संविधान को मिलाकर किया गया जिनमें ब्रिटैन का शासन था ताकि भारत आजादी के बाद भी गुलाम ही रहे।
दोस्तो आज के इतना ही है और कई नये तथ्यों के साथ फिर मिलेंगे।