महाराष्ट्र पुलिस ने उद्धव ठाकरे के दबाव में केंद्रीय मंत्री और महाराष्ट्र के दबंग भाजपा नेता नारायण राणे को उद्धव ठाकरे के विषय में अपशब्द बोलने के केस में जेल भेज दिया ,हालाकि जेल जाने के कुछ ही घंटे बाद नारायण राणे को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई किंतु उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेताओं ने नारायण राणे का जो जेल भेजकर अपमान किया है ,इसका खामियाजा बहुत जल्दी ही निकट भविष्य में उद्धव ठाकरे को भोगना ही पड़ेगा।
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री तथा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के विरुद्ध बचकानी बेहूदा पुलिस कार्रवाई कर के उद्धव ठाकरे ने आज वह बीज बो दिया है ,जिसका बहुत कडुआ फल उनको बहुत जल्दी ही खाना पड़ेगा।
उद्धव ठाकरे के लिए स्थिति और ज्यादा गम्भीर इसलिए भी होगी क्योंकि भारतीय राजनीति में अब कोई अटल बिहारी बाजपेयी नहीं है।
जिन स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे जी के नाम पर उद्धव ठाकरे आजकल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पर है ,उन बाला साहब ठाकरे जी के साथ इसी मुम्बई में एनसीपी नेता छगन भुजबल ने जून 2000 में क्या और कैसा बर्ताव किया था उसे पूरे देश ने देखा था?
वह नजारा लिखने में भी मुझे संकोच हो रहा है। छगन भुजबल ने पुलिस की भारी भरकम टीम को बाल ठाकरे के घर भेजकर उन्हें घसीटते हुए जेल के सींखचों के पीछे बंद कर देने की जिद्द पर अड़ गया था। आज नारायण राणे और भाजपा कार्यलयों पर पत्थरबाजी करने पहुंचे शिवसेना के लोग उस समय छगन भुजबल के डर से थर थर कांप रहे थे और गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गए थे।
स्वर्गीय बाल ठाकरे जी को बुरी तरह अपमानित कर के जेल में बंद किया जाना तय हो चुका था,लेकिन देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने शरद पवार से बात कर के बाल ठाकरे जी को अपमानित होने से बचा लिया था।
इस हस्तक्षेप का प्रभाव यह हुआ था कि छगन भुजबल अपनी जिद्द पूरी करने के लिए बाल ठाकरे को गिरफ्तार करवा कर ही माना था। लेकिन बाल ठाकरे को गिरफ्तार करने के बाद पुलिस उन्हें थाने की हवालात या जेल ले जाने के बजाए सीधे अदालत ले गयी थी,वहां पुलिस द्वारा विरोध नहीं किए जाने के कारण बाल ठाकरे को अदालत से जमानत मिल गयी थी और वो जेल के सींखचों के पीछे जाने से बच गए थे।
यह सब अटल जी और शरद पवार के कारण ही सम्भव हो सका था। यह सब जब हुआ था उस समय उद्धव ठाकरे छोटे बच्चे नहीं थे ,बल्कि 35 बरस के हो चुके थे ,इसलिए वो पिता का अपमान भूल गए होंगे ,ऐसा नहीं है ?
इसके बाद एक दो नहीं बल्कि 15 वर्षों तक छगन भुजबल ने इसी मुम्बई में शिवसेना के इन पत्थरबाज गुंडों की छाती पर चढ़कर पूरी रंगबाजी से कैसे राज किया, यह भी पूरा देश जानता है और पूरी मुम्बई जानती है,लेकिन उन 15 वर्षों के दौरान शिवसेना के यही पत्थरबाज कभी छगन भुजबल के आसपास फटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाए,दुम दबाए चुप्पी साधे रहे। पूरी मुंबई और पूरा महाराष्ट्र यह भी जानता है कि 1991 में शिवसेना छोड़ने के बाद से नवंबर 2019 तक, 28 वर्ष की समयावधि के दौरान उद्धव ठाकरे के पिता स्वर्गीय बाल ठाकरे को अपमानित करने के लिए छगन भुजबल सार्वजनिक रूप से बाल ठाकरे को “बालू” ठाकरे कह कर संबोधित करता रहा था,लेकिन शिवसेना के पत्थरबाज नकली शेर कभी उसके घर या कार्यालय के आसपास फटकने की हिम्मत नहीं कर सके ,यह तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ही 56″ सीने का कमाल है कि जिसने अपने नाम और काम के दम पर पहले छगन भुजबल के राजनीतिक वर्चस्व को ध्वस्त किया फिर उसको घर से खींचकर जेल के सींखचों के पीछे भिजवाया,उसकी करोड़ो की अवैध सम्पत्ति को जब्त कराने का साहस दिखाया,लेकिन सीएम उद्धव ठाकरे की निर्लज्जता कृतघ्नता की पराकाष्ठा देखिये कि अपने पिता के अपमान को भुलाकर नवंबर 2019 में उद्धव ठाकरे उसी छगन भुजबल की राजनीतिक शरण में पहुंच गये और सत्तासुख लूटने के लिए उसी छगन भुजबल की राजनीतिक आरती उतारने में लग गए और उसके ही साथ मिलकर सत्तासुख लूटने में लग गये और नरेन्द्र मोदी को उसकी शिवसेना के राजनीतिक गुर्गे, गुंडे पानी पी पीकर गाली देने लगे।
बड़े बुजुर्ग इसीलिए कह गए हैं कि… “पूत कपूत तो क्या धन संचय”
उपरोक्त तथ्य बताता है कि शिवसेना के ये गुंडे घटिया घिनौने किस्म के अहसान फरामोश निर्लज्ज और मक्कार भी हैं।
आज उपरोक्त राजनीतिक कथा इसलिए लिखी है क्योंकि नारायण राणे को छेड़ कर उद्धव ठाकरे ने निकट भविष्य में अपनी प्रचंड दुर्दशा का विराट विशाल मंच तैयार कर लिया है,क्योंकि यह सर्व विदित है कि नारायण राणे छगन भुजबल से कहीं अधिक दमदार ,दबंग ,असरदार नेता है और छगन भुजबल से कई गुना अधिक जिद्दी भी हैं।
सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अब भारतीय राजनीति में कोई अटल बिहारी बाजपेयी सरीखा नेता भी नही है जो हस्तक्षेप कर के उस दुर्दशा को रोक सके। अंत मे यह उल्लेख आवश्यक है कि स्वर्गीय बाल ठाकरे साहब ने कभी अटल जी या शीर्ष भाजपा नेतृत्व के लिए अपमान जनक भाषा का प्रयोग नहीं किया था,यही काऱण है कि उनके बुरे समय में अटल जी समेत भाजपा का शीर्ष नेतृत्व उनकी सहायता के लिए खड़ा हो गया था,लेकिन उद्धव ठाकरे और उसके चाटुकार चमचे संजय राऊत ने पिछले कुछ वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विरुद्ध फूहड़ता अभद्रता की सारी सीमाएं किसी सड़कछाप नेता की तरह पार कर दी हैं,इसका खामियाजा बहुत जल्दी ही निकट भविष्य में उद्धव ठाकरे को भुगतना पडेगा |
सरकार भी गिरेगी और कई नेता जेल भी जायेंगे ,जिनकी लिस्ट अब नारायण राणें तैयार करेंगे ,अपराधों की लिस्ट किरीट सुमैया भी तैयार करने में मदद करेंगे |
पवन त्यागी , राजनैतिक विश्लेषक, गाजियाबाद