जोधपुर : स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय संगठक कश्मीरी लाल जी ने कहा कि स्वदेशी आन्दोलन भारत के प्रथम स्वतंत्रता आन्दोलन के समय से ही जुड़ा हुआ है. भारत को पुनः सोने की चिड़िया का गौरव प्राप्त करने के लिए क्रांतिकारियों ने स्वदेशी अपनाओ का नारा दिया था. सन् 1930 में 12 दिसम्बर को बाबू गेनू स्वदेशी के लिए शहीद होने वाले प्रथम व्यक्ति थे. बाबू गेनू ने इस बात को समझा कि विदेशी वस्तुओं का भारत में व्यापार हमारे लिए आर्थिक नुकसान एवं राष्ट्रीय दासता के लिए जिम्मेदार तत्व है. कश्मीरी लाल जी शहीद बाबू गेनू स्मृति स्वदेशी विचार व्याख्यान माला में “ वर्तमान आर्थिक परिदृश्य में स्वदेशी ही एक मात्र विकल्प ” विषय पर मोटर मर्चेन्ट एसोसिएशन सभागार में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच चीन द्वारा भारत की एनएसजी में सदस्यता के विरोध को लेकर क्षोभ प्रकट करता है क्योंकि हमारा अधिकांश व्यापार घाटा चीन से वस्तुओं के आयात के कारण ही है. अजहर मसूद हो या महमूद लखवी जैसे आतंकवादी , चीन उनके समर्थन में खड़ा होकर भारत के प्रति अपनी शत्रुता हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रकट करता है. ऐसे में चीनी वस्तुओं का आयात करना व इनका उपयोग करना शत्रु राष्ट्र का आर्थिक पोषण करना है. इसलिए स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रव्यापी अभियान चला कर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार करने का सरकार व जनता का आह्वान करता है. मंच प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का सदा से विरोध कर रहा है. एफडीआई से रोजगार बढ़ने कि जो बात की जा रही है , आकंडे़ बताते हैं कि इससे रोजगार बढ़ने की जगह घटा है और बेरोजगारी में वृद्धि हुई है. बहुराष्ट्रीय कम्पनियां स्वचालित प्रणाली द्वारा निर्माण व उत्पादन करती है , जिससे केवल कुछ प्रशिक्षित व्यक्तियों को ही रोजगार प्राप्त होता है. मंच का मानना है कि एफडीआई नीति से भारत को लाभ की जगह नुकसान ही हो रहा है. 9 अगस्त से एफडीआई वापस जाओ उद्घोष के साथ पूरे देश में प्रत्येक जिला स्तर पर मंच द्वारा विरोध शुरू होगा.
व्याख्यान माला की अध्यक्षता करते हुए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा ने कहा कि आज हमें पुनः एक नये स्वतंत्रता आन्दोलन की जरूरत है , जिसमें हम विदेशी कम्पनियों के सामानों का पूर्णतः बहिष्कार करें. तभी हम वास्तविक रूप से स्वतंत्र होंगे. मैं मंच के कार्यकर्ताओं को साधुवाद देता हूं कि वे सम्पूर्ण भारत में इस पुनीत कार्य को निस्वार्थ भाव से पूर्ण कर रहे है. प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद एक बार पुनः पुरे विश्व में प्रतिष्ठित हो रही है. सभी जगह योग का डंका बज रहा है. भारतीय संस्कृति व पारिवारिक मूल्यों की पुनः प्रतिष्ठा बढ़ रही है.
व्याख्यानमाला के मुख्य अतिथि उत्कर्ष संस्थान के निदेशक निर्मल जी गहलोत ने कहा कि वर्तमान समय भौतिकवाद का है. हमारी युवा पीढ़ी तेजी से विदेशी संस्कृति , विदेशी ब्रांड , विदेशी खान-पान की ओर आकर्षित हो रही है. जिससे देश की प्रतिभा व धन का पलायन हो रहा है और देश को प्रतिवर्ष अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है. मैं मुक्त कंठ से मंच को धन्यवाद देता हूं कि मंच इस नुकसान को निस्वार्थ भाव से रोकने में लगा हुआ है. हमारा यह कर्तव्य हो जाता है कि हम सम्मिलित रूप से मंच के साथ कंधा से कंधा से मिलाकर परोपकारी कार्य को गति प्रदान करें.
व्याख्यानमाला के विशिष्ट अतिथि मोटर मर्चेन्ट एसोसिएशन जोधपुर के अध्यक्ष सोहनलाल मंत्री जी ने कहा कि आज देश की आर्थिक नीतियाँ विदेशी ताकतों से प्रभावित हो रही हैं. इसमें हमारी जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि हम देश के आर्थिक हितों को देखते हुए नीतियों का चयन करे और आर्थिक विषमता को दूर करें.
If you want to see India become an economic super power you must practice and propagate Swadesji and specially spread the message of boycotting everything Chinese and Pakistani including their artists and cricketrs. Jai Hind.