विजय दूबे : त्रिपुरा बीजेपी की एतिहासिक जीत – श्रेय 70 वर्षो से जूझ रहे संघ परिवार को। त्रिपुरा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, खाता भी नहीं खोल पाई राहुल की पार्टी। 26 वर्ष बाद लेफ्ट पार्टी की करारी हार…भाजपा के मित्र ये याद रखें, की ये जो पूर्वोतर में विजय का कमल खिला है, वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कई दशकों के त्याग, बलिदान और समर्पण का प्रतिफल है।
माना जा रहा हे की जीत के पीछे सुनील देवधर की रणनीति हे उन्होने कहा की “ये विजय 37 लाख त्रिपुरा वासियों को समर्पित है”। 1994 में देवधर शिलॉग में प्रचारक थे। और वह शाखा में दंड (लाठी चलाना) की ट्रेनिंग देने के लिए प्रसिद्ध हैं । उनके मित्रो के मुताबिक त्रिपुरा की जिम्मेदारी मिलने के बाद देवधर ने वहां सबसे पहले युवाओं पर फोकस किया और महिला सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया।
सुनील देवधर ने आज सुबह चुनाव गिनती से पहले माँ त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर में जाकर माँ की पूजा की और 37 लाख त्रिपुरा वासियों के लिए दुष्ट शक्तियों से मुक्ति माँगी। उन्होने फेस्बूक पर पहले ही घोषणा केआर दी थी की मुझे पूरा भरोसा है की आज की मतगणना में Bharatiya Janata Party (BJP) दो तिहाई बहुमत से विजयी होगी।
अमित साह ने एक प्रेस कोन्फ़्रेंके में कहा की भाजपा के कार्यकर्ता जानते होंगे कि त्रिपुरा में विजय भाजपा के लिए क्या मायने रखती है। त्रिपुरा में पक्ष विपक्ष थाना पुलिस व्यवस्था न्याय सब कम्युनिष्ट ही थे। सैकड़ों स्वयंसेवकों को कम्युनिष्ट गुंडों ने खुलेआम सड़को पर काट डाला। परंतु संघ का कार्यक्रम जारी रहा। आज ये जो विजय महल आप देख रहे हैं उसकी नींव रखने में संघ के स्वयंसेवकों का पूरा जीवन लग गया है। अतः दोबारा प्रश्न मत करना कि संघ क्या कर रहा है?? नमन वंदन उन सभी को जिन्होंने अपना जीवन होम कर दिया राष्ट्रवाद के लिए। नमन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को।
विजय दूबे : त्रिपुरा बीजेपी की एतिहासिक जीत – श्रेय 70 वर्षो से जूझ रहे संघ परिवार को। त्रिपुरा में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, खाता भी नहीं खोल पाई राहुल की पार्टी। 26 वर्ष बाद लेफ्ट पार्टी की करारी हार…भाजपा के मित्र ये याद रखें, की ये जो पूर्वोतर में विजय का कमल खिला है, वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के कई दशकों के त्याग, बलिदान और समर्पण का प्रतिफल है।
माना जा रहा हे की जीत के पीछे सुनील देवधर की रणनीति हे उन्होने कहा की “ये विजय 37 लाख त्रिपुरा वासियों को समर्पित है”। 1994 में देवधर शिलॉग में प्रचारक थे। और वह शाखा में दंड (लाठी चलाना) की ट्रेनिंग देने के लिए प्रसिद्ध हैं । उनके मित्रो के मुताबिक त्रिपुरा की जिम्मेदारी मिलने के बाद देवधर ने वहां सबसे पहले युवाओं पर फोकस किया और महिला सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाया।
सुनील देवधर ने आज सुबह चुनाव गिनती से पहले माँ त्रिपुरा सुंदरी के मंदिर में जाकर माँ की पूजा की और 37 लाख त्रिपुरा वासियों के लिए दुष्ट शक्तियों से मुक्ति माँगी। उन्होने फेस्बूक पर पहले ही घोषणा केआर दी थी की मुझे पूरा भरोसा है की आज की मतगणना में Bharatiya Janata Party (BJP) दो तिहाई बहुमत से विजयी होगी।
अमित साह ने एक प्रेस कोन्फ़्रेंके में कहा की भाजपा के कार्यकर्ता जानते होंगे कि त्रिपुरा में विजय भाजपा के लिए क्या मायने रखती है। त्रिपुरा में पक्ष विपक्ष थाना पुलिस व्यवस्था न्याय सब कम्युनिष्ट ही थे। सैकड़ों स्वयंसेवकों को कम्युनिष्ट गुंडों ने खुलेआम सड़को पर काट डाला। परंतु संघ का कार्यक्रम जारी रहा। आज ये जो विजय महल आप देख रहे हैं उसकी नींव रखने में संघ के स्वयंसेवकों का पूरा जीवन लग गया है। अतः दोबारा प्रश्न मत करना कि संघ क्या कर रहा है?? नमन वंदन उन सभी को जिन्होंने अपना जीवन होम कर दिया राष्ट्रवाद के लिए। नमन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को।