हीरा मेहरा : छत्तीसगढ़ में कुछ माह बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन चुनावी बिसात अभी से बिछ चुकी है। अब छोटे-बड़े सभी राजनीतिक दल अपना-अपना पासा फेंकने को तैयार हैं। इस समय प्रदेश पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगा हुआ है। प्रत्याशियों का तो नहीं, लेकिन राजनीतिक दलों का प्रचार-प्रसार, आरोप-प्रत्यारोप और जोर पकड़ने लगा है। सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी अपने 14 वर्ष के कामकाज का प्रचार करेगा तो विपक्षी दल उसकी योजनाओं और कामकाज में कमियां अलग-अलग तरीके से गिनाकर समीकरण बिगाड़ने की पूरी कोशिश करेगा। मतलब, चुनावी बिसात तो एक है, लेकिन दलों की चाल अलग-अलग होगी। छत्तीसगढ़ में भी राजनितिक पार्टियां अपने नए-नए हथकंडे अपना रही है। भाजपा ने विपक्षी पार्टियों को टक्कर देने और युवाओ को लुभाने के लिए सोशल मीडिया टीम बना ली है। जो सोशल मीडिया टीम प्रदेश की सभी 90 विधानसभाओं में काम करेगी, इतना ही टीम की पूरी निगरानी भी की जाएगी। जिसके लिए प्रदेश कार्यालय में आई.टी. सेल के पदाधिकारियों को तैनात किया गया है जिनकी ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहेगी की व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर लोगों को पार्टी से जोड़ सके साथ ही पार्टी का प्रचार भी किया जा सके इसीलिए व्हाट्सएप्प और फेसबुक पर हर विधानसभा का पेज भी बनाया है और इन फेसबुक पेजों पर भाजपा की उपब्लधियांे का बखान किया जा रहा है साथ ही गंभीर मुद्दों को सामने लाया जा सके ताकि पेज को गंभीरता से लिया जाए इसके साथ ही विधानसभा स्तर पर मुद्दे तलाशे जा रहे हैं।
सोशल मीडिया टीम को विधानसभा स्तर पर मिलने वाले हर फीडबैक को तत्काल प्रदेश की टीम को भेजना है। अगर टीम को किसी समस्या की जानकारी मिल रही है, तो उसका स्थानीय स्तर पर निराकरण का भी काम किया जाएगा। इतना ही नहीं क्रिएटिव टीम को भी तैनात किया जा रहा है। इस सोशल मीडिया टीम में अलग-अलग सेक्टर के कार्यकर्ता हैं। इसमें समाज के हर वर्ग को जोड़ने का काम किया जा रहा है। विधानसभा क्षेत्र में टीम के सदस्यों को लगभग 100-100 व्हाट्सएप्प ग्रुप बनाकर जनता को पहले जोड़ना है। फिर ग्रुप में केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं की चर्चा करना है। टीम के युवा सदस्य युवाओं के मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके साथ ही अलग-अलग क्षेत्र के लोग भी इस पूरी प्रक्रिया से जुड़ेंगे इंजीनियर-डाॅक्टर और कलाकार अपने सेक्टर की बातों और समस्याओं पर अपना ध्यान केंद्रित करेंगे। भाजपा इस पूरी प्रक्रिया में गांव से लेकर प्रदेश स्तर तक को जोड़ने का काम करना चाहती है लेकिन ऐसे में भाजपा यह भूल गई है कि पार्टी से लोगों को जोड़ना तो आसान है लेकिन निचले स्तर परेशानियों का समाधना करना उतना ही कठिन है क्योंकि युवाओं को मोबाइल फोन उपहार में देने से उन्हें खुश तो किया जा सकता है लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिल सकता। तकनीक से जोड़ने के वादे तो किए जा सकते मगर भाजपा को जमीनी हकीकत से रू-ब-रू होने की सख्त जरूरत है कयोंकि देश का युवा बेरोजगार तो है मगर नासमझ नहीं है।
वहीं, दूसरी ओर पार्टी ने अपनी दूसरी योजना यानी की मिशन 65 प्लस की तैयारी कर रही है। इस मिशन से भाजपा कांग्रेस के बूथ कार्यकर्ता और प्रभारी पर निशान साधने का काम करेगी। इसीलिए इस पूरे मिशन को नाम दिया गया है ‘हमारा बूथ, सबसे मजबूत’। साथ ही इस अभियान का सबसे महत्वपूर्ण काम है अन्य दलों के बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से सम्पर्क करना और उनको सदस्य बनाना है। इसके साथ ही प्रदेश संगठन ने बूथ को अलग-अलग भागांे में बांटा है। जिसमे अलग-अलग श्रेणियां रखी गई हंै। पहली श्रेणी में बूथ को पार्टी मजबूत बूथ मानकर चल रही है। दूसरी और तीसरी श्रेणी को और अधिक मजबूत करने पर कार्य चल रहा है। जबकि दूसरी श्रेणी के बूथ की जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं को और तीसरी श्रेणी के बूथ को मजबूत करने की कमान पार्टी पदाधिकारियों को दी जाएगी। इसके साथ ही मंडल स्तर के संगठन और मोर्चा पदाधिकारियों को पांच-पांच बूथ की जिम्मेदारी दी जाएगी। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों के हिसाब से लोकसभा और विधासभा चुनावों में बूथ पर मिले मतों के आधार पर ग्रेडिंग की गई है। इतना ही नहीं चुनाव से पहले बूथों पर सामाजिक समीकरण भी साधे जाएंगे। बूथ की सामाजिक रचना के अनुसार बूथ समिति का गठन किया जाएगा और हर बूथ पर लगभग बीस नए युवा सदस्यों को जोड़ा जाएगा। उसमे हर जाति अर्थात एससी, एसटी, ओबीसी को शामिल किया जाएगा। सामाजिक समीकरण के आधार पर रजिस्टेªशन और मिस्ड काल व्यवस्था से नए सदस्यों को जोड़ा जाना है और समय-समय पर पदाधिकारियों को मतदान केन्द्र स्तर पर बैठक करनी है। हर बूथ पर लगभग दो-तीन सदस्य ऐसे चुने जाने हैं, जो मतदान केन्द्र पर लगातार गतिविधि बनाए रखें। हर बूथ पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम ‘मन की बात’ सुनाने के साथ ही अलग-अलग कार्यक्रम भी करने हैं। प्रदेश स्तर पर बूथों के कार्यक्रमों की जानकारी भी समय-समय पर प्रदेश संगठन को भी दी जाएगी। जिसके लिए सभी बूथ स्तर के सदस्यों के मोबाइल नम्बर प्रदेश संगठन को भेजे जाएंगे। साथ ही प्रदेश स्तर पर इन सदस्यों की जांच की जाएगी और चुनाव के दौरान जिम्मेदारी भी सौंपी जाएगी।
भाजपा यात्राओं के भरोसे चैथी बार सत्ता पाने की कोशिश में है। चुनाव के पहले मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह विकास यात्रा पर निकलते हैं, जिसका समय अब शुरू हो चुका है। पार्टी के नेताओं का कहना है कि विकास यात्रा भाजपा की विजय का ब्रह्मास्त्र है। इसके पहले राज्य के मुख्यमंत्री लोक सुराज अभियान चला चुके हैं और पार्टी के विधायक व नेता जनसम्पर्क यात्रा कर चुके हैं। कांग्रेस की चुनावी रणनीति का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बूथ मैनेजमेंट है। पहली बार बूथ कमेटी बनाई जा रही है और बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं को शिविर लगाकर चुनावी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही, कार्यकर्ताओं को संकल्प दिलाया जा रहा है कि इस बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनानी है। बहुजन समाज पार्टी सभी सीटों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। पार्टी सुप्रीमो बहन मायावती खुद इस बार छत्तीसगढ़ को लेकर गम्भीर हैं। इस कारण उन्होंने एक-दो नहीं, उत्तर प्रदेश के पांच नेताओं को छत्तीसगढ़ का चुनाव प्रभारी बनाया है, जिनका लगातार दौरा जारी है। पहली बार चुनावी मैदान में उतर रही जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ अपनी पार्टी के सुप्रीमो अजीत जोगी के जन्मदिन 29 अप्रैल से ‘मिशन साथ (72)’ का आगाज कर चुकी है। अब देखने और समझने वाली बात ये है कि भाजपा राज्य में चैथी बार अपनी सरकार बनाती है या फिर कांग्रेस राज्य में जीत दर्ज करके 2019 की तैयारियां में जुट जाएगी।
(लेखिका दूरदर्शन में कार्यक्रम सहायक हैं)