निम्न विषयों में क्या होगा उत्तराखंड में आगे आने वाले बीस सालों में – १-पानी की स्थिति?२-हवा कैसी बहेगी?३-खेती की दशा?४-शिक्षा की दशा?५-स्वास्थ्य ?६-रोज़गारकी दशा,७-पलायन पर रोक?८-सामाजिक सद्भाव?९-समग्र विकास की आधारनआ? आदि अनेक विषय हैं जिनमे काम की ज़रूरत है, बंधुओं यह सब उत्तरखनd के युवा नो जवान साथियों को ही करना है। राज्य का भविष्य आपके ही हाथों में है।इसको हरा भरा बनाये रखिए,इसकी संस्कृति के अनुकूल। वन का विकास,वृक्ष रोपण,गंगा-यमुना,अलकनंदा-मंदाकिनी,भागीरथी-भिलंगना,गाड़-गडेरों,कुआँ-तालाब आदि में बारह महीने पानी रहे,इसकी ज़िम्मेदारी उत्तराखंड के सभी नागरिकों की है। सरकार सीमित है,आप असीमित हैं।यह प्रयत्न अपने आप से आरम्भ करना होगा,संकीर्ण स्वार्थ से बाहर निकलना होगा। बहुत चिंतन मनन की ज़रूरत है, एक दूसरे की होसला अफ़्जाई एवं प्रोत्साहन की ज़रूरत है। जल संरक्षण के लिए सर्व प्रथम चीद्द(cheed-पाइन) को उत्तराखंड से हटाने की ज़रूरत है। मेरा सभी पर्यावरण विदों,संस्था,सरकार,प्रशासन ,बुद्धिजीवी वर्ग एवं उत्तराखंड के शुभ चिंतकों से विनम्र आवहॉन है कि उत्तराखंड के बेहतर भविष्य के लिए ज़रूरी क़दम तत्काल उठाने के लिए सकारात्मक पहल कीजिए, परिणाम भी सकारात्मक निकलेगा। बीती सो बिसार दही, आगे की सुध ले-कहावत को याद करते हुए अपने नागरिक कर्तव्य का पालन दृढ़ता से करने के लिए सब एक क़दम बढ़ाएँ,एक अंजली राज्य,देश एवं स्वयं की पीढ़ी के लिए भी सेवा दान कीजिये-