मदन गुप्ता सपाटू ,ज्योतिर्विद् , चंडीगढ़ : पृथ्वी की रचना पूरी होने के बाद, पार्वती जी ने भगवान शिव से पूछा कि भक्तों के कौनसे अनुष्ठानों से आपको सबसे ज़्यादा प्रशन्नता होती है। भगवान ने कहा है कि, फाल्गुन के महीने के दौरान शुक्लपक्ष की 14वीं रात मेरा पसंदीदा दिन है।
सावन शिवरात्रि का महत्व शास्त्रों में खास तौर पर दर्शाया गया है। फाल्गुन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि के बाद सावन की शिवरात्रि खास है। इस शिवरात्रि का सभी को खास तौर पर इन्तजार रहता है।
सावन शिवरात्रि पर की गई शिव की पूजा सभी अर्थों में लाभकारी सिद्ध होता है। इस महीने सावन की शिवरात्रि श्रावण कृष्ण त्रयोदशी यानी 9 अगस्त (गुरुवार) को पड़ रही है।
मान्यता है कि इस दिन कि भगवान शिव अपने भक्तों की पुकार बहुत जल्द सुन लेते हैं। भगवान भोलेनाथ का दिन सोमवार माना जाता है और उनकी पूजा का श्रेष्ठ महीना सावन माना गया है।
वैसे तो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि भी पड़ती है। लेकिन सावन माह में आने वाली शिवरात्रि को फाल्गुन महीने में आने वाली महाशिवरात्रि के समान ही फलदायी होता है।
प्रति वर्ष 12 शिवरात्रि मनाई जाती है लेकिन सभी में दो शिवरात्रि सबसे खास होती है। जिसमें से महाशिवरात्रि और सावन की शिवरात्रि मनुष्य के सभी पाप को धो देती है। ऐसे में सावन की शिवरात्रि का बड़ा ही महत्व है क्योंकि इसमें व्रत रखने वालों के पाप का नाश होता है और कुवारें लोगों को मनचाहा वर या वधु मिलता है। वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।
पूजा की तिथि व शुभ मुहूर्त
सावन शिवरात्रि 9 अगस्त 2018 को मनाई जाएगी।
इस दिन शिवरात्रि निशिथ काल पूजा का समय 24:09+ से 25:01+ तक होगा।
मुहूर्त की अवधि कुल 43 मिनट की है।
वहीं 10 तारीख को सावन शिवरात्रि पारण का समय 05:51 से 15:42 तक होगा।
पूरे सावन भर शिवभक्त बम-बम भोले, हर-हर महादेव के जयकारे लगाकर भगवान शिव के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं शिवरात्रि के दिन जलाभिषेक के लिये हरिद्वार, गौमुख से कांवड़ भी लेकर आते हैं।
मान्यता है कि श्रावण महीने की शिवरात्रि के दिन जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करते हैं उनके कष्टों का निवारण होता है और मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
कालसर्प दोष से मुक्ति के लिये जातक ब्रह्म मुहूर्त में शिव मंदिर में शिव का षोडषोपचार पूजन करें। शिवलिंग पर धतूरा चढ़ाकर 108 बार शिव मंत्र का जाप करें। साथ ही चांदी के नाग-नागिन का जोड़ा भी शिवलिंग पर चढाएं।
ऐसा माना जाता है कि शिवलिंग पर इस उपाय से कालसर्प दोष का निवारण हो जाता है। यदि आप शारीरिक कष्टों का निवारण चाहते हैं तो इस दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना भी लाभकारी होता है। पंचमुखी रुद्राक्ष की माला लेकर भगवान शिव के मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करने से तमाम तरह के क्लेश शांत हो जाते हैं।
काँवर यात्रा
सावन शिवरात्रि को काँवर यात्रा भी कहा जाता है, जो मानसून के श्रावण (जुलाई-अगस्त) के महीने मे आता है। कंवर (काँवर), एक खोखले बांस को कहते हैं इस अनुष्ठान के अंतर्गत, भगवान शिव के भक्तों को कंवरियास या काँवाँरथी के रूप में जाने जाता है। हिंदू तीर्थ स्थानों हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज में गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य स्थानो से गंगाजल भरकर, अपने – अपने स्थानीय शिव मंदिरों में इस पवित्र जल को लाकर चढ़ाया जाता है।
हिन्दू पुराणों में कांवड़ यात्रा समुद्र के मंथन से संबंधित है। समुद्र मंथन के दौरान भगवान शिव ने जहर का सेवन किया, जिससे नकारात्मक ऊर्जा से पीड़ित हुए। त्रेता युग में रावण ने शिव का ध्यान किया और वह कंवर का उपयोग करके, गंगा के पवित्र जल को लाया और भगवान शिव पर अर्पित किया, इस प्रकार जहर की नकारात्मक ऊर्जा भगवान शिव से दूर हुई।
महाशिवरात्रि, भगवान शिव की पार्वती देवी से शादी का दिन है, इसलिए भक्तगण महा शिवरात्रि को गौरी-शंकर की शादी की सालगिरह के रूप में मानते हैं। इस दिन ब्रत में, कुछ भक्तों को बिना पानी के ब्रत रहिते देखा गया है। आज के दिन भक्त शिवलिंग को दूध, दही, शहद, गुलाब जल, आदि के साथ हर तीन घंटे के अंतराल मे सारी रात पूजा करते हैं।
आज का दिन दो महान प्राकृतिक शक्तियों, रजस एवं तमस के एक साथ आने का दिन है। शिवरात्रि व्रत इन दोनों शक्तियों का सही नियंत्रण है। वासना, क्रोध, और ईर्ष्या जैसे बुराइयों को नियंत्रण कर सकते हैं। हर तीन घंटे शिवलिंग की पूजा के एक दौर आयोजित किया जाता है।, इस रात को ग्रहों की स्थिति कुछ ऐसी होती है कि मानव तंत्र में ऊर्जा का प्रवाह प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर होता है। अतः योगी साधक भक्त शरीर को सीधी स्थिति में रखते हैं, और सारी रात सोते नहीं हैं।