मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़ : हर साल की तरह सावन का महीना , इस बार 17 जुलाई को आरंभ हो गया है और मानसून ने भी देश के विभिन्न भागों में अपना रंग दिखाया। श्रावण मास हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। संपूर्ण वातावरण शिवमय हो जाता है। प्रकृति भी अपने पूर्ण जोश में होती है।
परंतु ज्योतिषीय दृष्टि से इस साल श्रावण मास कुछ अलग है।
ऽ पहले तो यह कि इस बार सावन पूरे 30 दिन का है और इसमें 4 सोमवार पड़ेंगे।
ऽ 22 जुलाई को प्रथम सोमवार होगा तो 12 अगस्त को अंतिम।
ऽ पहले सोमवार, को ही श्रावण कृष्ण पंचमी है।
ऽ दूसरे सोमवार 29 जुलाई सोम प्रदोष व्रत होगा ।
ऽ तीसरे सोमवार, 5 अगस्त को नाग पंचमी पड़ेगी।
ऽ चौथा व अतिंम श्रावण का सोमवार 12 अगस्त को होगा।
ऽ इस मास में शुक्र अस्त रहने के कारण मांगलिक कार्य नहीं होंगे।
ऽ इसी श्रावण में सिद्धि योग, शुभ योग, पुष्यामृत योग, सर्वार्थ योग, अम्तसिद्धि योग आदि सब मिलेंगे जिनमें आराधना का विशेष फल मिलता है।
ऽ पहली अगस्त को हरियाली अमावस पर पंच महायोग लगभग सवा सौ साल बाद बन रहा है।
ऽ नागपंचमी भी भगवान शिव के प्रिय दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
ऽ 15 अगस्त , इस साल रक्षाबंधन पर पड़ रहा है , श्रवण नक्षत्र के अधीन।
ऽ इस बार राखी के दिन ही पंचक आरंभ हो जाएंगे।
ऽ इसी दौरान 3 अगस्त को हरियाली तीज भी आ जाएगी।
सावन का महीना अपने पूरे जोर पर होगा. लोग शिव-पार्वती की पूजा-अर्चना में खुद को रमाएंगे. इस महीने में सोमवार को व्रत रखने का प्रावधान है. सावन के मौसम में पड़ने वाले चार सोमवार पर शिवभक्त व्रत रखते हैं. सावन में सोमवार का व्रत रखने से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं हैं, लोगों का मानना है कि श्रावण सोमवार के व्रत रखने से अच्छा और मनचाहा जीवनसाथी मिलता है. सावन के दौरान रखे जाने वाले इन व्रतों को सावन के चार सोमवार व्रत के तौर पर जाना जाता है.
इस पूरे महीने शिव भक्त उनकी पूजा-अर्चना करते हैं. इसके अलावा लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार कांवड़ ले जाते हैं जहां वे शिवलिंग पर जल चढाते हैं. सावन महीने के चारों सोमवार को शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. पौराणिक कथाओं के अऩुसार इस महीने में जो शिव भक्त पूरे मनोयोग से उनकी पूजा-अर्चना करता है उसकी मुराद भगवान शिव और पार्वती अवश्य पूरी करते हैं.
श्रावण मास में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व माना गया है।
भोले नाथ अपने नाम के अनुरुप अत्यंत भोले हैं और सहज ही प्रसन्न हो जाते हैं।शिवोपासना से जीवन की अनेकानेक कठिनाइयां दूर होती हैं। इस मास में महामृत्युंज्य मंत्र, रुद्राभिषेक,शिव पंचाक्षर स्तोत्र आदि के पाठ से लाभ मिलता है। शिवलिंग पर मात्र बिल्व पत्र चढाने से ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त, भांग, धतूरा, जल, कच्चा दूध, दही, बूरा, श्हद, दही, गंगा जल, सफेद वस्त्र, आक , कमल गटट्ा, पान , सुपारी, पंचगव्य , पंचमेवा आदि भी चढ़ाए जा सकते हैं।
ओम् नमः शिवाय का जाप या महामृत्यंुज्य का पाठ कर सकते हैं।
शिवलिंग पर चंपा, केतकी, नागकेश्र, केवड़ा या मालती के फूल न चढ़ाएं। अन्य कोई भी पुश्प जैसे हार सिंगार,सफेद आक आदि के अर्पित कर सकते हैं। बेल पत्र का चिकना भाग ही शिवलिंग पर रखना चाहिए तथा यह भी ध्यान रखें कि बेल पत्र खंडित न हों।
इस मास के प्रत्येक मंगलवार को श्री मंगला गौरी का व्रत , विधिवत पूजन करने से श्ीघ्र विवाह या वैवाहिक जीवन की समस्याओं से मुक्ति मिलती है और सौभाग्यादि में वृद्धि होती है।
बिल्वपत्र कैसे चढ़ायें?
1- बिल्वपत्र भोले नाथ पर सदैव उल्टा रखकर अर्पित करें।
2- बिल्वपत्र में चक्र एंव वज्र नहीं होने चाहिए। कीड़ो द्वारा बनायें हुये सफेद चिन्हों को चक्र कहते है और डंठल के मोटे भाग को वज्र कहते है।
3- बिल्वपत्र कटे या फटे न हो। ये तीन से लेकर 11 दलों तक प्राप्त होते है। रूद्र के 11 अवतार है, इसलिए 11 दलों वाले बिल्वपत्र चढ़ायें जाये ंतो महादेव ज्यादा प्रसन्न होंगे।
4- बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक पाप नष्ट हो जाते है।
5- शिव के साथ पार्वती जी पूजा अवश्य करें तभी पूर्ण फल मिलेगा।
6- पूजन करते वक्त रूद्राक्ष की माला अवश्य धारण करें।
7- भस्म से तीन तिरछी लकीरों वाला तिलक लगायें।
8- शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए।
9- शिवलिंग की आधी परिक्रमा ही करें।
10- शिव जी पर केंवड़ा व चम्पा के फूल कदापि न चढ़ायें।
व्रत और पूजन विधि
– सुबह-सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ कपड़े पहनें.
– पूजा स्थान की सफाई करें.
– आसपास कोई मंदिर है तो वहां जाकर भोलेनाथ के शिवलिंग पर जल व दूध अर्पित करें.
– भोलेनाथ के सामने आंख बंद शांति से बैठें और व्रत का संकल्प लें.
– दिन में दो बार सुबह और शाम को भगवान शंकर व मां पार्वती की अर्चना जरूर करें.
– भगवान शंकर के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें और फल व फूल अर्पित करें.
– ऊं नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शंकर को सुपारी, पंच अमृत, नारियल व बेल की पत्तियां चढ़ाएं.
– सावन सोमवार व्रत कथा का पाठ करें और दूसरों को भी व्रत कथा सुनाएं.
– पूजा का प्रसाद वितरण करें और शाम को पूजा कर व्रत खोलें.
सोमवार शाम पढ़ें शिव चालीसा, भोलेनाथ प्रसन्न होकर देंगे यह वरदान
सावन के सोमवार को खरीदें इनमें से कोई भी एक चीज, होगा भाग्य उदय
- भस्म: पहले सोमवार को या किसी भी सावन के सोमवार को शिव मूर्ति के साथ यदि भस्म रखते हैं तोशिव कृपा मिलेगी.
- रुद्राक्ष: ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. इसलिए यदि आप इसेसावन के सोमवार को घर में लाते हैं और घर के मुखिया के कमरे में रखते हैं तो भगवान शिव ना केवलरुके हुए काम को पूरा करते हैं, बल्कि इससे आर्थिक लाभ भी होता है. इससे प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है.
- गंगा जल: भगवान शंकर ने गंगा मां को अपनी जटा में स्थान दिया था. इसलिए यदि आप सावन केसोमवार को गंगाजल लाकर घर की किचन में रखते हैं तो घर में सम्पन्नता बढ़ेगी और तरक्की वसफलता मिलती है.
- चांदी या तांबे का त्रिशूूल: घर के हॉल में चांदी या तांबे का त्रिशूूल स्थापित करके आप घर की सारीनेेगेटिव एनर्जी खत्म कर सकते हैं. इस बार सावन में इसे जरूर लाएं.
- चांदी या तांबे का नाग: नाग को भगवान शिव का अभिन्न अंग माना जाता है. घर के मेन गेट के नीचेनाग-नागिन के जोड़े को दबाने से रुके हुए काम पूरे होते हैं.
- डमरू: घर में डमरू रखने से नेगेटिव एनर्जी का असर नहीं होता. खासतौर से यदि आप इसे बच्चों केकमरे में रखें तो ज्यादा अच्छा होगा. बच्चे किसी भी नकारात्मक ऊर्जा से बचे रहेंगे और उन्हें हर काम मेंसफलता भी प्राप्त होती है.
- जल से भरा तांबे का लोटा: घर के जिस हिस्से में परिवार सबसे ज्यादा रहता है, वहां एक तांबे के लोटे मेंजल भरकर रख दें. इससे घर के लोगों के बीच प्रेम और विश्वास बना रहेगा. ध्यान रखें कि समय-समय पर उस पानी को बदलते रहें. उस पानी को ऐसे ही जाया ना करें, उसे किसी पेड़ या पौधे में डाल दें.
- चांदी के नंदी: जिस प्रकार घर में