मनोनीत दीप : दोस्तो आज आपका ध्यान एक गम्भीर विषय पर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा हूँ। ये कहानी है नारी के एक रूप ‘वेश्या’ की—इस कहानी के लिए पूनम लाल जी की कलम को बहुत आभार..
आप मुझे किसी भी नाम से बुला सकते हैं (रं.D या वेश्या)…क्योंकि समाज में मुझे कभी सम्मानित नजर से नहीं देखा। हमारे पास हर तरह के कस्टमर आते हैं..
मैं कोलकाता के करीब 10 किलोमीटर के दायरे में सोनागाछी में रहती हूं…. यहां पर करीब 1800 महिलाएं इसी धंधे में लगी है …..
कुछ लोगों को लगता है कि यह आसानी से पैसा कमाने का सबसे अच्छा तरीका है ….लोगों को लगता है कि हम इस पेशे में स्वेच्छा से आए हैं
एक बात जानना चाहती हूं किसी भी साधारण स्त्री से आप पूछिए कि अगर कोई पुरुष आपको गलत नजर से देखता है तो कितना गुस्सा आता है !!!! वह कितना असहज महसूस करती है !!!! तो ,जब ऐसी स्थिति में जब उसने आपको छुआ नहीं सिर्फ देखा आप असहज हो जाती हैं तो हमें वह सब करके कैसे अच्छा लगता होगा ????? यह धारणा जानबूझकर बनाई गई कि यह पेशा अच्छे लगने की वजह से फल फूल रहा है।
आप के सभ्य समाज ने यह मान्यता स्थापित कर दी है कि पुरुष हमारे शरीर को नोचने, तोड़ने ,और काटने का हक रखते हैं इसलिए यह #ईज़ी_मनी_अर्निंग वाली मानसिकता बिल्कुल गलत है…. इस पेशे में आने वाली लड़कियां अधिकतर मजबूर होती हैं अशिक्षित होती हैं.
उनका परिवार बेहद गरीब और लाचार होता है ।उनका कोई सहारा नहीं होता है
लेकिन कोई उनका ही नजदीकी ,दोस्त, रिश्तेदार, पड़ोसी वही उसकी मजबूरी का फायदा उठाता है और पैसों के लिए ऐसे नर्क में धकेल देता है …..मेरे साथ काम करने वाली कुछ लड़कियां तो रद्दी से भी सस्ते दामों में खरीदी गई हैं । आमतौर पर 14 से 15 साल की लड़की 2500 से लेकर 30000 के बीच खरीदी जाती है ….पिछले साल यानी 2016 में दो बहने एक 16 साल और दूसरी 14 साल की को सिर्फ 230 रुपए में खरीदा बेचा गया ….. दो लड़कियां 230 रुपए में बिक गई अगर दोनों लड़कियों का कुल वजन 80 किलो भी था तो इसका मतलब तीन रुपए प्रति किलो…. जरा याद करके बताइए आपने पिछली बार रद्दी पेपर किस भाव बेचा था.
शुरुआत के दिनों खरीद कर लाई गई लड़कियों को समझाने का काम हमें ही करना पड़ता है.
पर कोई भी लड़की सिर्फ बात करने से नहीं मानती ….
फिर उसे खूब डराया जाता है
बहुत सारी लड़कियां डर के कारण मान जाती हैं ….और जो नहीं मानती हैं ,उनके साथ बलात्कार करते हैं ….शारीरिक और मानसिक यातना देते हैं
बार -बार..लगातार तब तक जब तक वह इन यात्राओं के कारण टूट नहीं जाती ..
और काम करने के लिए हां नहीं कर देती ….पर कुछ लड़कियां फिर भी नहीं मानती …तब उनको बलात्कार करने के बाद बेहद शारीरिक कष्ट दिए जाते हैं और उसी यंत्रणाओं के दौरान उनकी हत्या भी कर दी जाती है …या लड़की स्वयं को ही मार लेती है ….ऐसी लड़कियों की लाश नदी किनारे या जंगल में पड़ी मिल जाती है… जिन्हें लावारिश घोषित कर दिया जाता है …..
आपका साफ सुथरा समाज सब कुछ देखता है और अपने काम में लग जाता है .
अब आइए बताती हूं अपने ग्राहकों के बारे में ….पहले हमारे ग्राहक मिडिल एज हुआ करते थे ..पर अब नौजवान और यहां तक की नाबालिग भी आते हैं .
इस पेशे का एक #विभत्स चेहरा यह भी है कि #नाबालिक बहुत #आक्रामक होते हैं और क्रूरता के साथ…..
हमारे मना करने पर हिंसक हो जाते हैं क्योंकि पैसा देकर मनमानी करना इनका अधिकार है …..ये लड़के काफी निर्दयी होते हैं ….पर हमारे पास चुनाव की गुंजाइश नहीं होती है …..कुछ भी हो जाए हमें वह हर आक्रमण…. हर प्रयोग ….हर चोट…. हर दर्द …सहना पड़ता है और किसी तरह से उस वक्त को गुजारना होता है..
‘दोस्तो ये जीवन इन्होंने स्वयं नहीं चुना बल्कि जबरन इसमें धकेला गया और निकलने नहीं दिया जा रहा है’
दोस्तो इन्हें भी गर्वपूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिलना चाहिए।।।
“है नारी इतना काबिल नही मैं कि कर सकूँ तुम्हारा गुणगान
क्योंकि तुमसे ही है ये धरती और आसमान”
स्त्री-महिला-बहन-बेटी-पत्नी
कितने रंगों से बनी होती है-
ममता का रंग,प्रेम का रंग,त्याग का रंग,करुणा का रंग
शक्ति का रंग,वेदना का रंग….
जिससे है हर घर में शान,जिससे होता है सृष्टि का निर्माण नारी जब भी आती है साथ लक्ष्मी का वास लाती है
सम्मान की बात जँहा आती है नारी प्राण तक न्योछावर कर जाती है।
आपका अपना-
मनोनीत दीप