सामाजिक विषमता को हटाकर समाज में सबके लिए अवसरों की बराबरी प्राप्त हो इसलिये सामाजिक आरक्षण का प्रावधान आरक्षण में किया है। संविधान सम्मत सभी आरक्षणों को संघ का पूरा समर्थन है। बीच बीच में वक्तव्य होते हैं उन में से अर्थ निकाले जाते हैं। यह बात ध्यान में रखिये सामाजिक विषमता दूर के लिए संविधान में जितना आरक्षण दिया गया है उसको संघ का पूरा समर्थन है और रहेगा। आरक्षण कब तक चलेगा इस निर्णय जिनके लिए आरक्षण दिया गया है वही करेंगे। उनको जब लगेगा कि अब आवश्यकता नहीं है इसकी तब वो देखेंगे। लेकिन तब तक इसको जारी रहना चाहिए ऐसा संघ का बहुत सुविचारित और जब से ये प्रश्न आया है तब से मत है। उसमें बदल नहीं हुआ है। अब क्रीमीलेयर को क्या करना। और लोग मानते हैं। सामाजिक आधार पर आरक्षण संविधान में है। सम्प्रदायों के आधार पर नहीं है।
क्योंकि सभी समाज कभी न कभी अग्रणी वर्गों में रहे हैं अपने यहां। तो उनके आरक्षण का क्या करना। अब और भी जातियां आरक्षण मांग रही है उनका क्या करना। इसका विचार करने के लिए संविधान ने पीठ बनाए हैं। फोरम बनाये हैं वह उनका विचार करे और उचित निर्णय दे। आरक्षण समस्या नहीं है। आरक्षण की राजनीति ये समस्या है। भई अपने समाज का एक अंग पीछे है ऐतिहासिक सामाजिक कारणों से। शरीर पूरा स्वस्थ तब कहा जाता है उसके सब अंग जब आगे जाना है तो आगे जाते हैं। मैं आगे जाने को होता हूं हाथ हिलने लगते हैं लेकिन पैर पीछे रह जाते हैं तो मुझे पैरालिटिक कहा जाता है। इसलिये उसको बराबरी में लाने की आवश्यकता है। तो समाज मे ये बराबरी कब आएगी। तो जो उपर है वो नीचे झुकेंगे और जो नीचे हैं वो उपर उठेंगे, हाथ से हाथ मिलाकर गड्डे में जो गिरे हैं उनको ऊपर लाया जाएगा। समाज को आरक्षण् का विचार इस मानसिकता से करना चाहिए। आज हमको मिल रहा है या नहीं मिल रहा है यह नहीं सोचना चाहिए। सबको मिलना चाहिए।
सामाजिक कारणों से हजारों वर्षों से लगभग स्थिति है कि हमारे समाज का एक अंग पूर्णतः निर्बल हमने बना दिया है उसको ठीक करना आवश्यक है। हजारों वर्षों की बीमारी को ठीक करने में अगर हमको 100-150 साल नीचे झुककर रहना पड़ता है तो ये कोई महंगा सौदा बिल्कुल नहीं है। यह तो कर्तव्य है हमारा। ऐसा सोचकर इसका विचार करना चाहिए तो इन सारे प्रश्नों के हल मिलेंगे और इस प्रश्न को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिये। ये समाज की स्वस्थता का प्रश्न है। इसमें सबको एकमत से चलना चाहिए। ऐसा संघ को लगता है।