दिलीप : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जॉर्जिया की महान संत और देवी के समान दर्जा रखने वाली रानी केतेवन की अस्थियों को जॉर्जिया की जनता और वहां की सरकार को सौंप दिया है । जॉर्जिया की जनता और वहां की सरकार के लिए ये पल बहुत भावुक करने वाला था ।
-साल 2005 से जॉर्जिया में ये गुहार लगाई जा रही थी कि रानी केतेवन का शव भारत से जॉर्जिया लाया जाए… कैसे रानी केतेवन ने अपने धर्म और अपने देश को बचाने के लिए ईरान के मुस्लिम बादशाह से जंग लड़ी और कैसे उसका शव भारत पहुंचा… पूरी कहानी शुरू से अंत तक जानिए… पूरा लेख पढ़ना है आपको आखिर तक
-जॉर्जिया की रानी केतेवन का जन्म 1560 ईस्वी में यानी आज से करीब 450 साल पहले जॉर्जिया में हुआ था… जॉर्जिया रूस का एक पड़ोसी देश है
-1605 से 1614 के बीच में वो अपने पुत्र तेमुराज़ की संरक्षिका रानी थी… क्योंकि उसके पति डेविड की मृत्यु के बाद नाबालिग अवस्था में उसके बेटे को राजा घोषित किया गया था
– रानी केतेवन की हत्या ईरान के शिराज में हुई थी ईरान के शिया मुसलमान बादशाह शाह अब्बास ने रानी केतेवन को इस्लाम स्वीकार करने के लिए कहा था लेकिन रानी अपने ईसाई धर्म पर अड़ी हुई थी इसकी वजह से लंबे समय तक टॉर्चर करने के बाद रानी केतेवन की हत्या कर दी गई
– ईरान के मुसलमान बादशाह के चंगुल में रानी केतेवन ऐसे फंसी… दरअसल रानी केतेवन अपने नाबालिग पुत्र की संरक्षिका रानी थीं । यानी अपने पुत्र के नाम पर राज्य की बागडोर उनके हाथ में ही थी
– लेकिन रानी के स्वर्गवासी पति डेविड के रिश्तेदारों ने 1605 में ईरान के शाह की मदद से जॉर्जिया में तख्ता पलट की कोशिश की । रानी केतेवन ने उस वक्त ईरान के मुस्लिम बादशाह की सेना और राज्य के विद्रोहियों की सेना को हरा दिया था ।
– रानी बहुत दयालु थी और उसने विद्रोही और मुसलमान घायल सैन्य अधिकारियों और सैनिकों की पूरी मरहम पट्टी करवाई और उनकी पूरी देखभाल करने का निर्देश भी दिया… लेकिन उसके दुश्मन मुस्लिम बादशाह उसकी तरह दयालु बिलकुल भी नहीं थे वो कट्टर इस्लाम को फॉलो करने वाले जिहादी और फिदाईन थे
– ये लड़ाई जीतने के बाद रानी ने ईरान के शाह अब्बास से बातचीत शुरू कर दी कि वो उसके नाबालिग बेटे को राजा और उसको राज्य की संरक्षिका रानी स्वीकार कर ले और विवाद खत्म करे
– लेकिन ईरान के बादशाह ने संधि प्रस्ताव से इनकार कर दिया और दोबारा 1614 में जॉर्जिया पर हमला कर दिया । इस हमले में रानी केतेवन को सरेंडर करना पड़ा
– 1614 के बाद से लगातार 10 साल तक रानी केतेवन को टॉर्चर किया जाता रहा कि वो ईसाई धर्म छोड़कर इस्लाम स्वीकार कर ले लेकिन जब उसने ऐसा नहीं किया तो लंबे समय तक टॉर्चर के बाद उनकी हत्या कर दी गई
– 1637 में रानी केतेवन के शव को समुद्र के रास्ते से गुपचुप तरीके से ईसाई गोवा लेकर आए… यहां एक चर्च में रानी केतेवन के शव को छुपा दिया गया था । बाद में ये चर्च भी खंडहर बन गया । लेकिन 2005 में चर्च से ही रानी केतेवन के अवशेष निकाले गए ।
– इस्लाम से टक्कर लेने की वजह से और अपने बलिदान की वजह से जॉर्जिया में रानी केतेवन को एक महान संत की तरह याद किया जाता है…. जॉर्जिया की जनता बहुत लंबे समय से ये मांग कर रही थी कि भारत से रानी केतेवन के अवशेषों को जॉर्जिया लाया जाए और अब भारत ने ये मांग पूरी कर दी है ।
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