प्रियंका राणा : पराली की समस्या हमारे देश में आम हो चुकी है। हर साल लोगों को इसकी समस्या से गुजरना पड़ता है। जिससे लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इससे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। लेकिन इससे सरकार को कोई फर्क नही पड़ता। क्योंकि सरकार वोट खाते के लिए कुछ भी कर सकती है।
राज्य सरकार केंद्र सरकार पर इल्जाम लगाती है और केंद्र सरकार राज्य सरकार को लेकिन इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ता है। हम ऐसा इसलिए कह रहे है क्योंकि आने वाले चुनावों को देखते हुए वोट खाते के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने बुधवार को पराली जलाने वाले या कृषि अपशिष्ट जलाने वाले किसानों के खिलाफ सभी पुलिस मामले रद्द करने का ऐलान किया है।
साथ ही उन्होंने ने कहा कि हम चाहते हैं कि किसान पराली जलाना बंद करें। सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। लेकिन हम अब तक पराली जलाने के लिए दर्ज सभी केस रद्द कर रहे हैं। मैं किसानों से पराली नहीं जलाने की अपील कर रहा हूं। केंद्र को यह भी सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किसान पराली न जलाएं।
ऐसा निर्णय लेना लोगों की नजरों में वोट स्टंट माना जा रहा है। किसानों को इस तरह रिझाने से मुख्यमंत्री एक बार फिर से अपने इस पद पर आने की पूरी तैयारी कर रहे है।
पराली के जलने से पंजाब के पड़ोसी राज्यों को दिक्कतों से सामना करना पड़ता है। इस समस्या से ज्यादातर हर साल दिल्लीवासियों को गुजरना पड़ता है। दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को लेकर दिल्ली में 7 दिनों के लिए स्कूल- सरकारी ऑफिस बंद कर दिए हैं। ये निर्णय लोगों के स्वास्थ्य को देखते हुए लिया गया है।
कब तक होता रहेगा लोगों की सेहत से खिलवाड़?
अगर सरकार वोटों के चलते ऐसे ही निर्णय लेती रही तो जनता के स्वास्थ्य को लेकर कौन कदम उठाएगा। ऐसे ही सरकार अपने कदम उठाती रही तो दिन प्रतिदिन लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता चला जाएगा। यही स्थिति रही तो एक दिन यह समस्या पूरे देश में पैदा हो सकती। सरकार को वोट के चलते नहीं बल्कि जनता के स्वास्थ्य को देखकर कदम उठाना चाहिए। एक अच्छा नेता वही होता है जो देशप्रेमी हो जो देशवासियों के लिए अच्छे निर्णय ले न कि वोटप्रेमी हो।
जनता हुई जागरूक
आज के लोग हर निर्णय से जागरूक हो चुके है। आज की जनता को अंधेरे में डालकर अपने वोट बैंक पाना इतना आसान नहीं है। आज की पीढ़ी अपने हित के अच्छे निर्णय लेना अच्छे से जानती है। इसलिए नेताओं को चुनावों के समय अपने दावों के आधार पर किए गए वादों को करने से बचना चाहिए।