माननीय प्रधानमंत्री जी 73वें स्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाऐं।
आपने जिस तरह आर्टिकल ३७० व 35A हटा कर शेर जैसा कार्य किया है। वैसे ही एक देश एक शिक्षा लागू करने की कृपा करें।मै हेम बहुगुणा आपका ध्यान मैकाले की शिक्षा पदति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि हमारे देश को स्वतंत्र हुए 72 साल पूरे होने पर भी क्यूं 1858 की शिक्षा पदति लागू हो रही है।आप जैसे प्रधानमंत्री ही यह काम कर सकते हैं।क्या ऐसा नहीं लगता की इस व्यवस्था का हिंदुस्तानी ‘ धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का ‘ होता जा रहा है ।
अंग्रेजी जीवन में पूर्ण रूप से नहीं रच बस पाया क्यूंकी विदेशी भाषा है . . . और हिंदी वो सीखना नहीं चाहता क्यूंकी पिछड़ेपन का अहसास दिलाती है । हमें अपने बच्चे की पढाई अंग्रेजी विद्यालय में करानी है क्यूंकी दौड़ में पीछे रह जाएगा । माता पिता भी क्या करें बच्चे को क्रांति के लिए भेजेंगे क्या ? क्यूंकी आज अंग्रेजी न जानने वाला बेरोजगार है . . स्वरोजगार के संसाधन ये बहुराष्ट्रीय कंपनिया खत्म कर देंगी फिर गुलामी तो करनी ही होगी . . तो क्या हम स्वीकार कर लें ये सब ? ? या हिंदी या भारतीय भाषा पढ़कर समाज में उपेक्षा के पात्र बने ? ? शायद इसका एक ही उत्तर है -हमें वर्तमान परिवेश में हमारे पूर्वर्जा द्वारा स्थापित उच्च आदर्श को स्थापित करना होगा ।
हमें विवेकानंद का ” स्व ” और क्रांतिकारियों का देश दोनों को जोड़ कर स्वदेशी की कल्पना को मूर्त रूप देने का प्रयास करना होगा , चाहे भाषा हो या खान पान या रहन सहन पोशाक । अगर मैकाले की व्यवस्था को तोड़ने के लिए मैकाले की व्यवस्था में जाना पड़े तो जाएँ . . . . जैसे मैं ‘ अंग्रेजी गूगल ‘ का इस्तेमाल करके हिंदी लिख रहा हूँ और इसे ‘ अंग्रेजी फ़ेसबुक पर शेयर कर रहा हूँ . . . . . क्यूंकी कीचड़ साफ करने के लिए हाथ गंदे करने होंगे । हर कोई छद्म सेकुलर बनकर सफ़ेद पोशाक पहन कर मैकाले के सुर में गायेगा तो आने वाली पीढियां हिन्दुस्तान को ही मैकाले का भारत बना देंगी । उन्हें किसी ईस्ट इंडिया की जरुरत ही नहीं पड़ेगी गुलाम बनने के लिए और शायद हमारे आदर्शो ‘ राम और कृष्ण को एक कार्टून मनोरंजन का पात्र ।
आज हमारे सामने पैसा चुनौती नहीं बल्कि भारत का चारित्रिक पतन चुनौती है । इसकी रक्षा और इसको वापस लाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए । उत्तराखंड जैसे पर्वतीय क्षेत्र से हो रहे पलायन का कारण भी अंग्रेजो की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति में ही छिपा है।
भवदीय
हेम बहुगुणा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य, भारतीय मज़दूर संघ, उत्तराखंड
मित्र आप नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को विस्तार पूर्वक यहां पर पढ़ सकते हैं https://www.theindiapost.com/education/draft-national-education-policy-2019/
हेम बहुगुणा जी आपकी भावनाओं को समझ सकते हैं कृपया एक बार नई एजुकेशन पॉलिसी अवश्य पढ़ें आपका मोदी जी को दिया हुआ वोट कभी भी व्यर्थ नहीं जाएगा जैसा आप सोचते हैं वैसा ही होगा नए राष्ट्र का निर्माण हो रहा है नई एजुकेशन पॉलिसी में मैकाले पद्धति को खत्म किया जा रहा है वंदे मातरम