जगदीश भाटी साब : प्याज और लहसुन के बिना आपको खाना बेस्वाद लगता होगा लेकिन कुछेक ब्राह्मण इससे दूरी बनाकर चलते हैं। ब्राह्मण प्याज और लहसुन से परहेज क्यों करते हैं, क्या आपके दिमाग में भी ये सवाल कभी कौंधा है। लोग इसके पीछे धार्मिक मान्यताओं का हवाला देते हैं, लेकिन कुछेक इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी बताते हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको उन वजहों की जानकारी दे रहे हैं जिनके चलते ब्राह्मण प्याज और लहसुन से दूरी बनाते हैं…
फूड कैटगराइजेशन:आयुर्वेद में खाद्य पदार्थों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है –
1 सात्विक
2 राजसिक
3 तामसिक
मानसिक स्थितियों के आधार पर इन्हें हम ऐसे बांट सकते हैं…
सात्विक:
शांति, संयम, पवित्रता और मन की शांति जैसे गुणराजसिक: जुनून और खुशी जैसे गुणतामसिक: क्रोध, जुनून, अहंकार और विनाश जैसे गुण
ये हैं वजह:
अहिंसा: प्याज़ और लहसुन तथा अन्य ऐलीएशस (लशुनी) पौधों को राजसिक और तामसिक रूप में वर्गीकृत किया गया है। जिसका मतलब है कि ये जुनून और अज्ञानता में वृद्धि करते हैं। अहिंसा – हिंदू धर्म में, हत्या (रोगाणुओं की भी) निषिद्ध है। जबकि जमीन के नीचे उगने वाले भोजन में समुचित सफाई की जरूरत होती है, जो सूक्ष्मजीवों की मौत का कारण बनता है। अतः ये मान्यता भी प्याज़ और लहसुन को ब्राह्मणों के लिये निषेध बनाती है, लेकिन तब सवाल आलू, मोल्ली और गाजर पर उठता है।
अशुद्ध खाद्य:
कुछ लोगों का ये भी कहना है कि मांस, प्याज और लहसुन का अधिक मात्रा में सेवन व्यवहार में बदलाव का कारण बन जाता है। शास्त्र के अनुसार लहसुन, प्याज और मशरूम ब्राह्मणों के लिए निषिद्ध हैं, क्योंकि आमतौर पर ये अशुद्धता बढ़ाते हैं और अशुद्ध खाद्य की श्रेणी में आते हैं। ब्राह्मणों को पवित्रता बनाए रखने की जरूरत होती है, क्योंकि वे देवताओं की पूजा करते हैं जोकि प्रकृति में सात्विक (शुद्ध) होते हैं।
सनातन धर्म के अनुसार:
सनातन धर्म के वेद शास्त्रों के अनुसार प्याज और लहसुन जैसी सब्जियां प्रकृति प्रदत्त भावनाओं में सबसे निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ावा देती हैं, जिस कारण अध्यात्मक के मार्ग पर चलने में बाधा उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति की चेतना प्रभावित होती है। इस कराण इनका सेवन नहीं करना चाहिए ।
मान्यताएं:
इन बातों का अब कम महत्व है, क्योंकि जीवन में तो व्यवस्था विलुप्त होने के कगार पर है और बेहद कम लोग ही इन नियमों का पालन करते हैं। आज के दौर के अधिकांश लोग, खासतौर पर युवा पीढ़ी इसे अंधविश्वास से जोड़ कर देखती है या यह वर्तमान जीवन शैली के कारण इनका पालन नहीं कर सकती है।लेकिन आयुर्वेद के अनुसार साधू, संन्यासी, ब्रह्मचारी और सत्मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति को लहसुन,प्याज सेवन नही करना है ।