मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्, चंडीगढ़ : 6 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि आरंभ हो चुके हैं जो 14 तारीख तक रहेंगे। इस अवधि में आप कुछ मंत्रों एवं उपायों से काफी लाभ उठा सकते हैं।
किस समस्या के लिए कैसे मंत्र पाठ करें ?
नवरात्रि में साधना
1.व्यापार वृद्धि-आर्थिक उन्नतिः
उत्तरामुखी बैठ कर काली हकीक माला से 3 दिन 3 माला रोज करें ।
मंत्र
ओम् हृीं श्रीं क्लीं क्रों घण्टाकर्ण महावीर लक्ष्मीं पूरय पूरय सौभाग्यं कुरु कुरु स्वाहा !!
2-ऋण मुक्तिः
पश्चिम मुख बैठ के ,लाल आसन पर पीले वस्त्र पहन के 3 काली हकीक माला करें। मंत्रः
ओम् भं भैरवाय नमः !!
3.विदेश यात्रा बाधाः लाल वस्त्र पहन,पश्चिम मुख करके हनुमान जी का ध्यान करते हुए 54 बार मंत्र जाप करें-
ओम् क्षं फट् !!
4.पद प्रतिष्ठाःसफेद आसन पर सफेद वस्त्र पहन के उत्तरामुखी होके 7 माला करें -मंत्रः
हं ह सें ह स क रीं ह सें !!
5.प्रोमोशन: सफेद वस्त्र पहन के उत्तरामुखी हो एक माला रोज करें मंत्र-
ऐं ओम् हृीं नीलरातायै क्लीं हुं फट्!!
6.विवाहः लाल या सफेद वस्त्र पहन कर ,पूर्वामुखी हो लड़का एक माला रोज करे ।
मंत्रः
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम्!तारणीं दुर्ग संसारसागरस्य कुलोद्भवाम्!!
कन्या का मंत्रः
ओम् गौरी ! शंकराधीशे ! यथा त्वं शंकरप्रिया!
तथा मां कुरु कल्याणि कांता सदुर्लभाम् !!
7.मकानः रक्तचंदन की माला से उत्तरामुखी हो कुल 21 माला करें मंत्रः ओम् देवोत्थाय नमः !!
8.संतान विवाहः
लाल वस्त्र पहन ,उत्तरामुखी हो ,7 माला रोज करें
-मंत्रः ओम् क्रीं क्लीं विवाह बाधा निवारणाय फट् !!
9.स्थाई संपत्ति: पूर्वामुखी हो,पीले वस्त्र पहन कमलगटटे की माला से 3 माला रोज करेंः
ओम् पद्मावती पद्मनेत्रे लक्ष्मीदायिनी सर्वकार्य सिद्धि करि करि ! ओम् ह्ीं श्री पद्मावत्यै नमः!!
10.साजिश व षड़यंत्र मुक्तिः दक्षिणामुखी हो लाल वस्त्र पहन,मूंगे की माला से 3 माला रोज करें।मंत्रः
क्रीं क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हूं दक्षिणे कालिके
क्रीं क्रीं ह्ीं ह्ीं हूं हंू सवाहा !!
11.कोर्ट केसः पूर्वामुखी बैठ,लाल वस्त्र पहन 21 माला 7 दिन करें ।
मंत्रःशूलेन पाहि नो देवि पाहिखड्गेन चाम्बिके !
घण्टा स्वनेन नः पाहि चापज्यानिः स्वनेन च!!
- शत्रु विजयः दक्षिणामुख हो,लाल वस्त्र पहन,3 माला रोज करें ।मंत्रः ओम् क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीये विजयसिद्धिं शत्रुनाशाय फट्!!
- सर्व शत्रु संहारः मूंगे की माला से लाल वस्त्र पहन, एक माला करें ।
मंत्रः ओम् ऐं ह्ीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै !!
कर्ज निवारण के साधारण उपाय
- नवरात्र के दौरान आप कच्चे आटे की लोई लें। इसमें आप गुड़ भर के पानी में बहा दें। इससे आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
- नवरात्र के समय कौड़ी और हर सिंगार की जड़ को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करके धारण करें। ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
- एक सफ़ेद कपड़ा लें। इसमें पांच गुलाब के फूल, चांदी का टुकड़ा और गुड़ रखकर 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें और पानी में बहा दें। इससे आपको कर्ज से मुक्ति मिलने लगेगी।
- केले के पेड़ की जड़ में चावल, रोली, फूल और पानी अर्पित करें। इसके बाद नवमी वाले दिन पेड़ की थोड़ी सी जड़ को अपनी तिजोरी में रखें।
- कमल के फूल की पत्तियां लें। अब इन पर मक्खन व मिसरी लगायें। अब 48 लौंग व 6 कपूर की माता को आहूति दें। मान्यता है कि ऐसा करने से जल्द ही कर्ज का बोझ कम होने लगता है।
माता दुर्गा के 9 रूपों का उल्लेख श्री दुर्गा-सप्तशती के कवच में है जिनकी साधना करने से भिन्न-भिन्न फल प्राप्त होते हैं। कई साधक अलग-अलग तिथियों को जिस देवी की हैं, उनकी साधना करते हैं, जैसे प्रतिपदा से नवमी तक क्रमश:-
(1) माता शैलपुत्री : प्रतिपदा के दिन इनका पूजन-जप किया जाता है। मूलाधार में ध्यान कर इनके मंत्र को जपते हैं। धन-धान्य-ऐश्वर्य, सौभाग्य-आरोग्य तथा मोक्ष के देने वाली माता मानी गई हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:।’
(2) माता ब्रह्मचारिणी : स्वाधिष्ठान चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। संयम, तप, वैराग्य तथा विजय प्राप्ति की दायिका हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।’
(3) माता चन्द्रघंटा : मणिपुर चक्र में इनका ध्यान किया जाता है। कष्टों से मुक्ति तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए इन्हें भजा जाता है।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:।’
(4) माता कूष्मांडा : अनाहत चक्र में ध्यान कर इनकी साधना की जाती है। रोग, दोष, शोक की निवृत्ति तथा यश, बल व आयु की दात्री मानी गई हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:।’
(5) माता स्कंदमाता : इनकी आराधना विशुद्ध चक्र में ध्यान कर की जाती है। सुख-शांति व मोक्ष की दायिनी हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:।’
(6) माता कात्यायनी : आज्ञा चक्र में ध्यान कर इनकी आराधना की जाती है। भय, रोग, शोक-संतापों से मुक्ति तथा मोक्ष की दात्री हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:।’
(7) माता कालरात्रि : ललाट में ध्यान किया जाता है। शत्रुओं का नाश, कृत्या बाधा दूर कर साधक को सुख-शांति प्रदान कर मोक्ष देती हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:।’
(8) माता महागौरी : मस्तिष्क में ध्यान कर इनको जपा जाता है। इनकी साधना से अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं। असंभव से असंभव कार्य पूर्ण होते हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।’
(9) माता सिद्धिदात्री : मध्य कपाल में इनका ध्यान किया जाता है। सभी सिद्धियां प्रदान करती हैं।
मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:।’
विधि-विधान से पूजन-अर्चन व जप करने पर साधक के लिए कुछ भी अगम्य नहीं रहता।
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