नवीन चंद्रा तिवारी, चंडीगढ़ : क्या बिन्दी गैंग का कोई सदस्य यह बता सकता हे की , क्या मुस्लिम महिला कोई मशीन हे , क्या वह इंसान नहीं ? अगर वह यह सिद्ध कर दे की मुस्लिम महिला का खून हिन्दू महिला से अलग हे या फिर वह जीने के लिए हिन्दू महिला की तरह साँस नहीं लेती तो हम समझ लेंगे की क्यों बड़ी बिंदी गैंग मुस्लिम महिला पर होने वाले अत्याचार के लिए क्यों नहीं बोलता ।
करवाचौथ को पुरुष सत्ता का पर्व कहने वाली “करवाचौथ” का व्रत रखने की बात पर भी प्रगतिशील महिलायेँ अपना बिरोध दर्ज करवा रही थी और आज ट्रिपल तलाक , हलाला और 4 निकाह से प्रताड़ित मुस्लिम महिलाओं के पक्ष मे कोई मुँह खोलने तक को तैयार नहीं मुँह में दही जमाये हैं ।
आप सभी ने देखा होगा जब कभी भी हिंदुओं की बात आती है तो बड़ी बिंदी गैंग एवं टीवी वाले महिलाओं पर अत्याचार, भेदभाव, समानता, सशक्तिकरण और ना जाने क्या क्या बता चीखने चिल्लाने लग जाती है. यहाँ तक की ये न सिर्फ करवाचौथ आदि पर्व त्योहारों पर छाती पिटती है बल्कि सिंदूर लगाने तक को महिलाओं द्वारा पुरुष की गुलामी बताती है ।
………..घूंघट डालने का विरोध करती है…… हालाँकि सनातन संस्कृति में महिलाओं के लिए घूंघट कभी नहीं था बल्कि लम्पट, कामुक और बलात्कारी मुसलमानों से बचने के लिए हिंदू महिलाऐं ने घूंघट डालना शुरू की…………………..लड़कियों की सुरक्षा की गरज से जरा सलाह दे दीजिए की थोडा ढंग के कपडे पहने, देर रात घर से बाहर ना जाएँ फिर ये नीच बड़ी बिंदी गैंग आसमान सर पर उठा लेंगी….
शनि भगवान को औरतों द्वारा छुए जाने की पौराणिक मनाही है परन्तु ये नीच वामपंथी बिंदी गैंग उसके लिए आंदोलन करेगी और भक्तिन बनने का ड्रामा करेगी परन्तु मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार, गुलामी बलात्कार मसलन तिन तलाक, हलाला (तलाक के बाद पुनर्विवाह के लिए गैर मर्द के साथ सोने की बाध्यता), मुतः (आतंकवादियों के सेक्स संतुष्टि के लिए क्षणिक निकाह), दरगाहों में और मस्जिदों में मुस्लिम महिलाओं के प्रवेश की बात आदि हो तो ये अपना मुंह छिपाकर अचानक से गायब हो जाती है।
दरअसल इन बड़ी बिंदी गैंग का महिलाओं के भलाई से कोई लेना देना नहीं बल्कि इन सेकुलर, वामपंथी नीच औरतों का उद्देश्य केवल हिंदू धर्म सभ्यता संस्कृति को बदनाम करना मात्र होता है…पौराणिक हिंदू धर्म की व्याख्या तो कोई भी रोडछाप करने लग जाता है लेकिन अब कहाँ है ये दलाल???
क्या किसी को याद पड़ता है की ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे पर किसी भी अरुंधति, तृप्ति देसाई , अरूणा, मेघा, वृंदा, तिस्ता या ऐसी किसी भी progressive महिला नें महिला हितों को ले कर कोई बयान दिया है? या सारी की सारी किसी बिल में घुस कर किसी दलित/intolerance/ JNU/ अफ़ज़ल का इंतज़ार कर रही है ??
खैर…मैंने GB रोड की वेश्याओं की जिन्दगी मे सुधार लाने के लिये कई NGO, न्यूज़ चेनेल्स और पॉलिटिकल पार्टीज को मुहिम चलाते देखा है । आज जब “निकाह हलाला” द्वारा महिलाओं से वेश्यावृति करवाया जा रहा है तो सबने चुप्पी साध ली — इस्लाम से इस खास लगाव का क्या कारण है ???? समझ नहीं आता ये इतना सारा दोगलापन आखिर लाती कहाँ से हैं…???