आज मेरी जन्मदाती माँ की तेरहवीं पुण्यतिथि/ स्मृति दिवस” है । और मेरी तरफ से माँ को यही श्रदांजलि है
कि मैं मेरी माँ द्वारा प्रदत्त ज्ञान,संस्कार एवं समाजसेवा/जरूरतमंदों की मदद करने के गुण को में अपने जीवन में सार्थक करता रहूँ।
माँ की याद में आज कुछ पंक्तिया आप सभी तक पहुँचा रहा हूँ। पृथ्वी पर विराजमान भगवान अपने माता पिता का सेवा और उनकी हर ख्वाइश पूरी करने का प्रयत्न करें।
‘माँ’ एक ऐसा शब्द जिसकी परिभाषा देने की कोशिश तो कई लोगों ने दी है लेकिन माँ की परिभाषा इतनी बड़ी है कि उस पर जितना भी लिखा जाए कम है।
इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है। उसके जीवन को आधार देने वाली भी माँ ही होती है। एक माँ का दर्जा इन्सान के जीवन में भगवान् के स्वरूप है
आप माँ को बहुत प्यार करते हैं। पर कभी सोचा है उनका क्या जिनकी माँ उनसे दूर चली गयी है। कैसे जीते हैं वो लोग?
इसी बात को अपने मन में रख कर मैंने अपनी व्यथा को कुछ शब्दों में एकत्रित करने की कोशिश की है।
`माँ तू लोट आ’
तू लौट आ माँ
तेरी याद बहुत आती है
ये घर घर न रहा
तेरे जाने के बाद मकान हो गया,
ऐसा पसरा है सन्नाटा
मानो श्मशान हो गया,
काम पर जाता हूँ तो
लौट आने का दिल नहीं करता,
यहाँ गूंजती है तेरी आवाज
और मैं हूँ सन्नाटों से डरता,
थक हार कर शाम को जब
मैं घर वापस आता हूँ,
पूरे घर में बस एक
तेरी कमी पाता हूँ,
लेट जाता हूँ तो लगता है
अभी सिर पर हाथ फिराएगी,
देख के अपने बच्चे को
हल्का सा मुस्काएगी,
मगर ख्यालों से अब तू
बाहर कहाँ आती है
हो सके तो तू लौट आ माँ
तेरी याद बहुत आती है।
मेरा बचपन थक के सो गया माँ तेरी लोरियों के बग़ैर
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर…
मन को समझाता हु माँ-
माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास है
आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है। कैसे भूल सकता हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था..
साभार
आज मेरी जन्मदाती माँ की तेरहवीं पुण्यतिथि/ स्मृति दिवस” है । और मेरी तरफ से माँ को यही श्रदांजलि है
कि मैं मेरी माँ द्वारा प्रदत्त ज्ञान,संस्कार एवं समाजसेवा/जरूरतमंदों की मदद करने के गुण को में अपने जीवन में सार्थक करता रहूँ।
माँ की याद में आज कुछ पंक्तिया आप सभी तक पहुँचा रहा हूँ। पृथ्वी पर विराजमान भगवान अपने माता पिता का सेवा और उनकी हर ख्वाइश पूरी करने का प्रयत्न करें।
‘माँ’ एक ऐसा शब्द जिसकी परिभाषा देने की कोशिश तो कई लोगों ने दी है लेकिन माँ की परिभाषा इतनी बड़ी है कि उस पर जितना भी लिखा जाए कम है।
इंसान को जीवन देने वाली माँ ही होती है। उसके जीवन को आधार देने वाली भी माँ ही होती है। एक माँ का दर्जा इन्सान के जीवन में भगवान् के स्वरूप है
आप माँ को बहुत प्यार करते हैं। पर कभी सोचा है उनका क्या जिनकी माँ उनसे दूर चली गयी है। कैसे जीते हैं वो लोग?
इसी बात को अपने मन में रख कर मैंने अपनी व्यथा को कुछ शब्दों में एकत्रित करने की कोशिश की है।
`माँ तू लोट आ’
तू लौट आ माँ
तेरी याद बहुत आती है
ये घर घर न रहा
तेरे जाने के बाद मकान हो गया,
ऐसा पसरा है सन्नाटा
मानो श्मशान हो गया,
काम पर जाता हूँ तो
लौट आने का दिल नहीं करता,
यहाँ गूंजती है तेरी आवाज
और मैं हूँ सन्नाटों से डरता,
थक हार कर शाम को जब
मैं घर वापस आता हूँ,
पूरे घर में बस एक
तेरी कमी पाता हूँ,
लेट जाता हूँ तो लगता है
अभी सिर पर हाथ फिराएगी,
देख के अपने बच्चे को
हल्का सा मुस्काएगी,
मगर ख्यालों से अब तू
बाहर कहाँ आती है
हो सके तो तू लौट आ माँ
तेरी याद बहुत आती है।
मेरा बचपन थक के सो गया माँ तेरी लोरियों के बग़ैर
एक जीवन अधूरा सा रह गया माँ तेरी बातो के बग़ैर
तेरी आँखो में मैने देखे थे अपने लिए सपने कई
वो सपना कही टूट के बिखर गया माँ तेरे बग़ैर…
मन को समझाता हु माँ-
माँ हर पल तुम साथ हो मेरे, मुझ को यह एहसास है
आज तू बहुत दूर है मुझसे, पर दिल के बहुत पास है।
तुम्हारी यादों की वह अमूल्य धरोहर
आज भी मेरे साथ है,
ज़िंदगी की हर जंग को जीतने के लिए,
अपने सर पर मुझे महसूस होता आज भी तेरा हाथ है। कैसे भूल सकता हूँ माँ मैं आपके हाथों का स्नेह,
जिन्होने डाला था मेरे मुंह में पहला निवाला,
लेकर मेरा हाथ अपने हाथों में,
दुनिया की राहों में मेरा पहला क़दम था जो डाला
जाने अनजाने माफ़ किया था मेरी हर ग़लती को,
हर शरारत को हँस के भुलाया था,
दिल जब भी भटका जीवन के सेहरा में,
तेरे प्यार ने ही नयी राह को दिखाया था..
साभार