चाणक्य ने पहली बार जब मगध की राजधानी पाटलिपुत्र पर हमला किया (मतलब उनकी सेना ने) तो बुरी तरह मुंह की खायी और बा-मुश्किल जान बचाकर भागे।
भागते भागते चाणक्य भी एक बुढ़िया की झोपडी में आकर छुप गए।
वह रसोई के साथ ही कुछ मन अनाज रखने के लिए बने मिट्टी के निर्माण के पीछे छुपकर खड़े थे।
पास ही चौके में एक दादी अपने पोते को खाना खिला रही थी।
दादी ने उस रोज खिचड़ी बनाई थी।
खिचड़ी गरमा-गरम थी। दादी ने खिचड़ी के बीच में छेद करके गरमा-गरम घी भी डाल दिया था और घड़े से पानी भरने गई थी।
थोड़ी ही देर के बाद बच्चा जोर से चिल्ला रहा था और कह रहा था- जल गया, जल गया।
दादी ने आकर देखा तो पाया कि बच्चे ने गरमा-गरम खिचड़ी के बीच में अंगुलियां डाल दी थीं।
दादी बोली, तू चाणक्य की तरह मूर्ख है, अरे गरम खिचड़ी का स्वाद लेना हो तो उसे पहले कोनों से खाया जाता है और तूने मूर्खों की तरह बीच में ही हाथ डाल दिया और अब रो रहा है’।
चाणक्य बाहर निकल आए, बुढ़िया के पांव छूए और बोले- आप सही कहती हैं कि, मैं मूर्ख ही था तभी राज्य की राजधानी पर आक्रमण कर दिया और आज हम सबको जान के लाले पड़े हुए हैं।
चाणक्य ने उसके बाद मगध को चारों तरफ से धीरे-धीरे कमजोर करना शुरू किया और एक दिन चंद्रगुप्त मौर्य को मगध का शासक बनाने में सफल हुआ।
आज जब मैं इन भक्तों और 70 साल से एक पार्टी के “बंधुआ मजदूरों” को देखता हूँ तो ये कहानी याद आती है।
JNU ढहा दो, नक्सलियों को मारने में क्या प्रॉब्लम है? कश्मीर के आतंकवादियों को एकदम से क्यों नहीं मार देते अरे भाई, जैसे कि नक्सली और आतंकवादी सामने से आकर कहते हैं कि, लो मुझे मार दो!!
जो लोग देश के खिलाफ नारे लगाते हैं उन्हें गोली से उड़ाने में क्या प्रॉब्लम है?
जनाब हमारा संविधान ही ऐसा बनाया गया है के किसी को भी सिर्फ इसलिए देशद्रोही नहीं माना जा सकता कि, उसने देश के खिलाफ नारे लगाए हैं जब तक की उन नारों की वजह से हिंसा या पब्लिक disorder ना हो।
कश्मीर के पत्थर बाजों को क्यों नहीं गोली मार देते? तो जनाब सुप्रीम कोर्ट का आर्डर है कि, किसी भी तरह की मौत के लिए जो कि मिलिट्री फायरिंग से होती है उसमे FIR फाइल करी जायेगी और जांच local police करेगी और उन दरिंदों को ये अधिकार हमारी पिछली सरकारों ने ही दिए है
अब मुझे बताओ कि अगर आप के हाथ में बन्दूक दे दें तो क्या आप गोली चला पाओगे?
ध्यान रहे किसी भी मौत के लिए आप को prove करना होगा कि आप क़ी गलती नहीं है।
वैसे पिछली सरकार एक कानून भी बनाकर गयी है कि, अगर सामने वाले के हाथ में हथियार है तब भी आप उसका उपयोग नहीं कर सकते जब तक कि, सामने वाला आतंकवादी गोली न चलाये!!
तो क्या करना चाहिए?
अब सरकार पैलेट गन का विकल्प लायी (ध्यान रहे ये इसी सरकार ने किया है) तो माननीय मीलोर्ड ने पानी की बौछार का विकल्प सुझाया है… आगे आप खुद समझदार हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि JNU को बंद करने में क्या प्रॉब्लम है भारत के खिलाफ बोलने वाले पत्रकारों को जेल में क्यों नहीं डाल देते?
तो जनाब JNU और ये सेकुलर पत्रकार प्रॉब्लम नहीं हैं , ये सिर्फ mouth piece हैं जिनका काम लोगों को और सरकार को सिर्फ उलझाना है असली प्रॉब्लम है चाइना, पकिस्तान का nexus, अरब देशों और वेस्टर्न कन्ट्रीज से आ रहा धन जो कि conversion, terrorism और naxalite activities में use होता है और देश के विकास ने बाधक बनता है।
इसीलिए सरकार ने पहला कदम इन NGOs को बंद करने का लिया जिनके मार्फ़त ये धन आता था।
आप की समझ में ना आये तो अलग बात है वैसे नोट बंदी भी उसी योजना का एक हिस्सा भर थी।
हमारे यहाँ कुछ शूरवीर ऐसे भी हैं जो कहते हैं कि विकास होता रहेगा पहले पाकिस्तान को सबक सिखाओ।
ये वो ही शूरवीर हैं जो कि 4 एटीएम withdrawl के बाद 20 रुपया शुल्क लगने से चिल्लाने लगते हैं कि, हाय हाय हम मर गए हमें नहीं चाहिए ऐसी सरकार जो गरीबों के पेट पर लात मारती हो।
क्या ये शूरवीर लड़ेंगे पाक से युद्ध? वैसे इन समझदारों को पता नहीं कि, युद्ध लड़ने से पहले बहुत तैय्यारी करनी पड़ती है, देश में गोलाबारी का पर्याप्त स्टॉक होना चाहिए, अच्छे टैंक, विमान और सैनिकों के पास अच्छी गन होनी चाहिए जो कि पिछली सरकार की कृपा से न्यूनतम से भी नीचे पहुँच गया था। कुछ लोग कहते हैं की फोड़ दो पाकिस्तान पर परमाणु बम जो होगा देखा जाएगा। ये वो महानुभाव हैं जो की बैंक की लाइन ने अगर 4 घंटे खड़े रहें तो इन्हें चक्कर आ जाते हैं और परमाणु युद्ध इन्हें बच्चों का खेल लगता है। वैसे इन्हें ये भी नहीं पता कि, अगर हिन्दुस्तान पाकिस्तान आपस में परमाणु युद्ध लड़कर तबाह हो गए तो चाइना कितनी आसानी से हमारे ऊपर कब्ज़ा कर लेगा।
खैर सोशल मीडिया पर शूरवीर बनने में क्या जाता है इसमें तो ATM withdrawl का 20 रुपया भी नही लगता और अगर लगने लग जाए तो ये शूरवीर यहाँ से भी गायब हो जायेंगे और बोलेंगे नहीं चाहिये युद्ध मुझे मेरे 20 रूपये वापस दो!!
खैर ये तो हुई problem अब solution क्या है और इस सरकार और पिछली सरकार में फर्क क्या है?
फर्क है नीयत का और कार्यो का।
ये सरकार देश में अवैध धन लाने वाले 13000 NGO को बंद करती है।
ये सरकार देश में राफेल विमानों को लाती है जो की दुनिया का सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमान (या उनमे से एक है), डिफेन्स procurement को फ़ास्ट ट्रैक करती है। सैनिकों के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट, नाईट विज़न और बढ़िया क्वालिटी के हेलमेट खरीदती है, उनके लड़ने के लिए लेज़र और बेहतर क्वालिटी की गन खरीदती है।नयी तोपें खरीदी जाती हैं जो कि पिछ्ले 30 सालों में नहीं हुआ था।इजराइल से समझोते किये जाते हैं ताकि युद्ध की स्थिति में गोला बारूद की आपूर्ति निर्बाध जारी रहे।इरान और अफगानिस्तान में बेस बनाए जाते हैं कि जिससे युद्ध की स्थिति में दूसरा मोर्चा खोला जा सके। चाइना बॉर्डर पर ब्रहोस (परमाणु क्षमता वाली) नियुक्त की जाती है और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत किया जाता है।
चाइना के खिलाफ उसके पड़ोसी देशो से समझोते किये जाते हैं ताकि युद्ध की स्थिति में उसे बाँधा जा सके। और हाँ देश में तेल रिज़र्व भी बनाया जा रहा है जिससे कि किसी भी आपात स्थिति का सामना करा जा सके क्योंकि देश तेल के लिए अरब कन्ट्रीज पर निर्भर है जो कि अभी तक पाकिस्तान के साथ रहे हैं।
मोदी इन्हें भी अपने साथ लाने का प्रयास कर रहा है और इसीलिए विदेश भी जाता है।
एक बात और,इन सब चीज़ों के पैसे लगते हैं, फ्री में नहीं आतीं और इसीलिए तेल के दाम भी अभी कम नहीं होंगे और ना ही टैक्स अभी कम होंगे।
पोस्ट बहुत लम्बी हो गयी है तो संक्षेप में सुनो मोदी खिचड़ी खाने वाला व्यक्ति है, जो ठंडा करके खा रहा है , क्योंकि हमें गलती करने पर दुबारा मौका नहीं मिलेगा , इसलिए पहली बार में ही लडाई जीतनी है।
और हाँ सीधी लड़ाई से बचा जाएगा और पकिस्तान को टुकड़ों में बांटा जाएगा लेकिन सीधी लड़ाई की तैय्यारी भी पूरी रखेगा और जब तक तैयारी पूरी न हो कुछ बड़ा नहीं होने वाला।
सीमा पर छोटीमोटी मुठभेड़ जारीच रहेंगी।
हमारे कुछ सैनिकों को वीरगति भी प्राप्त होगी और कश्मीर भी सुलगता रहेगा।
ये सेकुलर पत्रकार भी गला फाड़कर चिल्लाते रहेंगे, JNU की झोला छाप intellectual class भी शोर मचाएगी यानी कि सब कुछ पहले जैसा ही रहेगा (बल्कि ज्यादा चिल्लायेंगे)। लेकिन मोदी पर कोई असर नहीं पड़ेगा वो बिलकुल चुपचाप रहेगा और अपना काम करता रहेगा।
इन सब की चिल्ली पौं का काम तमाम एक झटके में होगा तब तक आप की मर्ज़ी है कि आप भी इनकी तरह से शोर मचाएंगे या चुपचाप बैठकर तमाशा देखेंगे (क्योंकि ना मेरे ना आप के हाथ में कुछ है और ना ही इन लोगों के)।
हाँ एक बात और आप अपना वोट 2019 में किसी भी पप्पू, टीपू, केजरीवाल या ममता बनर्जी को देने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मेरा वोट सिर्फ देश के लिए है क्योंकि ना मैं देश को बंगाल बनते देखना चाहता हूँ, ना केरल और ना ही आज के जैसी दिल्ली।
मैं देखना चाहता हूँ एक सशक्त भारत और उसके लिए मैं इंतज़ार करने को तैयार हूँ।
मेरे लिए पाकिस्तान के दस, सौ या फिर हज़ार सैनिको के सर से ज्यादा महत्वपूर्ण उसकी सम्पूर्ण हार है और मैं उस बड़ी जीत के लिए इंतज़ार करने को तैयार हूँ।
जय हिन्द जय भारत